सांकेतिक तस्वीर
मास्कों। पाकिस्तान से जुड़ी एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट सामने आई है जिसमें यह बताया जा रहा है कि दुनिया की दो बेहद स्मार्ट इंटेलीजेंस ऐजेंसियों ने एक ज्वाइंट आॅपरेशन करके पाकिस्तान की ISI के उस सीक्रेट आॅपरेशन को नेस्तनाबूद कर दिया जिसमें वह रूस को धोखे में रखकर हैंड-फुट कन्टेमिनेशन (एटमी सामग्री) खरीदने के लिए वहां की निजी कंपनियों से सौदा कर ये वस्तुएं पाक के चश्मा क्षेत्र स्थित परमाणु संयंत्र के लिए भेज रहा था। चूंकि ISI की दुश्मन ऐजेंसियों ने रूस को अलर्ट कर दिया,फिर क्या था ? रुसी ऐजेंसी ने भी अपने स्तर से इसका वेरीफिकेशन किया और खुद संतुष्ट हो जाने पर वह इस सौदे से पीछे हट गया और उसने तत्काल पाकिस्तान को इस सामग्री के निर्यात रोक दिया।
रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने पाकिस्तान से दोहरे इस्तेमाल में काम आने वाली इस सामग्री को बेचने का करार भी रद्द कर दिया है। करार रद्द होने के बाद रूसी कंपनी की तरफ से बताया गया है कि, पाकिस्तान कंपनी ने झूठ बोलकर और गलत जानकारियों के साथ यह करार किया था,जबकि पाकिस्तान का असल मकसद उस सामग्री का इस्तेमाल परमाणु संयंत्र के लिए करना था।
यह समझौता रूस की एम,एस टेक्नोसेंटर लिमिटेड और लाहौर की एम,एस हसन साइंटिफिक कॉर्पोरेशन के बीच हुआ था। इसके तहत पाकिस्तान, रूस की कंपनी से छह उपकरण खरीदने वाला था। लेकिन रूस को ऐन मौके पर दुनिया की दो इंटेलीजेंस ऐजेंसियों ने पाकिस्तान के इस करतूत की रिपोर्ट रूस को दे दी,जिसमें रुस को बताया गया कि यह सारी करतूत ISI की है,जहां इस सामग्री को पाकिस्तान अपने चश्मा स्थित परमाणु संयंत्र तक भेजने वाला है।
बताया जा रहा है कि रूस का पाकिस्तान के साथ करार होने के बाद से हीं दुनिया की दो खुफिया ऐजेंसियों ने एक ज्वाइंट आॅपरेशन के तहत ISI पर कड़ी नजर रख रही थी,और अपने उपर नजर रखने वाली ऐजेंसियों से बेखबर ISI को जरा सी भी भनक नहीं लगी,इसी दौरान पाकिस्तान के यूरोप से खरीदे जाने वाले सामान पर भी इन दोनों ऐजेंसियों ने बेहद करीब से नजर रखें रही,इसके बाद ये ऐजेंसियां और भी ज्यादा सतर्क हो गई चूंकि ये उपकरण यूरोप के कुछ देशों के अलावा सिर्फ रूस में हीं बनते है,और यूरोपीय देश पाकिस्तान को ये उपकरण नहीं दे रहे थे ऐसे में पाक का इरादा रूसी सामग्री के ही दोहरे इस्तेमाल का था। फिर पाकिस्तान ने रूस को गुमराह करके समझौता किया,लेकिन पाकिस्तानी ऐजेंसी यहीं पर चूक कर गई कि उसके उपर दो खुफिया एजेंसियां पहले से ही बराबर नजर रखें हुई है, फिर क्या था ? रूस के साथ डील केंसिल हुई जिसके वजह से ISI का यह सीक्रेट मिशन “चश्मा” नेस्तनाबूद हो गया।