इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

पाकिस्तान में जारी राजनैतिक भूचाल के असल खिलाड़ी कहीं आर्मी चीफ “बाजवा” तो नहीं ? चूंकि हालात इशारा कर रहे हैं तख्तापलट की ओर – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


नवाज शरीफ और तत्कालीन पाक आर्मी चीफ परवेज (फाईल फोटो)

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में जारी राजनीतिक उलटफेर के बीच जब बीते 3 अप्रैल को सदन में “अविश्वास प्रस्ताव” पर चर्चा शुरू होने से पहले ही नाटकीय ढंग से सत्ता पक्ष का एक सदस्य उठता है और सदन को संबोधित करते हुए कहता है कि विपक्ष द्वारा लाये गए अविश्वास प्रस्ताव में विदेशी साजिश है जो कि स्वीकार करने योग्य नहीं है,बस इतना कहते ही डिप्टी स्पीकर आनन-फानन में अपना फैसला पढ़ना शुरू कर दिये,जहां डिप्टी स्पीकर ने कहा कि यह अविश्वास प्रस्ताव “विदेशी साजिश” के तहत है जिसे संविधान की धारा-5 के आधार पर खारिज किया जाता है तथा देश में 90 दिनों के भीतर चुनाव होगा और आगामी चुनाव परिणाम तक देश के कार्यकारी प्रधानमंत्री इमरान खान ही रहेंगे जबकि पूरी कैबिनेट के साथ-साथ सदन को भी भंग किया जाता है,इसके बाद बिना देर किये डिप्टी स्पीकर तुरंत अपनी सीट छोड़कर चल देते हैं,जहां पूरा सदन अवाक रह जाता है, विपक्ष कुछ समझ ही नहीं पाता,हालांकि बाद में सदन में मौजूद विपक्ष नाटकीय ढंग से अविश्वास प्रस्ताव पास करता है और अपनी सरकार भी बनाने का दावा साबित करता है,लेकिन इसका कोई मतलब नहीं था,वहीं इस पूरे नौटंकी का असली सूत्रधार इमरान खान राष्ट्रपति के यहां बैठा था वह भी तब जब सदन में नौटंकी चल रही थी। उधर इस मसले का सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्यवाही शुरू कर दिया,जिसमें फैसला अभी बाकी है। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में पाकिस्तान की एक महत्वपूर्ण कड़ी “पाकिस्तानी सेना” भी है,हालांकि सेना दिखावटी रूप से अपने को इस मसले से दूर रखने की कोशिश कर रही है,लेकिन असल में इस पूरे ऑपरेशन का बतौर इंचार्ज पाकिस्तान की “सेना” हीं है।

दरअसल,बीते कुछ महिनें पहले जब पाकिस्तानी खुफिया ऐजेंसी के एक पूर्व निदेशक को पाक फौज के चीफ आॅफ आर्मी स्टाफ जनरल बाजवा उसे हटाना चाहते थे तो इमरान खान और उनकी वर्तमान पत्नी अड़ गई,इस दौरान इमरान खान मय पत्नी सहित एक तरफ तो वहीं दूसरी तरफ आर्मी चीफ बाजवा,इस दौरान दोनों पक्षों में महिनों नौटंकी चली, जहां बाजवा तत्कालीन निदेशक ISI को अफगान संकट में उनके प्रतिकूल आचरण करने से खफा थे इसीलिए वे इस निदेशक को हटाना चाहते थे लेकिन इमरान खान अपनी पत्नी के कहे में अड़े हुए थे जिस वजह से इमरान आर्मी चीफ के टारगेट बन गए,हालांकि बाद में इमरान को झुकना पड़ा और उस निदेशक को हटाया गया,उस समय इस घटनाक्रम का भले ही पटाक्षेप हो गया था लेकिन सियासी खिलाड़ी इस मौके का भरपूर लाभ लेना चाहते थे तो वहीं आर्मी चीफ बाजवा भी मौके की तलाश में थे,जहां इसी बीच यह खबर उड़ी कि लंदन में रह रहे नवाज शरीफ से सेना और खुफिया ऐजेंसी के कुछ अधिकारियों ने मुलाकात की है जो कि इमरान खान की सरकार गिराने के लिए साजिश कर रहे है,और इस आॅपरेशन को अंजाम दे रहे हैं आर्मी चीफ बाजवा,मतलब इस दौरान तमाम तरह की अफवाहें सामने आई। फिलहाल,बड़ी चतुराई से बाजवा खुद को और फौज को इस मसले से दूर दिखाने की कोशिश किये और कर भी रहे हैं लेकिन जानकार हर चाल की खबर रखते हैं और वे समझ गए हैं कि इस पूरे खेल का असल खिलाड़ी कौन है ?

इन सबके बीच इमरान खान की सरकार पर जब अविश्वास प्रस्ताव का दबाव बढ़ता ही जा रहा था,जो कि हर हाल में अपने अंजाम तक पहुंचता,जिसे टालने की पूरी कोशिश हुई लेकिन बात बनी नहीं,तब इमरान खान की तरफ से एक खेल खेला गया कि विपक्ष का यह भावी अविश्वास प्रस्ताव विदेशी साजिश के तहत अंजाम देने की कोशिश है जिसे खूब भुनाने की कोशिश भी हुई,जिससे अमेरिका नाराज हो गया,इधर इस कथित साजिश की बात जैसे ही सामने आई और साजिश में अमेरिका का नाम आने लगा तो बिना देर किये पाक फौज के चीफ बाजवा सामने आये और एक सार्वजनिक संबोधन के जरिए अमेरिका को खुश करने की कोशिश किये,हालांकि चीन इस मसले पर इमरान के साथ दिखा,चूंकि कथित साजिश में अमेरिका का नाम आ रहा था।

उसके बाद पाक संसद में बीते 3 अप्रैल को नाटकीय ढंग से बिना विपक्ष के चर्चा के अविश्वास प्रस्ताव को एक विदेशी साजिश साबित करते हुए खारिज कर दिया गया और साथ ही साथ सदन को भी भंग करते हुए देश में 90 दिनों के भीतर चुनाव कराने का फरमान सुना दिया गया तथा इमरान खान को कार्यकारी प्रधानमंत्री घोषित कर दिया गया जिसे राष्ट्रपति ने भी स्वीकार कर लिया,इतना हो जाने के बाद इमरान खान और उनकी पूरी टीम जश्न में डूब गई लेकिन इमरान खान भूल गए कि यह वहीं आर्मी चीफ बाजवा है जिन्होंने इमरान के न चाहते हुए भी उनके चहेते इंटेलीजेंस ऐजेंसी के निदेशक को हटा दिया था और जबकि उसका अगला टारगेट इमरान खान हीं थे।

चूंकि सबको पहले से ही मालूम था कि इमरान खान 3 अप्रैल को कुछ टेढ़ा करेंगे जो कि इस चाल का जवाब देने के लिए बाजवा ने पहले से ही तैयारी कर रखे थे और जैसे ही सदन की रिपोर्ट सामने आई बिना देर किये सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत घटना का संज्ञान लेते हुए कार्यवाही आरंभ कर दिया, यहा ध्यान देना होगा कि बीते 3 अप्रैल को सदन में सत्ता पक्ष का एक सदस्य अचानक सदन को संबोधित करने लगता है और उसके संबोधन के बाद ही डिप्टी स्पीकर अपना फैसला सुनाकर चलता बने है और विपक्ष को न तो बोलने दिया गया और ना ही चर्चा करने दिया गया,मतलब ऐसा लगा जैसा कि इस सदन में विपक्ष मौजूद हीं नहीं है तो वहीं सुप्रीम कोर्ट भी तुरंत बिना देर किये अपनी कार्यवाही शुरू कर दिया जो कि बुधवार तक के लिए अपनी सुनवाई टाल दिया,हालांकि बाद में विपक्ष भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया,जिसे विवादित घटनाक्रम में शामिल कर लिया गया।

वहीं अब इमरान खान की सांस अटकती हुई दिख रही है चूंकि कप्तान साहब शायद सुप्रीम कोर्ट को भूल गए थे और वे राष्ट्रपति तक हीं सीमित रह गए, लेकिन उन्हें समझना चाहिए था कि बाजवा भी अंतिम दम तक लड़ेंगें और जैसा कि साफ दिखाई भी दे रहा है कि विपक्ष तो मोहरा भर है असल खिलाड़ी तो आर्मी चीफ बाजवा हीं है,जबकि बाजवा खुद को इस पूरे घटनाक्रम से दूर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन सब जानते हैं कि खिलाड़ी “बाजवा” हीं है।

अब जब आर्मी चीफ बाजवा का नाम आ हीं रहा है तो कयासबाजी शुरू हो गई है कि पाकिस्तान में एक बार फिर सेना तख्तापलट की कार्यवाही कर सकती है,हालांकि पाकिस्तान की सियासत में तख्तापलट का लंबा इतिहास रहा है। बताते चले कि पाकिस्‍तान में अब तक 4 बार तख्‍तापलट हुआ है। जिसमें पहला तख्‍तापलट वर्ष 1953-54,उसके बाद 1958 में,1977 और फिर साल 1999 में तख्‍तापलट हुआ है। वहीं साल 1999 में कारगिल की जंग के बाद पाक में तख्‍तापलट हुआ था। उस घटना में तत्‍कालीन पाक आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को हटाकर सत्‍ता हासिल कर ली थी।

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