इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

क्या देश के महान परमाणु वैज्ञानिक डाक्टर होमी जहांगीर भाभा को उनके परमाणु मिशन को रोकने के लिए उन्हें साजिशन मारा गया था ? फिर भी आॅपरेशन “बुद्ध मुस्कुरायें” सफल रहा, और भारत परमाणु संपन्न राष्ट्र बना – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


डा.होमी जहांगीर भाभा (फाईल फोटो)

नई दिल्ली। वर्ष 1966 में भारत के परमाणु कार्यक्रम के जनक कहलाने वाले महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की एक विमान हादसे के दौरान में मौत होने के बाद उस समय अमेरिकी खुफिया ऐजेंसी पर शक जताया गया था,लेकिन इस बात का कोई पुख्ता सुबूत आजतक सामने नहीं आया। जिस वजह से इसे एक हादसा मानते हुए इस विषय को उसी समय समाप्त कर दिया गया था। लेकिन कई सालों बाद इस घटना की फिर से चर्चा गरम हो गई थी जब टाइम्स ऑफ इंडिया समाचार पत्र समूह में एक न्यूज वेबसाइट के हवाले से यह खबर छपी कि इस विमान हादसे को पूरी तरह से वेल प्लांड किया गया था और इस साजिश में अमेरिका की खुफिया ऐजेंसी शामिल थी।

दरअसल, आजादी के बाद डाक्टर होमी जहांगीर को देश के परमाणु कार्यक्रम का अध्यक्ष बना दिया गया था इसके बाद भाभा ने दुनिया भर में शोध कर रहे भारतीय वैज्ञानिकों को वापस देश लौटने के लिए अनुरोध किया जहां पर तमाम भारतीय मूल के वैज्ञानिक वापस देश लौटकर भाभा के साथ परमाणु कार्यक्रम में शोध कार्य में जुट गए,चूंकि भाभा ने एक बार रेडियो के एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि यदि उन्हें निर्देश मिल जाए तो वे कुछ ही सालों में भारत को परमाणु बम दे देंगें,कहा जाता है कि जहांगीर के इस बयान को अमेरिका की CIA ने बड़े खतरें के रूप में आंका।

फिर जनवरी 1966 में डाक्टर जहांगीर भाभा मुंबई से न्यूयार्क एअर इंडिया के बोइंग 707 से एक सम्मेलन की वार्ता में भाग लेने जा रहे थे,जहां रास्ते में हीं उनका यह यात्री विमान क्रैश हो गया,इस हादसे में डाक्टर भाभा समेत कुल 117 यात्रियों की जान चली गई। हादसे के बाद तमाम अफवाहें सामने आई जिनमें एक यह भी दावा सामने आया जिसमें हादसे की साजिश रचने में अमेरिकी खुफिया ऐजेंसी का हाथ बताया गया। लेकिन कोई साक्ष्य सामने नहीं आया,जिसे बाद में कोरी अफवाह मानते हुए इस विषय को वहीं पूर्ण विराम दे दिया गया।

लेकिन इस बुझी आग में चिंगारी तब लगी जब एक न्यूज वेबसाइट ने 11 जुलाई 2008 को अमेरिकी खुफिया ऐजेंसी के एक्स सीआईए अफसर रॉबर्ट क्राओली के हवाले से यह दावा किया कि भारत ने 60 के दशक में परमाणु बम पर काम शुरू कर दिया था,जो हमारे लिए समस्या थी।’ इस दौरान रॉबर्ट इशारा करते है कि भारत यह सब रूस की मदद से कर रहा है।

क्राओली होमी जहांगीर भाभा को ‘खतरनाक’ बताते है,इसी कड़ी में क्राओली के हवाले से यह भी कहा गया कि भाभा जिस वियना की उड़ान पर थे उससे परेशानी और बढ़ती, बताया जाता है कि इसी उड़ान के दौरान विमान के कार्गो में रखे बम में विस्फोट हुआ था,जिस वजह से यह पूरा विमान दुर्घटना का शिकार हो गया और इस विमान में मौजूद सभी यात्री मारे गए जिनमें डाक्टर भाभा भी शामिल थे।

हादसे का कारण जो भी रहा हो लेकिन डाक्टर जहांगीर भाभा जो कि दूरदर्शी सोच रखने वाले वैज्ञानिक थे, उन्हें आभास था कि यदि भविष्य में भारत के परमाणु मिशन से पहले ही या मिशन के दौरान उनके साथ कुछ अनहोनी होती है तो इस मिशन पर किसी भी स्थिति में कोई प्रभाव ना पड़े,इसीलिए उन्होंने इस मिशन को पूरा करने का टास्क अपने एक अति विश्वासपात्र वैज्ञानिक को दे रखा था। हालांकि भाभा के असामयिक मृत्यु का भारत के परमाणु मिशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान भाभा का यह अधूरा मिशन पूरा हुआ और इस मिशन का कोडनेम “बुद्ध मुस्कुरायें” था जो कि पूरा हुआ वो भी बिना किसी नुकसान के। भारत आज परमाणु संपन्न राष्ट्र बना है तो इसके पीछे डाक्टर जहांगीर भाभा के बदौलत,भले हीं वे मिशन के दौरान भौतिक शरीर में नहीं थे लेकिन फिर भी उनके अनुसार मिशन कामयाब रहा,और इस महान उपलब्धि के लिए देश आज भी डाक्टर भाभा का आभारी है।

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