एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

युक्रेन को लेकर पुतिन ने युरोपिय संघ पर हाइपरसोनिक मिसाइल दागने का दिये धमकी, वहीं अमेरिका और युरोपिय संघ ने भी रूस को चेताया – राकेश पांडेय (स्पेशल एडिटर)


नाटों सैनिक (फाईल फोटो)

माॅस्को। इस समय युक्रेन को लेकर रूस और अमेरिका के साथ युरोपिय संघ भी आमने-सामने है,रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को नाॅटों को चेताते हुए साफ किया कि अगर यूक्रेन में नाॅटो ने लक्ष्मण रेखा पार की तो रूस को मजबूरन जवाब देना पड़ेगा। वहीं अमेरिका व ब्रिटेन ने भी रूस को यूक्रेन के खिलाफ सैन्य आक्रमकता के लिए चेतावनी दी है।

बताते चले पुतिन ने मास्को में इन्वेस्टमेंट फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि उम्मीद है कि सभी पक्ष सामान्य समझ का परिचय देंगे। लेकिन, हम उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटों) को चेता देना चाहते हैं कि अगर यूक्रेन की सीमा में घातक हथियार तैनात किए गए तो मास्को सात से 10 मिनट के भीतर हाइपरसोनिक हथियारों को छोड़ देगा। इसके बाद की स्थितियों की कल्पना की जा सकती है।

इस दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने यह भी साफ किया कि उनके देश ने हाल ही में समुद्र आधारित हाइपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण में सफलता हासिल की है, जो अगले साल से सेवा में होगी। उन्होंने यह भी कहा, ‘रूस यह महसूस करता है कि सीमा के पास बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास किए जा रहे हैं,इनमें से कई तो अनियोजित हैं। इसी कड़ी में आगे भी उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में काला सागर के ऊपर सीमा से करीब 20 किलोमीटर दूर बम वर्षकों ने उड़ान भरी, ये घातक हथियार थे,परमाणु हथियार भी हो सकते हैं।’

वहीं, यूक्रेन की सीमा पर सैन्य तैनाती बढ़ाने के मुद्दे पर वाशिंगटन में नाटों की बैठक में रूस को कोई नया आक्रामक कदम नहीं उठाने अथवा परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी गई है। इस दौरान ब्रिटेन व जर्मनी भी अमेरिकी चेतावनी के साथ दिखे। उधर,नाटों के महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि रूस का इरादा साफ नहीं है।

उल्लेखनीय है कि इधर कुछ दिनों से युक्रेन के सीमा के करीब रुसी फौज पूरे लाव लश्कर के साथ मौजूद हैं तो वहीं पोलैंड की सीमा पर शरणार्थीयों का भारी जमावाड़ा है जिसके वजह से युरोपिय संघ का रूस के खिलाफ गुस्सा सातवें आसमान पर है,दरअसल युरोपिय संघ का मानना है कि शरणार्थी संकट रूस और बेलारूस की देन हैं और यूक्रेन पर रूसी फौज कभी भी हमला कर सकती हैं जिस वजह से युरोपिय संघ और अमेरिका इस समय नाटों को पूरी ताकत के साथ संभावित संघर्ष क्षेत्र में डटें रहने का निर्देश दिया है, जिस वजह से रूस भढ़का हुआ है।

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