इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

नागालैण्ड गोलीकाण्ड से देश के पूर्वोत्तर राज्यों में अपस्पा कानून के खिलाफ उठी आवाज, घटना के पीछे बड़ी साजिश आ रही नजर, घटना के 24 घंटे के भीतर कानून विरोधी पोस्टर का छपना और राज्य के कई इलाकों में लग भी जाना जो कि अपने आप में बड़ा सवाल ? – चंद्रकांत मिश्र/हेमंत सिंह


असम राइफल के जवान (फाईल फोटो)

कोहिमा/कलकत्ता। नागालैंड गोलीकाण्ड से अब देश के पूर्वोत्तर राज्यों में सेना की असम राइफल रेजिमेंट के खिलाफ गुस्सा देखने को मिल रहा है। अब यह भी मांग उठ रही है कि सेना को मिले अफस्पा कानून को वापस किया जाए। मांग उठाने वालों में नागालैंड के सीएम नेफ्यू रियो भी शामिल हैं। साथ ही पड़ोसी राज्य मेघालय के सीएम कोनराड संगमा भी नागालैण्ड के सीएम के मांगों का समर्थन करते दिखे।

बताते चले कि सोमवार को नागालैंड के सीएम ने सेना के फायरिंग में मारे गए नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान हजारों लोग वहां मौजूद थे। इस घटना के संबंध में नागालैंड के विभिन्न संगठनों की ओर से 12 घंटे का बंद का भी ऐलान किया गया है। इसके अलावा पूरे नागालैण्ड में जहां-तहां अफस्पा के विरोध में पोस्टर लगे दिख रहे हैं।

सीएम नेफ्यू रियो ने इस दौरान कहा कि हमने इस घटना की जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से मांग की है। आगे उन्होंने यह भी साफ किया कि यह कानून भारत की छवि पर एक दाग की तरह है। इसके अलावा मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया गया है। वहीं केंद्र सरकार की ओर से भी हर पीड़ित परिवार को 11 लाख रुपये की राहत राशि देने का फैसला लिया गया है।

इस घटना के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी संसद में बयान दिया है। इस दौरान अमित शाह ने बताया कि कि घटना के संबंध में देश की सभी ऐजेंसियों को सीधा आदेश दिया गया है कि भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति कभी ना हो,आगे भी उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ सचिव को नागालैण्ड भेजा गया है जो कि राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव से मिलकर हालात का जायजा लेंगें। उधर नागालैण्ड के कई इलाकों में ऐसे पोस्टर भी दिख रहे हैं, जिसमें लिखा है, ‘नगाओं को शांति में रहने के लिए अकेला छोड़ दो।’ इसके अलावा कई पोस्टर ऐसे दिखे हैं, जिनमें अफस्पा कानून को तत्काल वापस लिए जाने की मांग की गई है।

सीक्रेट ऑपरेशन को घटना के पीछे बड़ी साजिश नजर आ रही है, दरअसल घटना के चौबीस घंटें के भीतर अपस्फा विरोधी पोस्टर कई इलाकों में देखे जा रहे हैं, अब सवाल उठता है कि इतना जल्दी पोस्टर कैसे छप गया ? और इंटल रिपोर्ट में भी जिस रंग की गाड़ी और समय का जिक्र था जो कि प्रायोजित प्रतीत हो रही है, अब रही बात कि जब सुरक्षाबलों ने गाड़ी रोकने का ईशारा किया तो गाड़ी क्यों नहीं रूकी ? तो इस सवाल के जवाब में यही कहा जा सकता है कि अंधेरे का समय था और फोर्स द्वारा गाड़ी रोकने का मतलब की कोई परेशानी हो सकती हैं, चूंकि काम से लौटे लोग जल्दी अपने घर पहुंचना चाहते थे इसीलिए गाड़ी रूकी नहीं,और साजिश कर्ता इन सब चीजों से बखूबी वाकिफ थे,इसलिए जानबूझकर साजिश के तहत ऐसी फर्जी सूचना पास कराई गई जिसके बाद हालात दिन ब दिन बेकाबूं ही होते जा रहे।

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