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टारगेट थे कश्मीरी पंडित, गलतफहमी में मारा गया सेल्स मैन, दो दिन पहले की घटना में नया मोड़ आया सामने – रविशंकर मिश्र (एडिटर इन आॅपरेशन)


घाटी में सर्च ऑपरेशन के दौरान जवान (फाईल फोटो)

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में दो दिन पहले आतंकियों ने जिस स्थानीय कश्मीरी मुस्लिम सेल्समैन को गोली मारी थी ,अब इस आतंकी घटना में दूसरा मोड़ आ गया है। इस घटना में एक मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से दावा किया जा रहा है कि आतंकियों का टारगेट सेल्स मैन नहीं बल्कि दुकान का मालिक कश्मीरी पंडित था, लेकिन गलती से हमलें के दौरान आतंकियों ने सेल्समैन को हीं कश्मीरी पंडित समझ कर उसको गोली मारकर हत्या कर दी। की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कश्मीरी पंडित दुकानदार को घटना के दिन हीं स्थानीय पुलिस ने उनपर होने वाले संभावित हमले के बारे में आगाह किया था और दुकान छोड़ने की सलाह दी थी।

दुकान के मालिक कश्मीरी पंडित संदीप मावा ने एक मीडिया साक्षात्कार में बताया कि उनके सेल्समैन मोहम्मद इब्राहिम खान की हत्या आतंकियों ने शाम को 8 बजे के करीब कर दिया था। मावा ने यह भी कहा कि,घटना के दिन स्थानीय पुलिस ने उन्हें बताया कि उनके पास एरिया में हमला होने के इनपुट हैं। उन्होंने मुझे सलाह दी कि मैं घर चला जाऊं। पुलिस की चेतावनी के बाद,मावा उसी समय दुकान से निकल गए थे।

बताया जा रहा है कि संदीप की दुकान सामान्य तौर पर हर रोज शाम को 7 से 7.30 तक खुली रहती है। घटना के दिन ग्राहकों की ज्यादा भीड़ थी और इसी वजह से सेल्समैन इब्राहिम 8 बजे तक दुकान पर था। फिर उसे संदीप ने फोन करके दुकान बंद करने के लिए कहा जिसके बाद दुकान बंद करके सेल्स मैन कार में जैसे ही बैठा ठीक उसी समय आतंकियों ने उसे कश्मीरी पंडित समझकर गोली मार दी। गोली लगने के बाद इब्राहिम को अस्पताल ले जाया गया जहां पर उसकी मौत हो गई।

इस घटना के संबंध जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि संदीप मावा को संभावित हमले के बारे में पुलिस ने पहले ही अलर्ट कर दिया गया था और दुकान के मालिक को दो अत्याधुनिक असलहों से लैश PSO उपलब्ध करा दिया गया था। उधर संदीप संबंधित अधिकारी के बातों की पुष्टि करते हुए बताया कि उन्हें दो PSO करीब 1.5 महीने पहले अलॉट ही मिल चुके थे।

उल्लेखनीय है कि श्रीनगर के बोहरी कादल इलाके में संदीप के पिता रोशन लाल मावा जो कि कश्मीरी पंडित थे,वर्ष 1990 में घाटी में गदर के दौरान वो घाटी छोड़कर चले गए थे। फिर उन्होंने साल 2019 में कश्मीर में वापस आने के बाद दोबारा अपने किराने की दुकान फिर खोली थी जो कि अब इस दुकान को उनके बेटे संदीप संभाल रहे हैं।

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