इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

रूस-यूक्रेन जंग के बीच दो दिन के “ड्रिल मिशन” पर फिनलैंड पहुंचे नाटों के घातक युध्दपोत, स्वीडन और फिनलैंड की भी नाटों में शामिल होने की जारी है चर्चा,क्रेमलिन ने दी दोनों देशों को कड़ी धमकी – राकेश पांडेय/रविशंकर मिश्र


नाटों के घातक युध्दपोत (सांकेतिक तस्वीर)

कीव/हेलसिंकी। रूस-यूक्रेन के बीच जारी भीषण लड़ाई के बीच अचानक नाटों के तीन घातक वाॅरशिप की गैर सदस्य देश फिनलैंड पहुंचने की रिपोर्ट सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि नाटों के ये वाॅरशिप फिनलैंड की नैवी के साथ दो दिनों के एक ड्रिल मिशन को अंजाम देंगे। दरअसल,कई दिनों से चर्चा है कि रूस के आक्रामकता को देखते हुए फिनलैंड नाटों में शामिल होने पर विचार कर हीं रहा था कि इसी बीच रूस ने फिनलैंड को नाटो में शामिल होने पर कड़ी चेतावनी देते हुए सख्त लहजें में कहा कि वह फिनलैंड के नाटों का सदस्य बनते ही सीमा पर अपनी परमाणु मिसाइलों को तैनात कर देगा। बता दें कि फिनलैंड रूस के साथ 1,300 किलोमीटर की सीमा साझा करता है।

वहीं,फिनिश डिफेंस फोर्सेज के हवाले से यह दावा सामने आया है कि लातवियाई माइन स्वीपर एलवीएनएस विरसाइटिस,इस्टोनियाई माइनहंटर्स ईएनएस सकला और डच युद्धपोत एचएनएलएमएस शिदम फिनलैंड की नौसेना के साथ समुद्री बारूदी सुरंगों को हटाने के लिए एक ड्रिल मिशन है,इसी कड़ी में आगे भी कहा गया कि यह ड्रिल 28 अप्रैल से शुरू होने वाला दो दिनों के अभ्यास में नाटों रिस्पांस फोर्सेज के साथ फिनिश जहाज अभ्यास करेंगे और मल्टीनेशनल फ्रेमवर्क में काम करने का भी अभ्यास करेंगे।

इसी बीच फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन ने बीते बुधवार को कहा था कि उनका देश नाटों में शामिल होने को लेकर अगले कुछ हफ्तों में फैसला करेगा। आगे भी उन्होंने कहा कि हमें रूस की ओर से हर तरह की कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा। नाटो में शामिल होने के विकल्प का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाना चाहिए, लेकिन जब फरवरी के अंत में रूसी सेना ने यूक्रेन पर आक्रमण किया तो सब कुछ बदल गया था। उन्होंने कहा कि जब हम अपने फैसले लेंगे तो मैं किसी भी तरह का टाइम टेबल नहीं दूंगी, लेकिन मुझे लगता है कि यह काफी तेजी से होगा।

उधर,फिनलैंड की इस हरकत के बारें में रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के हवाले से यह कहा गया कि अगर स्वीडन और फिनलैंड नाटों में शामिल होते हैं तो रूस को बाल्टिक सागर में अपनी थल सेना और वायु सेना को मजबूत करना होगा। इतना ही नहीं मेदवेदेव ने आगे भी बिल्कुल स्पष्ट रूप से परमाणु खतरे को उठाते हुए कहा कि परमाणु मुक्त” बाल्टिक पर अब कोई और बात नहीं हो सकती है।

बताते चले कि बाल्टिक सागर के किनारे पोलैंड और लिथुआनिया के बीच एक छोटे से हिस्से कलिनिनग्राद पर रूस ने बड़ा मिलिट्री बेस बना रखा है। दावा है कि रूस ने इस सैन्य अड्डे पर परमाणु हथियारों को तैनात कर रखा है।

उल्लेखनिय है कि यूक्रेन के नाटों में शामिल होने के मुद्दे पर इस साल के बीते 24 फरवरी से यूक्रेन पर रूसी फौज लगातार मिलीट्री आॅपरेशन को अंजाम दे रही है, जहां इस आॅपरेशन के दौरान यूक्रेन के कई शहर भयानक रूप से मलबे में बदल चुके हैं,इतना ही नहीं लगभग 45 लाख यूक्रेन के नागरिक देश छोड़ने को मजबूर हुए हैं,वहीं इस दौरान यूक्रेन को भारी जन हानि भी उठानी पड़ी है,हालांकि रूस को भी यूक्रेन के पलटवार की कीमत चुकानी पड़ी है,यहीं नहीं इस काउंटर अटैक में रूस के तमाम टाॅप लेवल के मिलीट्री कमांडर भी मारे जा चुके हैं,इस दौरान ब्लैक-सी में तैनात रुसी युध्दपोत को भी यूक्रेन आर्मी का निशाना बनना पड़ गया,जो कि रूस के लिए अब तक का बड़ा नुकसान था। अब यूक्रेन में जारी रूसी तांडव को देखकर स्वीडन और फिनलैंड को भी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है तो ऐसे में इन दोनों देशों को नाटों में शामिल होना हीं विकल्प सूझ रहा है,तो वहीं रूस इन दोनों देशों को चेता रहा है कि वह ऐसी भूल न करे ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *