इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

“सीक्रेट-ऑपरेशन”का बड़ा दावा, इमरान की हुकूमत के दौरान देश की सुरक्षा के नाम पर चीन के साथ मिलकर 3850 करोड़ रुपये से अधिक के बड़े “रक्षा घोटाले” को दिया गया अंजाम, इसीलिए बीजिंग इमरान को बचाने में था सक्रिय,जांच को दबाने की हो रही कोशिश – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


साभार- (सोशल मीडिया)

बीजिंग/इस्लामाबाद। यूं तो इस साल के हाल के महिनों में पाकिस्तानी सियासत पूरे उफान पर थी,जहां काफी नौटंकी होने के बाद आखिर अंत में इस साल के अप्रैल माह में बीते 9 अप्रैल की रात में शहबाज शरीफ की जीत हुई और उन्हें पाकिस्तान की गद्दी नसीब हुई और वें पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ भी लिये,लेकिन इन सबके बीच एक और हैरान कर देने वाली रिपोर्ट भी सामने आई जिसे अब दबाने की पूरी कोशिश की जा रही,दरअसल इमरान खान की सरकार के दौरान चीन के साथ पाकिस्तान की रक्षा मंत्रालय ने भारतीय रूपये में 3850 करोड़ की डिफेंस डील की थी। जिसमें “सीक्रेट-ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह को विदेशी सूत्रों द्वारा जानकारी मिली है कि पाकिस्तान की यह डिफेंस डील “घोटाले” की भेंट चढ़ चुकी हैं,और पाकिस्तान की नई सरकार को इस घोटाले के बारे में बखूबी जानकारी भी है,जहां कि इसकी जांच की पूरी तैयारी भी थी कि इसी बीच बीजिंग व आर्मी चीफ जनरल बाजवा के दबाव के चलते इस जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।


साभार- (सोशल मीडिया)

बताते चले कि किसी समय पाकिस्तान सैन्य संसाधन व अन्य रक्षा आपूर्ति के लिए अमेरिका पर निर्भर रहा करता था लेकिन जबसे भारत-अमेरिकी संबंधों में नजदीकियां बढ़ती गई, और तभी से पाकिस्तान,अमेरिका से दूर होता गया,हालांकि यह दूरी तो उसी समय बढ़ गई थी जब पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षण किया था। जहां वह इस दौरान चीन पर रक्षा आपूर्ति को लेकर बहुत ही अधिक निर्भर हो गया,यानि इस समय पाकिस्तान 74% सैन्य संसाधनों एवं हथियारों को लेकर चीन पर निर्भर हो गया है। हालांकि इसमें तत्कालीन पाकिस्तानी सरकारे और वहां की संबंधित अफसरशाही चीन के साथ इस रक्षा खरीददारी में घोटाले से नहीं चूकते थे,लेकिन इस पर इतना तवज्जह नहीं दिया जाता था।

लेकिन इमरान खान की सरकार के दौरान इन रक्षा संसाधनों की चीन के साथ डील में इतना जबरदस्त घोटाला हुआ है जो कि पाकिस्तान के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है,दरअसल सूत्रों का कहना है कि इस साल के शुरुआत में यानि जनवरी महिने में इमरान खान सरकार ने चीन से माउंटेड हाॅवित्जर तोपें और नोरिंकों AR-1 300 मिमी मल्टी बैरल रॉकेट लांचर की आपूर्ति ले चुका है। जिसकी डील 2019 में की गई थी। जहां इन हथियारों की भारतीय रूपयों में कीमत 3850 करोड़ है,इसके अलावा चीन ने DF-17 हाइपरसोनिक मिसाइल भी देने के लिए डील किया हुआ हैं।

जनरल बाजवा साभार-(सोशल मीडिया)

जबकि इसके पहले बीजिंग ने बीते वर्ष में 2021 में पाकिस्तान को टाइप -054 युद्धपोत की भी आपूर्ति कर चुका है,जिसकी कि वर्ष 2017 में हीं डील हुई थी। इस चीनी युद्धपोत के बारे में बताया जाता है कि इसका निर्माण चीनी कंपनी “चाइना स्टेटशिप बिल्डिंग कारपोरेशन लिमिटेड(CSBS) करती है,इसकी खासियत यह है कि यह दुश्मन की रडार के पकड़ से दूर रहती है,यानि इसे रडार नहीं पकड़ सकता है,इसके अलावा उच्च स्तर के रडार सिस्टम से लैश होने के साथ-साथ लंबी दूरी की मिसाइल फायर करने की क्षमता से भी युक्त है।

दरअसल,इमरान खान जब सत्ता में आये तो वे पाकिस्तान की अवाम को यह दिखाने की कोशिश किये कि वह पाकिस्तान की सुरक्षा के प्रति कितना गंभीर है,चूंकि भारत पहले से ही डिफेंस डील में पाकिस्तान की अपेक्षा आगे था तो ऐसे में पाकिस्तानी हुकूमत के उपर भी दबाव था कि वह कितना गंभीर है ? इसी के चलते पाकिस्तान ने चीन के साथ डिफेंस डील के लिए अपने खजाने का दरवाजा खोल दिया,लेकिन इस खजाने का लाभ अकेले बीजिंग ने नहीं लिया बल्कि पाकिस्तानी हुकूमत के अलावा रक्षा संसाधनों के खरीददारी से जुड़े पाकिस्तान सेना व अन्य पाक अधिकारियों ने भी भरपूर लाभ लिया यानि पाकिस्तान की अवाम की गाढ़ी कमाई को बाहर वालो के साथ मिलकर घर वालों ने भी खूब लूटा।

इतना ही नहीं इन सभी (पाकिस्तानी पक्ष) ने चीन की इन रक्षा कंपनियों के साथ मिलकर जमकर कमीशनखोरी की तथा इन चीनी सैन्य संसाधनों,हथियारों की खूबियों को कागजों तक हीं सीमित रखने में चीन की मदद की मतलब सीधे-सीधे कह सकते हैं कि अपनी जेब भरने के चक्कर में पाकिस्तानी हुकूमत के अलावा वहां के सैन्य अफसरों के अतिरिक्त अन्य लोगों ने भी इन “चीनी हथियारों” की बगैर गहराई से जांच किये उसे NOC दे दिया। वहीं सूत्रों का कहना है कि इन चीनी हथियारों की गुणवत्ता जितनी कागजों में दर्शायी गई है उतनी है नहीं।

यानि इमरान खान की सरकार के दौरान देश की सुरक्षा के नाम पर पाकिस्तान के सरकारी खजाने का मुंह खोल दिया और चीन के साथ मिलकर जमकर लूट की गई,हालांकि इसकी पूरी खबर वहां के विपक्ष को भी थी और विपक्ष पूरे मूड़ में थी कि जब भी उसकी हुकूमत बनती है तो सबसे पहले इसी की जांच होगी। चूंकि पाकिस्तान के इतिहास में यह अब तक सबसे बड़ा घोटाला था। इसी बीच जब इस साल सत्ता परिवर्तन के लिए पाकिस्तान में सियासी लड़ाई शुरू हुई तो “विदेशी साजिश” के मुद्दे को इमरान खान ने जैसे ही उछाला तुरंत चीन सामने आ गया,यही नहीं चीन यहां तक भी तैयार हो गया कि यदि इस साजिश में अमेरिका शामिल हैं तो वह खुलकर इमरान खान की मदद करेगा,और किया भी। अब यहां दो महत्वपूर्ण बात गौर करने के लायक है,पहला-पाकिस्तान के इतिहास में चीन ने उसकी आंतरिक राजनीति में इसके पहले कभी नहीं हस्तक्षेप किया तथा दूसरा-अमेरिका के बहाने वह इमरान खान की इसलिए पूरी ताकत के साथ मदद में था चूंकि पाकिस्तान में इमरान खान के पहले किसी भी हुकूमत ने आंख मूंदकर चीन के लिए पाकिस्तानी खजाने के दरवाजे का मुंह नहीं खोला था यानि इमरान खान की सरकार ने चीन को इतना धनलाभ दिया कि चीन की पूरी मंशा बन गई थी कि हुकूमत में इमरान खान लंबे समय तक बना रहे,जबकि गौर करने के लायक यह बात भी है कि चीन-पाकिस्तान आपस में पहले से ही गहरे मित्र देश है,यानि खुलकर सामने आने की जरूरत नहीं थी कि लेकिन फिर भी चीन इमरान को फेवर कर रहा था।

वहीं सूत्रों की माने तो सूत्र बताते है कि शहबाज शरीफ जैसे ही चार्ज लिए,बिना देर किये इमरान खान की सरकार के दौरान चीन के साथ किये गये डिफेंस डील की सभी फाईलों को पुट अप किये और उसका अध्ययन भी शुरु कर दिये कि इसी बीच शिष्टाचार भेंट के बहाने पाक फौज के चीफ जनरल बाजवा दल-बल सहित शहबाज शरीफ से मिलने पहुंच गये,जहां पर शहबाज को बाजवा की तरफ से यह कहा गया कि उस फाइल को बंद करने में हीं पाकिस्तानी अवाम की भलाई है,जहां पर शहबाज ने भी मौन सहमति जताई है। चूंकि सत्ता परिवर्तन से पहले आर्मी चीफ बाजवा ने सार्वजनिक रूप से अमेरिका के पक्ष में कई बाते रखी थी। यानि उन्होंने अमेरिका को पाकिस्तान के हितो के लिए सर्वोपरि माना। क्योंकि बाजवा के इस बयान के पहले इमरान खान खुलेआम विदेशी साजिश के मुद्दे में अमेरिका का नाम घसीट रहे थे,इसीलिए बाजवा सामने आकर यह साबित करने की कोशिश किये कि इमरान खान के बयान से पाक फौज का कोई सरोकार नहीं है।

वहीं बात जब चीन की आती है तो बीजिंग सत्ता परिवर्तन होते ही यू टर्न लेता दिख रहा है। फिलहाल,घोटाले से संबंधित फाईल ठंडे बस्ते में रख दिया गया है,लेकिन सूत्रों की रिपोर्ट और विश्लेषण साफ-साफ संकेत दे रही हैं कि पाकिस्तान के इतिहास में यह सबसे बड़ा “रक्षा घोटाला” है,जिसे कि इमरान खान की सरकार और तमाम पाकिस्तानी फौजी अफसरों के साथ-साथ तमाम अन्य पाक अधिकारियों ने चीन के साथ मिलकर पाकिस्तान की सुरक्षा के नाम पर अंजाम दिया है,मतलब कि अवाम की गाढ़ी कमाई पर डाका डाला है,अब जब नई सरकार जांच करना चाहती है तो उसके सामने तमाम गंभीर चुनौतियां दिख रही है जिसमें पहली समस्या चीन है,दरअसल पाकिस्तान कभी नहीं चाहेगा कि बीजिंग के साथ कई दशकों का संबंध प्रभावित हो,फिलहाल फाईल एक कोने में रख दी गई है।

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