एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

रूस और यूक्रेन के बीच इस भीषण जंग में भारत भी अमेरिका व यूरोपीय देशों के रडार पर – नित्यानंद दूबे/रविशंकर मिश्र


पुतिन और मोदी (फाईल फोटो)

वॉशिंगटन/नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी भीषण जंग के दौरान अमेरिका सहित तमाम नाटों देश भारत के रवैये से संतुष्ट नहीं दीख रहे हैं,दरअसल भारत ने अभी तक रूसी कार्यवाही का ना ही निंदा किया और ना ही विरोध जिस वजह से नाटों एलाएंस भारत से संतुष्ट नहीं है,चूंकि नाटों चाहता है कि भारत भी नाटों के सुर में सुर मिलाये लेकिन भारत,रूस के साथ पुरानी दोस्ती को कतई नहीं भूलना चाहता,फिलहाल भारत यूक्रेन संकट में न्यूटल की भूमिका में दीख रहा है।

इसी कड़ी में रूस से सस्‍ता तेल खरीदने पर अमेरिका और भारत के संबंधों में अब तनाव बढ़ता दिख रहा है। जहां अमेरिका ने कहा है कि रूस से सस्‍ता तेल खरीदकर भारत अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्‍लंघन नहीं करेगा लेकिन साथ ही उसने चेतावनी भी दी कि भारत का यह कदम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को ‘इतिहास के गलत पक्ष की ओर डाल देगा।’ अमेरिका का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब दुनिया में तेल के दाम आसमान छू रहे हैं और जर्मनी समेत कई यूरोपीय देश अभी भी रूस से तेल और गैस खरीद रहे हैं।

बताते चले कि इससे पहले भी यह रिपोर्ट सामने आई थी कि भारत रूस से सस्‍ता तेल और अन्‍य सामान डिस्‍काउंट पर खरीदने पर विचार कर रहा है। वह भी तब जब अमेरिका ने रूस से सारे ऊर्जा आयात रोक दिए हैं। अमेरिकी राष्‍ट्रपति कार्यालय वाइट हाउस की प्रवक्‍ता जेन पसाकी ने कहा कि जो बाइडन प्रशासन का दुनिया के देशों को संदेश है कि वे अमेरिकी प्रतिबंधों का पालन करें लेकिन जब सवाल हुआ कि क्‍या भारत का तेल खरीदना प्रतिबंधों का उल्‍लंघन होगा ? इस पर पास्‍की ने कहा, ‘मैं नहीं मानती हूं कि यह उसका उल्‍लंघन होगा लेकिन आपको यह सोचना होगा कि आपके किसके साथ खड़े हो रहे ?

फिर इसी क्रम में पास्की ने आगे भी कहा कि ‘जब इतिहास की किताबें इस समय लिखी जा रही हैं,तो वहीं रूस का समर्थन करना हमले का समर्थन जैसा है और इसका विनाशकारी असर पड़ेगा। बता दें कि भारत ने अभी तक यूक्रेन पर हमले की निंदा नहीं की है। यही नहीं भारत रूस के खिलाफ संयुक्‍त राष्‍ट्र में वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहा था। हाल के दिनों में अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि वे चाहेंगे कि भारत रूस से जितना संभव हो सके दूरी बना ले। हालांकि उन्‍होंने यह भी माना कि भारत रूस पर हथियारों से लेकर गोला-बारूद तक के लिए निर्भर है।

इससे पहले पिछले सप्‍ताह रूस के डेप्‍युटी पीएम अलेक्‍जेंडर नोवाक ने भारतीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी से कहा था कि उनका देश भारत को तेल का निर्यात बढ़ाना चाहता है। यही नहीं रूस चाहता है कि भारत उनके देश के तेल क्षेत्र में निवेश करे। रूस सरकार के मुताबिक भारत को तेल और पेट्रोलियम निर्यात एक अरब डॉलर तक पहुंचने जा रहा है। रूसी नेता ने यह भी कहा कि उनका देश कुडनकुलम परमाणु बिजली केंद्र के विकास में सहयोग जारी रखना चाहता है।

वहीं,मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से एक यह दावा सामने आया कि भारत की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी कंपनी इंडियन ऑयल ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमले के बाद पहली बार 30 लाख बैरल तेल रूस से खरीदा है। गौरतलब है कि भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है और इसमें से केवल 2 से 3 प्रतिशत तेल ही रूस से आता है। उधर,यूरोपीय देश अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भी रूस से तेल और गैस ले रहे हैं।

हालांकि,यूक्रेन संकट के बीच भारत के रवैये के चलते भारत पर इसका दुषप्रभाव न के बराबर रहेगा,लेकिन फिर भी अमेरिका और युरोपिय संघ भारत से अब भी यही उम्मीद कर रहे हैं कि वह भी यूक्रेन के समर्थन में कुछ कदम चले,पर अफसोस भारत भूलकर भी ऐसी गलती नहीं कर सकता क्योंकि अतीत में रुस,भारत के साथ हर मसले पर कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा है।

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