
ओसामा बिन लादेन, फोटो साभार -(सोशल मीडिया)
नई दिल्ली। 2 मई 2011 को जब खूंखार आतंकी संगठन “अल कायदा” चीफ “ओसामा बिन लादेन” के मारे जाने की रिपोर्ट सामने आई तो पूरी दुनिया तहलका मच गया,उस समय यह विश्वास से परे की खबर थी, लेकिन जब अमेरिका ने इस आपरेशन को लेकर मीडिया ब्रीफिंग किया तब जाकर इस घटनाक्रम का पटाक्षेप हुआ। जहाँ इस दौरान इस अमेरिकी अभियान के बारे में दुनिया भर में जिज्ञासायें बढ़ गई मसलन लादेन को ट्रेस कैसे किया गया यानि इस तरह के कई और सवालों की खोज में पूरी दुनिया जुट गई।
जहां इस संबंध में “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह ने उस समय के तमाम रिपोर्ट्स का तथा अन्य स्रोतों के गहन अध्ययन व विश्लेषण के उपरांत इस नतीजे पर पहुंचा कि अमेरिका के इस मिलिट्री आपरेशन की सफलता में पेंटागन से लेकर CIA के पसीने छूट गए थे। इतना ही नहीं लादेन के सर्च आपरेशन में पेंटागन ने पानी की तरह पैसा बहाया लेकिन सफलता के नाम पर सिर्फ और सिर्फ जीरो हीं हासिल रहा, लेकिन वह वक्त भी आया जब दशकों की तलाश खत्म हुई और आतंक के इस पर्याय लादेन का अंत भी हुआ।
दरअसल, 2001 के खतरनाक हमले को अंजाम देने के बाद लादेन पूरी तरह से भूमिगत हो गया था। जिसे ट्रेस करना CIA के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा था। दशकों के कड़ी मशक्कत के बाद अमेरिकी ऐजेंसियों के हत्थे लादेन का एक जासूस चढ़ गया फिर क्या था उसने जो लीड दी बस उसी के जरिये CIA ने ओसामा के एक बाडी गार्ड को पाकिस्तान के पेशावर में स्पाट किया और उसे फालो करते हुए पाकिस्तान के उस समय हाई मिलिट्री जोन एबटाबाद में एक संदिग्ध घर को ट्रेस कर लिया। जहाँ इस घर की निगरानी बढ़ा दी गई, यहां तक कि इस पर अमेरिकी सेटेलाइटों ने पूरी फिल्डींग लगा दी, जिससे स्थितियां और भी साफ होने लगी।
इसी कड़ी में अमेरिका का ह्यूमन इंटेलिजेंस भी लगातार सक्रिय रहा। जहां अगले कुछ महिनों में यह लगभग तय हो गया कि अमेरिका का सबसे मोस्ट वांटेड आतंकी ओसामा इसी घर को अपना परमानैंट ठिकाना 2005 से ही बना रखा है। यहां लादेन अपने एक छोटे से परिवार के साथ रहता था, जिसमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे। रिपोर्ट्स बताती है कि लादेन इस घर में किसी भी तरह का कोई संपर्क से संबंधित उपकरणों का इस्तेमाल नही करता था, यानि फोन, मोबाइल या इंटरनेट जैसे माध्यमों से दूर था।
जब सबकुछ साफ हो गया तब अमेरिकी ऐजेंसियों को लादेन के DNA की जरूरत महसूस हुई जिसके लिए एक डाक्टर को उस इलाके में आम लोगों के लिए फ्री में वैक्सीनेशन के लिए भेजा गया जो किसी तरह से लादेन के बच्चो का DNA सैंपल लेने में सफल रहा और इसी टेस्ट के बाद यह पूरी तरह से साफ हो गया कि लादेन यहां मौजूद है, जहां पेंटागन ने लादेन के खिलाफ एक स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन प्लान किया,जिसे अमेरिकी सील कमांडो ने 2 मई 2011 की आधी रात में बखूबी अंजाम दिया। यानि बिना किसी नुकसान के इस अभियान को अमेरिका ने पूरा कर लिया, जो कि अमेरिका के लिए सदी की बड़ी सफलता थी।
वहीं इस आपरेशन की रिपोर्ट जैसे ही सामने आई पाकिस्तान सवालों के घेरे में खड़ा हो गया, मतलब अमेरिका का मोस्ट वांटेड इस आपरेशन से करीब 6 साल पूर्व से लगातार पाकिस्तान में रह रहा था और पाकिस्तान को भनक तक नहीं लगी, लेकिन अमेरिका इस विषय में पाकिस्तान को नहीं घेरा, यही कारण था कि इस घटनाक्रम में पाकिस्तान की दोहरी भूमिका साफ हो गई, यानि एक तरफ तो वह लादेन को आफ रिकार्ड शरण भी दिया और दूसरी ओर अमेरिकी अभियान का विरोध भी नहीं किया। यहीं कारण कि पाकिस्तान के इस भूमिका को लेकर आज भी ससपेंस बरकरार है।
फिलहाल, बराक ओबामा के लीडरशिप में अमेरिकी ऐजेंसियों ने अपने इस टास्क को बिना किसी नुकसान के सफलता पूर्वक पूरा किया, जो कि अमेरिका के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। लेकिन विशेषज्ञ अमेरिका के इस कामयाबी पर कई तरह के सवाल उठाते रहे हैं साथ में पाकिस्तान पर भी। वहीं इस्लामाबाद इस मामले में खुद को एक संदिग्ध की भूमिका के दाग से आज तक बेदाग साबित नहीं कर सका।
