एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

नागालैंड शूटआउट में मारे गए लोगों के परिवार वालों ने सरकारी मुआवजा लेने से किया साफ इंकार, कहा, जब तक शूट आउट में शामिल सैन्यकर्मियों के विरूद्ध कार्यवाही और अपस्फा कानून नहीं होगा वापस, तब तक नहीं स्वीकार किया जायेगा मुआवजा – विजयशंकर दूबे (एडिटर इन क्राईम)


असम राइफल के जवान (फाईल फोटो)

कोहिमा। नागालैंड शूटआउट में मारे गए 14 मजदूरों के परिवार वालों ने सरकारी मुआवजा यह कहते हुए लेने से साफ इंकार कर दिया कि सेना की गोलीबारी में शामिल सुरक्षा कर्मियों को ”न्याय के कटघरे” में लाने तक कोई भी सरकारी मुआवजा नहीं लिया जाएगा। बताया जा रहा है कि ओटिंग ग्राम परिषद ने कहा है कि पांच दिसंबर को जब स्थानीय लोग गोलीबारी और उसके बाद हुई झड़प में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था कर रहे थे, तब राज्य के मंत्री पी पाइवांग कोन्याक और जिले के उपायुक्त ने 18 लाख 30 हजार रुपये दिए।

इसी क्रम में आगे यह भी कहा गया कि पहले उन्हें लगा कि मंत्री ने सद्भावना के तहत आर्थिक मदद किया है,लेकिन बाद में मालूम हुआ कि यह मदद मारे गए और घायलों के परिवारों के लिए राज्य सरकार की ओर से अनुग्रह राशि की एक किस्त थी। ओटिंग ग्राम परिषद ने साफ कर दिया है कि भारतीय सशस्त्र बल के 21वें पैरा कमांडो के दोषियों को नागरिक संहिता के तहत न्याय के कटघरे में लाने और पूरे पूर्वात्तर क्षेत्र से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) को हटाने तक किसी भी सरकारी मदद को स्वीकार नहीं किया जायेगा।

बताते चले कि इस साल बीते 4-5 दिसंबर को एक उग्रवादी संगठन की मूवमैंट की इंटल रिपोर्ट के आधार पर असम राइफल की फोर्स ओटिंग गांव के बाहर सड़क पर शाम के समय अंबुस करके बैठी थी,जहां इंटल रिपोर्ट में गलतफहमी के चलते फोर्स ने फायरिंग शुरू कर दी,जिसमें 13 मजदूर मारे गए,जहां बाद में ग्रामीणों की हिंसक झड़प में एक जवान भी मारा गया था।

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