सांकेतिक तस्वीर।
वाशिंग्टन। अमेरिका में चीन के जासूसी गुब्बारे को लेकर बवाल अभी थमा भी नहीं था कि इसी बीच शुक्रवार को अमेरिका के आसमान में एक बार से एक और संदिग्ध फ्लाइंग ऑब्जेक्ट नजर आया। हालांकि,अलास्का के ऊपर उड़ रहे इस ऑब्जेक्ट को अमेरिकी एयरफोर्स के F-22 रैप्टर फाइटर एअरक्राफ्ट ने मार गिराया। वहीं,अमेरिकन नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी के हवाले से दावा किया गया कि 40 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहे इस ऑब्जेक्ट की रफ्तार 64 किमी प्रति घंटे थी। इससे कॉमर्शियल फ्लाइट्स को खतरा था। वहीं, इसके आबादी के ऊपर गिरने की आशंका भी थी।
बताया जा रहा है कि इस संदिग्ध आॅब्जेक्ट की रिपोर्ट सामने आते हीं भावी खतरे को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसे शूट करने का तुरंत आदेश दिए थे। जहां पेंटागन के प्रवक्ता जनरल पैट राइडर ने बताया कि अटैक के बाद फ्लाइंग ऑब्जेक्ट टूटकर समुद्र में जा गिरा। इसका कुछ मलबा रिकवर हुआ है, जिसे जांच के लिए लैब भेजा जा रहा है। फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि यह बैलून था, ड्रोन था या कुछ और ? यह ऑब्जेक्ट कहां से आया और इसका मकसद क्या था ? अमेरिकी एजेंसियां इसका पता लगाने की कोशिश रही हैं।
फिलहाल,अभी तक फ्लाइंग ऑब्जेक्ट की कोई तस्वीर सामने नहीं आई है। पैंटागन के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने बताया कि F-22 फाइटर ने उस वस्तु को मार गिराने के लिए AIM-9X मिसाइल का इस्तेमाल किया। यह फ्लाइंग ऑब्जेक्ट लगभग एक छोटी कार के आकार का था। स्पाई बैलून से काफी छोटा था। शुरुआती जांच में अमेरिकी अधिकारियों को फ्लाइंग ऑब्जेक्ट में सर्विलैंस इक्विपमेंट नहीं होने का अनुमान है। बताया जा रहा है कि इस आॅपरेशन को अंजाम देने से पहले अलास्का के डेडहॉर्स के ऊपर अमेरिकी एयरस्पेस के करीब 10 स्क्वायर मील के हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया गया था। दावा है कि यह ऑब्जेक्ट अलास्का के ऊपर 64 किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ रहा था। जो कि नॉर्थ पोल की तरफ जा रहा था। तभी इसे फाइजर जेट ने मार गिराया। अमेरिका के डिफेंस डिपार्टमेंट के अधिकारी ने कहा कि फ्लाइंग ऑब्जेक्ट समुद्र में गिरने पर टुकड़ों में टूट गया।
मालूम हो कि अमेरिका के मोंटाना शहर में बीते 2 फरवरी को चीनी स्पाई बैलून नजर आया था। जहां 5 फरवरी को अमेरिकी वायुसेना ने कैरोलिना तट के पास F-22 फाइटर जेट से इसे मार गिराया था। वहीं,अमेरिका की इस कार्रवाई पर चीन ने सख्त ऐतराज जताया था। चीन ने कहा था कि बैलून तबाह करके अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है। इस दौरान अमेरिका ने कार्रवाई करते हुए चीन की 6 कंपनियों को ब्लैकलिस्ट भी कर दिया।