
पाक आर्मी चीफ जनरल बाजवा (फाईल फोटो)
काबुल/इस्लामाबाद। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है,जिस तरह की रिपोर्ट सामने आ रही है उससे अब यही समझ में आ रहा है कि किसी भी समय दोनों देशों के बीच भयानक जंग छिड़ सकती है। बता दें कि दोनों देशों के बीच सीमा (डूरंड लाइन) समेत कई विवाद हैं। जिसे लेकर दोनों देशों के बीच कई बार सैन्य झड़पें भी हो चुकी है। जहां इसी कड़ी में पाकिस्तानी फौज ने अफगानिस्तान में मौजूद तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की है। जिसमें अफगानिस्तान के आम नागरिक टारगेट हुए हैं,इस हमलें में मासूम बच्चे और महिलाएं भी हताहत हुए हैं। अब ऐसे में अफगान तालिबान का आक्रोश बेहद चरम पर है जो कि पाकिस्तान के लिए भारी मुसीबत साबित हो सकती है।
दरअसल,अफगानिस्तान के डिफेंस मिनिस्टर मुल्ला मोहम्मद याकूब ने सोमवार को इस्लामाबाद को कड़ी चेतावनी देते हुए साफ लहजे में सख्त धमकी भरे अंदाज में कहा कि पाकिस्तान के हवाई हमलों का करारा जवाब दिया जाएगा। पड़ोसियों के हमले को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
वहीं अन्य मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान ने 16 अप्रैल को पूर्वी अफगानिस्तान के खोस्त और कुनार प्रांतों में एयरस्ट्राइक की थी। 40 से ज्यादा लोग मारे गए थे। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने डूरंड लाइन पर भी फायरिंग की थी। तालिबान ने इसका जवाब दिया था।
उधर,अफगान तालिबान चीफ मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब ने भी कह दिया कि हम दुनिया और पड़ोसी देशों की तरफ से चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। कुनार हमला इसका सबूत है। हम अब तक इसलिए चुप थे,क्योंकि हमें अपने राष्ट्रीय हित देखने थे,लेकिन अब यह सहन नहीं किया जाएगा।
इधर,अफगान तालिबान की धमकी के जवाब में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों देशों में शांति के लिए पाकिस्तान,अफगानिस्तान से लंबे समय तक संबंध बनाए रखना चाहता है। दोनों देशों के बीच भाईचारे वाला संबंध था। सरकारें और लोग दोनों ही आतंकवाद को गंभीर खतरे के रूप में देखते हैं और लंबे समय से इससे पीड़ित रहे हैं। इसलिए जरूरी है कि दोनों ही देश बातचीत से विवाद सुलझाएं। हम इसके लिए सहयोग करने को तैयार हैं।
बताते चले कि इसी महीने के बीते 16 अप्रैल को पूर्वी अफगानिस्तान में जो हमला हुआ,उसे लेकर पाकिस्तान ने कोई बयान नहीं दिया। हालांकि, वहां के मीडिया का कहना है कि एयरस्ट्राइक के जरिए TTP पर हमला किया गया था। चूंकि, TTP पाकिस्तान में लगातार हमले कर रहा है और अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत TTP पर लगाम कसने के बजाए इसे पाकिस्तान का अंदरूनी मामला बता रही है। पिछले साल नवंबर में पाकिस्तान सरकार और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने एक महीने के सीजफायर का ऐलान किया था। पाक सरकार की तरफ से TTP के लड़ाकों को छोड़ने की भी बात कही गई थी। हालांकि जब इमरान सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया तो TTP ने एकतरफा सीजफायर तोड़ कर पाकिस्तान पर हमले शुरू कर दिए। अब इमरान सत्ता में नहीं हैं।
इस बीच यह भी जानकारी सामने आई है जिसमें बताया गया है कि तालिबानी प्रशासन ने पाकिस्तान के राजदूत को तलब करके हवाई हमलों के खिलाफ विरोध दर्ज कराया था। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि पाकिस्तानी हमले में अफगानिस्तान के 36 से ज्यादा लोग मारे गए थे। संयुक्त राष्ट्र की बच्चों से जुड़ी संस्था ने कहा था कि पाकिस्तानी सेना के हमले में 20 बच्चे मारे गए थे। दरअसल,तालिबान के आने से पहले भी अफगानिस्तान की सरकारों ने साफ तौर पर कहा था कि वो डूरंड लाइन को मानने के लिए तैयार नहीं हैं।
जबकि,पाकिस्तान ने कई मौकों पर कहा कि वो दोनों देशों के बीच मौजूद डूरंड लाइन को ही असली सीमा रेखा मानता है, लेकिन अफगानिस्तान की किसी भी हुकूमत ने अब तक डूरंड लाइन को मान्यता नहीं दी है। इसी को लेकर तालिबान और पाकिस्तान के बीच कई बार गतिरोध हो चुका है और सीमा पर हालात तनावपूर्ण हैं।
