इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

रूस-यूक्रेन जंग के बीच चौंकाने वाला दावा आया सामने, खुलासे में कहा गया कि रूस के खिलाफ यूक्रेन की मदद में ताइवानी फोर्स भी लड़ाई में है शामिल


ताइवानी सैनिक,सांकेतिक तस्वीर!

कीव/ताइपे। रूस-यूक्रेन जंग के बीच एक चौंकाने वाला दावा सामने आया है,जिसमें कहा गया है कि इस साल बीते 24 फरवरी को जब रूसी सेना ने यूक्रेन पर हमला किया जिसके बाद हीं यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमिर जेलेंस्की ने विदेशी वालंटियर्स से इस जंग में यूक्रेन की मदद करने के लिए अपील की थी। जहां इस अपील के बाद ही दुनिया के कई देशों के साथ-साथ ताइवान से भी काफी लोग रूस के खिलाफ यूक्रेन की फौज की तरफ से लड़ने के लिए पहुंच गए।

दरअसल,इस साल बीते 24 फरवरी से अबतक लगातार यूक्रेन रूसी हमलों का सामना कर रहा है। जिसे देखकर ऐसा अनुमान है कि इसी तरह का खतरा ताइवान पर भी मंडरा रहा है। क्योंकि आए दिन चीन की एयरफोर्स अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर क्रास कर ताइवान की सीमा में घुस जाती है। इस वजह पूर्वी यूरोप की तरह ही दक्षिण-पूर्वी एशिया में भी युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं।

ऐसे में ताइवानी सैनिकों का मकसद है कि यूक्रेन युद्ध के जरिए वो उन सभी वॉर लेसन को हासिल कर सके,जो चीन से युद्ध के दौरान काम आए। वहीं,एक मीडिया रिपोर्ट्स में ताइवानी सोल्जर के हवाले से दावा किया गया कि काफी संख्या में ताइवानी सैनिक इस युद्ध में शामिल हैं। जो कि चीन से संभावित युद्ध को देखते हुए वॉर प्रैक्टिस पर हैं।

गौरतलब है कि चीन ताइवान को अपना ही एक प्रांत मानता है। चीन का मानना है कि एक दिन ताइवान फिर से चीन का हिस्सा बन जाएगा। ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है,जिसका अपना संविधान है और वहां लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार का शासन है।

बताते चले कि ताइवान पश्चिमोत्तर प्रशांत महासागर में पूर्वी और दक्षिण चीन सागर के जंक्शन पर स्थित एक आइलैंड है,जिसे पहले फोरमोसा के नाम से जाना जाता था। ये दक्षिण पूर्व चीन के तट से लगभग 100 मील की दूरी पर है। ताइवान हांगकांग के उत्तर-पूर्व में, फिलीपींस के उत्तर में और साउथ कोरिया के दक्षिण में और जापान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण ही ताइवान और उसके आसपास कुछ भी होने पर वह पूरे पूर्वी एशिया को प्रभावित कर सकता है।

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