काबुल। अफगानिस्तान के काबुल से रिपोर्ट आ रही है कि शुक्रवार को हथियारों से लैस कुछ कथित तालिबानी अधिकारी काबुल में एक गुरूद्वारें परिसर की तलाशी ली फिर वहां चलने वाले स्कूल में भी वे लोग गए,जब निजी सुरक्षा गार्डों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उनके साथ धक्कामुक्की करते हुए इन सुरक्षाकर्मियों को जान से मारने की धमकी भी दिये।
बताते चले कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के कारते परवान इलाके में स्थित गुरुद्वारा दशमेश में तालिबान की विशेष इकाई के भारी हथियारों से लैस कुछ कथित अधिकारी शुक्रवार को जबरन घुस गए। उन्होंने वहां मौजूद सिख समुदाय के लोगों को धमकाया और धर्मस्थल की पवित्रता को भंग किया फिर गुरुद्वारा द्वारा संचालित विद्यालय में भी गये जहां उन्हें निजी सुरक्षाकर्मियों द्वारा रोकने कोशिश की गई तो ये कथित तालिबानी अधिकारियों ने इन सुरक्षाकर्मियों के साथ हाथापाई भी किये और इन्हें जान से मारने की धमकी भी दिये।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक काबुल में इंडियन वर्ल्ड फोरम के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस्लामिक अमीरात सरकार की विशेष इकाई के ये कथित अधिकारीगण पूर्व सांसद नरिंदर सिंह खालसा के पूर्ववर्ती निवास व दफ्तर की भी तलाशी ली। यह उक्त गुरुद्वारे के समीप ही स्थित है। चंडोक ने बताया कि तलाशी के वक्त गुरुद्वारे में करीब 10 सिख मौजूद थे।
इस घटना क्रम में चंडोक ने मांग की है कि भारत सरकार इस मामले को तत्काल अफगानिस्तान के उच्चाधिकारियों के समक्ष उठाए और वहां रह रहे हिंदुओं व सिखों की सुरक्षा को लेकर चिंता प्रकट करे। उन्होंने आगे भी कहा कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को यूएन चार्टर का पालन करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि अभी बीते कुछ पखवारे पहले भी काबुल में ही एक गुरूद्वारें में कुछ इस तरह के हथियार बंद लोग घुस आयें थे और यहां तोड़फोड़ भी किये थे और यहां मौजूद निजी सुरक्षाकर्मियों के साथ हाथापाई भी किये थे जहां पर बाद में शिकायत के कुछ दिन बाद वे तमाम लोग गिरफ्तार किये गये थे जिसकी सार्वजनिक सूचना खुद तालिबानी प्रवक्ता ने दिया था। आज इस घटना की फिर पुनरावृत्ति हुई है, अब इस घटना को कारित करने के पीछे क्या लाजिक हो सकता है ? फिलहाल यह जांच का विषय है लेकिन एक बात समझ से परे है कि गुरूद्वारों को आखिर क्यों बार-बार टारगेट किया जा रहा है ?