इस्राइल के राष्ट्रपति रुवन रिवलिन ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को देश की बिखरी हुई संसद में सरकार का गठन करने का मुश्किल काम सौंपा है। भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे पीएम नेतन्याहू को संसद में बहुमत परीक्षण के लिए एक और मौका मिला है। राष्ट्रपति ने माना कि 120 सीटों वाली कीसेट (इस्राइल संसद) में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं है लेकिन नेतन्याहू के पास थोड़ी अधिक संभावना है।
राष्ट्रपति रिवलिन ने अपने एलान के दौरान यह भी स्वीकार किया कि कई लोग मानते हैं कि नेतन्याहू अपनी कानूनी समस्याओं में घिरे होने के चलते सेवा करने के योग्य नहीं हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि नेतन्याहू को प्रधानमंत्री के रूप में काम करने से रोकने के लिए कानून में कुछ भी नहीं है। ऐसे में नवनिर्वाचित संसद में 13 दलों के साथ परामर्श के बाद राष्ट्रपति ने माना कि नेतन्याहू के पास नई सरकार के गठन के लिए प्रत्याशी बनने का सबसे अच्छा अवसर है।
राष्ट्रपति ने कहा, किसी भी उम्मीदवार के पास देश की सरकार बनाने का वास्तविक मौका नहीं है, लेकिन नेतन्याहू के पास थोड़ी अधिक संभावना है और इसीलिए मैंने उन्हें काम सौंपने का फैसला किया है। नेतन्याहू के पास अपने मुकदमे के दौरान गठबंधन बनाने के लिए छह सप्ताह तक का समय है। वह सरकार गठन के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्त समय भी मांग सकते हैं।
देश को पांचवें चुनाव में झोंकने से बचें
इस्राइल में पिछले दो साल से भी कम समय में चार बार चुनाव हो चुके हैं, लेकिन 23 मार्च को हुए चुनाव में कोई भी दल बहुमत का आंकड़ा नहीं छू सका है। ऐसे में राष्ट्रपति रुवन रिवलिन ने कहा कि नई संसद की जिम्मेदारी बहुत बड़ी है क्योंकि देश को अब एक और पांचवें चुनाव में झोंकने से बचना चाहिए।
52 सांसदों ने की सिफारिश
इस्राइली राष्ट्रपति द्वारा किए गए परामर्श में 52 सांसदों ने नेतन्याहू के नाम की सिफारिशें कीं। पूर्व वित्त मंत्री यार लैपिड की 45 सांसदों और पूर्व रक्षा मंत्री नफ्ताली बैनेट की सात सांसदों वाली पार्टी ने उनके नाम की सिफारिश की है। बता दें कि नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार व रिश्वत के मामले चल रहे हैं लेकिन अब तक उन पर आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं। जबकि नेतन्याहू ने उन पर लगे आरोपों से इनकार किया है।