
कजाकिस्तान में जारी हिंसक संघर्ष के दौरान (फाईल फोटो)
अल्माटी/मास्को। कजाकिस्तान में गैस की बढ़ी कीमतों को लेकर शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन अब भयानक स्थिति में पहुँच गया है और यह हिंसक संघर्ष अब पूरे देश को अपने आगोश में ले लिया है,इस दौरान सीक्रेट ऑपरेशन न्यूज पोर्टल समूह को कुछ ऐसा आभास हो रहा है कि इस हिंसा को भढ़काने में रूस के दुश्मन खुफिया ऐजेंसियों का भी हाथ हो सकता है। बता दें कि इस समय कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासम झोमार्ट ने पूरे देश में आपातकाल का ऐलान कर दिया है।
बताते चले कि इस हिंसक संघर्ष के दौरान प्रदर्शनकारियों ने कई सरकारी इमारतों को आग लगा दी है और इस हिंसक झड़प में अब तक 8 सुरक्षाकर्मियों की भी जान चली गई है। हालात इतनी खतरनाक स्थिति में पहुँच गया है कि रूस को सेना भेजना पड़ गया।

वहीं कजाकिस्तान के गृह मंत्रालय की ओर से कहा जा रहा है कि इस हिंसा में अब तक 8 पुलिस अधिकारी और नैशनल गार्ड के सदस्य मारे गए हैं और कम से कम 300 अन्य लोग घायल हो गए हैं। उधर, राष्ट्रपति कासम झोमार्ट ने प्रण किया है कि वह अशांति को हर हालत में कुचल देंगे और पूरे देश में दो सप्ताह के लिए आपातकाल की घोषणा की है। राष्ट्रपति ने बीती रात रूसी सुरक्षा ब्लॉक से अपील की थी कि वह इस हिंसा को समाप्त करने में तत्काल रूसी सेना भेजे। राष्ट्रपति ने इस हिंसक प्रदर्शन को खतरनाक आतंकी खतरा करार दिया है।
इससे पहले हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद सरकार ने इस्तीफा दे दिया था,जिसे कजाखस्तान के राष्ट्रपति कासम झोमार्ट ने प्रधानमंत्री अस्कार मामिन के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया था। फिलहाल हालात अभी भी बेकाबू है।
लेकिन कजाकिस्तान के इस पूरे घटनाक्रम को गंभीरता से विश्लेषण करने और विदेशी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह इस नतीजे पर पहुंचा है कि कजाकिस्तान के इस ताजे हिंसक संघर्ष के बहाने रूस को डायवर्ट को करने की बड़ी कोशिश हो रही है और इस पूरे मिशन को अंजाम देने में रूस के दुश्मन खुफिया ऐजेंसियों की कोई सीक्रेट मिशन हो सकती है। चूंकि कजाकिस्तान में रूसी फौज अब दाखिल हो चुकी है,लेकिन फिर भी वहां के हालात अभी भी बेकाबूं है। तो ऐसे में रूस का अचानक डायवर्ट होना रूस के दुश्मनों की बड़ी चाल हो सकती है। दरअसल,बीते कुछ महिनों से यूक्रेन सीमा पर रूसी सेना की भारी तैनाती होने के कारण और यूक्रेन-रूस के बीच जारी तनाव से अमेरिका सहित पूरा यूरोपीय संघ सतर्क और सशंकित थे,कि कहीं रूस के साथ भयानक युध्द ना छिड़ जाये,यहां तक कि इस दौरान परमाणु हमलें की भी धमकी दोनों तरफ से एक दूसरे को दी जा रही थीं यानि तनाव अपने चरम पर था,इसी दौरान यूरोपीय देशों की कई खुफिया ऐजेंसियों ने भी जनवरी के अंतिम सप्ताह में रूस द्वारा यूक्रेन पर घातक हमला करने की चेतावनी भी दी थी। इसलिए इस संभावना को बल मिलता है कि कजाकिस्तान में जारी संघर्ष एक प्रायोजित सीक्रेट मिशन का हिस्सा हैं जो कि रूस को यूरोप से हटाकर यहां उलझाया जा रहा है,और इस पूरे कार्यवाही को रूस की दुश्मन खुफिया ऐजेंसी बहुत ही सफाई से किसी सीक्रेट प्लान के तहत इस मिशन को अंजाम दे रही है।
