चीनी युध्दपोत (फाईल फोटो)
कैनबरा। ताइवान का साथ छोड़कर चीन के साथ जाने के कारण सोलोमन द्वीप समूह में पिछले कुछ दिनों से जारी हिंसक झड़प के दौरान अब इस प्रांत के प्रमुख ने कहा है कि उनका देश ताइवान के साथ राजनयिक संबंध वापस स्थापित करने जा रहा है,अगर प्रधानमंत्री को अगले हफ्ते के अविश्वास मत के बाद उनके पद से हटा दिया जाता है।
बताते चले कि सोलोमन द्वीप पर सरकारी नीतियों के खिलाफ जनता पिछले महीने से हिंसक प्रदर्शन कर रही है। नवंबर में हिंसक विरोध, लूटपाट और अगजनी जैसे घटनाओं के चलते देश में भारी तनाव पैदा हो गया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सोलोमन के प्रधानमंत्री मनश्शे सोगावरे ने 2019 में चीन को मान्यता देने के लिए ताइवान के साथ देश के राजनयिक संबंधों को खत्म करके मलाइता के नेताओं सहित कई लोगों को नाराज किया था। सुइडानी ने कहा कि यह फैसला जनता से परामर्श किए बिना लिया गया था।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते सोलोमन द्वीप में भारी हिंसक विरोध हुआ था क्योंकि आर्थिक मुद्दों पर तनाव लंबे समय से बरकरार था। इस झड़प में आंदोलनकारियों द्वारा संसद पर चढ़ाई की कोशिशों के बाद दंगाई भीड़ ने तीन दिनों तक हिंसा की,जहां चाइनाटाउन इलाके का अधिकतर हिस्सा मलबे में तब्दील हो गया और भीड़ ने प्रधानमंत्री मनासेह सोगवारे के आवास को भी जलाने की कोशिश की,इस दौरान सुइडानी ने तनाव को शांत करने के लिए ‘राष्ट्रीय संवाद’ का आह्वान किया और कहा कि हिंसा के लिए अर्थव्यवस्था और भूमि अधिकार जैसे घरेलू मुद्दे जिम्मेदार हैं, न कि विदेशी हस्तक्षेप।
उल्लेखनीय है कि अभी तक सोलोमन आईलैंड ताइवान को मान्यता दे रखा था पर अब ताइवान की जगह चीन को समर्थन देना शुरू कर दिया है। जहां इस निर्णय के विरूद्ध सोलोमन द्वीप वासी भढ़क गए और प्रधानमंत्री का भारी विरोध शुरु कर दिया। अब इस नए कदम से द्वीप वासी आशंकित हैं कि चीनी महत्वाकांक्षा का ओशियाना क्षेत्र में भी विस्तार हो सकता है और इस नए कदम से द्वीप वासियों को मिल रही पुरानी सहायता भी बंद हो सकती है।
लेकिन अब लग रहा है कि जल्द सोलोमन द्वीप अपने पुराने साथी के तरफ लौटेगा और चीन का यह मिशन फेल होते दिख रहा है।