70 के दशक में राॅ के चीफ आनंद वर्मा (फाईल फोटो)
नई दिल्ली। वर्ष 1967 में पाकिस्तान के सीक्रेट परमाणु परीक्षण मिशन पर जासूसी मिशन पर भारतीय खुफिया ऐजेंसी के तरफ से भेजे गए जासूस मोहनलाल भास्कर को साथी जासूस अमरीक सिंह के गद्दारी के वजह से पकड़ लिया गया,फिर उन्हें तरह-तरह की असहनीय यातनाओं से गुजरना पड़ा,फिर चार साल बाद उन्हें पाकिस्तान ने शिमला समझौते के तहत रिहा कर दिया।
पाक के तत्कालीन आर्मी-चीफ जिया (फाईल फोटो)
रिपोर्ट के अनुसार भारत की इंटेलीजेंस एजेंसी रॉ के जासूस मोहनलाल भास्कर को पाकिस्तान ने उस समय गिरफ्तार किया था जब वो एक काउंटर-इंटेलीजेंस ऑपरेशन को अंजाम दे रहे थे,इनकी गिरफ्तारी के बाद भारत की खुफिया ऐजेंसी राॅ का यह सीक्रेट आपरेशन बर्बाद हो गया। और सब हुआ उस गद्दार जासूस अमरीक सिंह की वजह से, इसी गद्दार जासूस ने पाकिस्तानी ऐजेंसियों को मोहनलाल भास्कर की टिप दी थी। फिर सन् 1967 से 1971 तक पाकिस्तान ने उन्हें लाहौर की खतरनाक कोट लखपत जेल में रखा था। सन् 1983 में मोहनलाल ने एक किताब लिखी थी जो हिंदी में थी, इस किताब का टाइटल था, मैं पाकिस्तान में भारत का जासूस था.’ बाद में इसे अंग्रेजी में भी ट्रांसलेट करके पब्लिश किया गया। इंग्लिश में इसका टाइटल था, ‘एन इंडियन स्पाई इन पाकिस्तान.’ भास्कर ने इस किताब में एक जासूस की जिंदगी के बारे में खुलकर बताया था।
ISI के तत्कालीन चीफ गुलाम अली (फाईल फोटो)
कहा जाता है कि मोहनलाल,पाकिस्तान में मोहम्मद असलम के नाम से रह रहे थे,उन्होंने अपनी पहचान कुछ इस तरह से बताई थी कि वो एक पाकिस्तानी मुस्लिम हैं और पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहे हैं, भास्कर को जिस मिशन पर भेजा गया था, उसमें उन्हें पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की जानकारी इकट्ठा करनी थी, लेकिन उन्हें साथी जासूस अमरीक सिंह ने धोखा दे दिया
जिस वजह से वे पाकिस्तान के हत्थे चढ़ गए।
बताया जाता है कि अमरीक सिंह पहले भारतीय खुफिया ऐजेंसी का हीं जासूस था बाद में वह डबल ऐजेंट हो गया यानि गद्दार।
NSA अजित डोभाल (फाईल फोटो)
बताते चले कि जब वह मियांवाली जेल में थे तो वहीं पर वो शेख मुजीब उर रहमान से मिले थे,मुजीब उर रहमान बांग्लादेश के फाउंडर थे और प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता थे,उन्हें उस समय पाकिस्तान की मियांवाली जेल में ही रखा गया था। भास्कर ने तो यहां तक बताया था कि पाकिस्तान एयरफोर्स के बेस पर इंडियन एयरफोर्स के फाइटर जेट्स ने लगातार बम गिराए थे। भास्कर को सन् 1971 में जेल से उस समय रिहा किया गया था जब भारत-पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता साइन हुआ था। इस समझौते के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम भुट्टो ने पाक की जेल में बंद भारतीय कैदियों को रिहा करने पर रजामंदी दी थी। उस समय 54 भारतीयों को पाकिस्तान के अलग-अलग जेल से रिहा किया गया था।