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मुंबई/नई दिल्ली। 26 नवंबर का जब भी जिक्र आता है, तत्काल हर भारतीय के दिल-दिमाग में 26/11 को मुंबई में हुए आतंकी हमले का वह भयावह दृश्य पर छा सा जाता है। उस आतंकी घटना को घटे आज पूरे 13 साल हो गए,आज ही के दिन यानि 26/11/2008 को जब पाकिस्तान का आतंकी संगठन “लश्कर-ए-तैयबा” के 10 खूंखार आतंकियों ने मुंबई के ताज होटल पर हमला कर दिया था और 4 दिनों में 12 हमलों को अंजाम दिया था। ताजमहल पैलेस होटल, नरीमन हाउस, मेट्रो सिनेमा और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस सहित अन्य स्थानों पर हुए हमलों में 15 देशों के 166 लोग मारे गए थे।
जिसके बाद तत्कालीन भारत सरकार ने पाकिस्तान को साक्ष्ययुक्त तमाम डोजियर दिये, उम्मीद भी किया गया कि पाक इस पर कुछ कार्यवाही करेगा, अफसोस हर बार की तरह इस बार भी वहीं जवाब मिला भारत को कि इस घटना में पाकिस्तान का किसी भी तरह का कोई हाथ नहीं है और ना ही इसमें किसी पाकिस्तान के नागरिक की कोई संलिप्तता साल है, जहां बाद में बहुत दबाव पड़ने पर पाकिस्तान ने कुछ लोगों को थोड़े दिनों के लिए नजरबन्द कर दिया, कुछ आरोपपत्र भी वहां के अदालतों में पेश किये गये जो कि प्रभावहीन थे। मतलब कुछ हुआ नहीं।
अब यहां साफ कर दे कि देश में जब इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकार हुआ करती थी तो देश के दुश्मनों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही हुआ करती थी, जिसमें खालिस्तान मूवमैंट प्रमुख था जिसे इंदिरा गांधी ने कुचल के रख दिया,उस समय देश के पूर्वी-उत्तरी राज्यों में भी तमाम आतंकी संगठनें सामने आई जो कि कुचल दी गई,इन सभी आॅपरेशन के पीछे “रा” की भूमिका अहम थी। बाद में राजीव आये आॅपरेशन माॅरीसस जिसमें कि अमेरिका जैसे देशों ने हाथ खड़े कर लिये थे,लेकिन राजीव ने माॅरीसस की भरपूर मदद की और सफल रहे।
यहां यह भी बता दें कि इंदिरा और राजीव के जमाने में देश के पास तब तत्कालीन अत्याधुनिक हथियार या अन्य युध्द से जुड़े संसाधन नहीं थे फिर भी भारत ने उस समय चीन के नाक के नीचे से सिक्किम छीन लिया, पाकिस्तान को अलग करते हुए बांग्लादेश स्थापित कर दिया,मतलब उस समय राष्ट्रीय सुरक्षा में जरा सा भी समझौता नहीं किया गया, वो भी बिना किसी तत्कालीन युद्धक संसाधन के और आज हमारे पास दुनिया के हर संसाधन है, फिर भी हम तमाम आतंकी घटनाएं झेले और आज भी झेल रहे हैं,आज 32 साल से लगातार हमारा कश्मीर आतंकी घटनाओं को हर दिन,हर महिना,हर साल झेल रहा है,जिसके पीछे देश का बड़ा फंड कश्मीर सुरक्षा में नुकसान हो रहा है और हम बजाय जवाबी कार्यवाही के सिर्फ और सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय दबाव के सहारे पाकिस्तान से उम्मीद करते हैं कि वो अपने यहां आतंकी गतिविधियों को रोकेगा,और कार्यवाही करेगा।
कुल मिलाकर जब तक हम इजरायल की सुरक्षा पध्दति का अनुसरण नहीं करेंगे तब तक हम ऐसे ही आतंकी हमले झेलते रहेंगें।