तालिबानी आतंकी (फाईल फोटो)
काबुल। ना खाने को राशन बचा,ना दवाई मिल रही है और ना ही रोजगार है बस आंखों में आंसू और एक मदद का इंतजार है वो भी बेसब्री से,लेकिन सुने कौन ? और मदद करे कौन ? ये दर्द है अफगानिस्तान में फंसे उन 212 भारतीयों का, ये सभी काबुल के गुरुद्वारा साहिब में शरण लेकर रह रहे हैं, लेकिन वहां पर उनके लिए लंगर तक समाप्त हो चुका है। बताते चले कि अफगानिस्तान से दो महीने पहले आए भारतीय लगातार मांग कर रहे हैं कि उनके परिजनों को वहां से निकाला जाएं,लेकिन अभी तक इस पर भारत सरकार के तरफ से कोई कार्यवाही होती नहीं दिख रही है।
अब इन गैर अफगानी भारतीयों की यही मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से उन सभी को पंजाब लाकर उन्हें दीपावली का तोहफा दिया जाए।
अफगानिस्तान से आए भारतीयों की रिश्तेदार मीना देवी कहती हैं कि ज्यादातर परिवार 1989 में अफगानिस्तान से भारत आकर बस गए थे। मगर बाद में माहौल ठीक हुआ तो वह लोग दोबारा वहां जाकर काम करने लगे। अब उनके कई परिवार वहां रहकर काम कर रहे हैं और यहां पर उनके कई रिश्तेदार भी हैं। वह लोग सर्दी के मौसम में पंजाब आया करते थे और दो से तीन महीने यहां अपने परिवारों के बीच रहकर वापस चले जाते थे।
गौरतलब है कि 15 अगस्त को हुए सत्ता परिवर्तन के बाद से अफगानिस्तान में हालात बेहद खराब हो गए हैं। पंजाबी भारतीयों को वहां पर परेशान किया जा रहा है। हमेशा दहशत बनी हुई हैं कि कब क्या हो जाए ? अभी भी अफगानिस्तान में 212 लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें वहां से लाया जाना बहुत जरूरी है।