पुतिन (फाईल फोटो)
मॉस्को। रूस-यूक्रेन के बीच जारी भीषण जंग पिछले 50 दिनों से लगातार जारी है,जो कि खत्म होने का नाम हीं नहीं ले रहा है। कि इसी बीच यूरोप पर एक और घातक संकट घिरता दिख रहा है,रिपोर्ट आ रही है कि रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने अमेरिका और यूरोपीय यूनियन को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर फिनलैंड या स्वीडन नाटों में शामिल होने का फैसला करते हैं तो रूस बाल्टिक देशों और स्कैंडिनेविया के करीब परमाणु हथियारों की तैनात करेगा, बता दें कि बीते दो दिन पहले ही फिनलैंड और स्वीडन ने नाटों में शामिल होने की चर्चाएं तेज कर दी थी,जहां इस रिपोर्ट को सामने आते ही रूसी फौज पूरी तैयारी के साथ फिनलैंड के बार्डर पर पहुंचकर वार ड्रिल शुरू कर दी है, जो कि अभी तक लगातार जारी है।
बता दें कि वर्ष 2008 से 2012 तक रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति मेदवेदेव ने टेलीग्राम पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि यदि ये देश नाटों में शामिल हो गए तो यह नाटों सदस्यों के साथ रूस की भूमि सीमा को दोगुना से अधिक कर देगा। ऐसे में स्वाभाविक रूप से,हमें इन सीमाओं को सुदृढ़ करना होगा।
इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति ने आगे यह भी कहा है कि इस मामले में बाल्टिक नॉन-न्यूक्लियर स्थिति के बारे में और बात करना संभव नहीं होगा। संतुलन बहाल करना होगा। रूस इस क्षेत्र में परमाणु हथियार तैनात करने का हकदार होगा। रूस अपने जमीनी बलों और हवाई सुरक्षा के समूह को गंभीरता से मजबूत करेगा और फिनलैंड की खाड़ी में महत्वपूर्ण नौसैनिक बलों को तैनात करेगा।
वहीं क्रेमलिन की तरफ से भी दावा किया जा रहा है कि इस बारे में कई बार बात की गई है और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नाटों की बढ़ती सैन्य क्षमता के कारण हमारे पश्चिमी हिस्से को मजबूत करने पर एक आदेश जारी किया है।
उधर,फिनलैंड और स्वीडन दोनों में सार्वजनिक और राजनीतिक राय में नाटकीय रूप से यू-टर्न लेने की पुष्टि की गई है,जहां इस बीच फिनलैंड की तरफ से कहा गया है कि इस सप्ताह तय होगा कि नाटों सदस्यता के लिए हफ्तों के भीतर आवेदन करना है या नहीं और स्वीडन भी सदस्यता पर चर्चा कर रहा है।
बताते चले कि रूस नहीं चाहता कि ऐसे देश नाटों में शामिल होकर रूस की सुरक्षा को चुनौती दे, इसीलिए यही सबसे बड़ी वजह रही कि रुस को यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़ना पड़ा,जिसे लेकर रूसी राष्ट्रपति पुतिन की तरफ से कई बार कहा गया है। फिलहाल, रूस-यूक्रेन के बीच जारी भीषण लड़ाई को 50 दिन बीत चले है लेकिन अभी तक रुसी फौज यूक्रेन में अपने टास्क को पूरा करने में असफल रही है। अब सवाल उठता है कि रूस जब यूक्रेन को अभी तक जीत नहीं सका तो क्या गारंटी है कि वह दुनिया के अन्य देशों से उलझने में अपने को सुरक्षित कर सकेगा ?