इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

हाल ही में कई बड़े एंकाउंटर, बड़ी एवं भारी संख्या में गिरफ्तारियां, और अत्यधिक संख्या में आत्म समर्पण की वजह से नक्सल मूवमैंट हाशिये पर – राकेश पांडेय (स्पेशल एडिटर)


नक्सली (फाईल फोटो)

नई दिल्ली। नक्सल मूवमैंट के खिलाफ इस समय देश की इंटेलीजेंस ऐजेंसी और फोर्स का ज्वाइंट आॅपरेशन अपने सफलता की बुलंदियों पर है। हाल ही में मूवमैंट के साथ हुए कई शूटआउट में मूवमैंट अब अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। जिस वजह से मूवमैंट पूरी ताकत के साथ खुद को मजबूत करने की कोशिश में छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा सहित विभिन्न नक्सल प्रभावित इलाकों में महिलाओं और बच्चों को अपने कैडर के तौर पर भर्ती करने का प्रयास कर रहा हैं जो कि एक नाकाम कोशिश साबित हुई है। ऐजेंसी के सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा बल और खुफिया ऐजेंसियों ने एक संयुक्त अभियान के तहत के ग्रामीण इलाकों में आदिवासी समुदाय तक नक्सलियों की पहुंच नही बन पा रही है जिस कारण मूवमैंट अपनी संख्या बढ़ाने में असफल हो रहा है।

वहीं यह भी साफ किया गया है कि छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर को छोड़कर सुरक्षा बल ज्यादातर कोर इलाकों में खुद को स्थापित करने में सफल साबित हुए हैं। चूंकि इन्ही इलाकों में ऑपरेशन के दौरान फोर्स को सबसे ज्यादा कैजुअलटी झेलनी पड़ी है।

वहीं आॅपरेशन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि हाल के कुछ वर्षों में कई वरिष्ठ नक्सली नेताओं की सुरक्षाबलों के हाथों मौत और गिरफ्तारी की वजह से नक्सली नेतृत्व के संकट से भी जूझ रहे हैं। हताशा में वे कुछ बड़ी घटनाओं और निर्दोष लोगों की हत्या कर अपना प्रभुत्व जमाने की मुहिम में जुटे हैं। जिस वजह से फोर्स अलर्ट पर है।

बताते चले कि झारखंड में अभी हाल ही में माओवादी समूह की केंद्रीय समिति के सदस्य प्रशांत बोस उर्फ ​​किशन दा और उसकी पत्नी शीला मरांडी की गिरफ्तारी हुई। दोनों को खुफिया ऐजेंसियों और पुलिस की वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद ही गिरफ़्तारी सुनिश्चित हुई है।

वहीं अभी हाल हीं में महाराष्ट्र पुलिस ने जिन 26 माओवादियों को एक एंकाउंटर मार गिराया था,उनमें से शीर्ष कमांडर मिलिंद बाबूराव तेलतुम्बडे भी शामिल था। अपने उपनाम ‘जीवा’ और ‘दीपक’ के नाम से जाने जाने वाले तेलतुंबडे भाकपा (माओवादी) के केंद्रीय समिति के सदस्य और नवगठित महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ संगम (एमएमसी) का प्रभारी भी था। मिलिंद तेलतुंबडे ने महाराष्ट्र के चंद्रपुर, गोंदिया, गढ़चिरौली, नागपुर और यवतमाल जिलों में एक शक्तिशाली नेटवर्क बनाया था। वह जंगल से शहरी क्षेत्रों की ओर बढ़ रहा था। नक्सली यहां से झारखंड तक एक गलियारा बनाना चाहते थे लेकिन उस योजना को में सुरक्षाबलों ने नेस्तनाबूद कर दिया।

फिलहाल, मूवमैंट के खिलाफ बड़े ईमानदारी के साथ चलाये जा रहे अभियान अपने सफलता की बुलंदियों पर है तो वहीं मूवमैंट दोहरी चोट की वजह से हाशिये पर अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है।

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