एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

भारतीय ऐजेंसियों की कड़ी निगरानी एवं सख्त विरोध के चलते श्रीलंका ने चीन के सबसे शक्तिशाली जासूसी जहाज को लौटाया वापस, दुश्मन का यह शिप भारत को पहुंचा सकता था भारी नुकसान – हेमंत सिंह/नित्यानंद दूबे


सांकेतिक तस्वीर।

बीजिंग/कोलंबो। चीन-ताइवान तनाव के बीच चीन के जासूसी जहाज को श्रीलंका ने वापस लौटा दिया,इस दौरान कोलंबो ने साफ किया कि चीन अपने जासूसी जहाज युआन वांग 5 के आगमन को टाल दे। बता दे कि चीन का यह जहाज 11 अगस्त को श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह आने वाला था। जहां यह 6 दिन रुकने के बाद यह जासूसी जहाज श्रीलंका से अज्ञात स्थान की ओर प्रस्थान करने वाला था। वहीं चीन के इस मिशन के खुलासे के बाद भारतीय ऐजेंसियां सतर्क हो गई और इस जहाज के श्रीलंका आने को लेकर भारतीय अधिकारियों ने श्रीलंका के सामने कड़ा विरोध जताया था। शुरू में तो श्रीलंका ने भारत के अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब दबाव बढ़ने लगा तो उसने चीन को चिठ्ठी लिखकर जहाज के आगमन को टालने का अनुरोध कर दिया है।

बताया जा रहा है कि चीन का यह युआन वांग 5 जहाज बेहद शक्तिशाली जासूसी जहाज है। यह स्पेस और सैटेलाइट ट्रैकिंग के अलावा इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल के लॉन्च का भी पता लगा सकता है। यह युआन वांग सीरीज का तीसरी पीढ़ी का ट्रैकिंग जहाज है,जिसे 29 सितंबर 2007 को चीनी नेवी के सेवा में शामिल किया गया था। इस जहाज में बहुत शक्तिशाली एंटीना लगे हैं जो उसे लंबी दूरी तक निगरानी करने में मदद करते हैं। कहा जा रहा है कि इस जहाज द्वारा अरब सागर में जासूसी करने से भारत और अमेरिका की टेंशन बढ़ सकती थी। जबकि हिंद महासागर में ही अमेरिका का नौसैनिक अड्डा डियागो गार्सिया मौजूद है।

इतना ही नहीं इसके हंबनटोटा आने से दक्षिण भारत के हवाई क्षेत्र में सेंध लगने का भी खतरा था। यह भारत के कुडनकुलम न्यूक्लियर प्लांट की भी जासूसी कर सकता था। ऐसे में भारत ने इसके आगमन को लेकर कड़ा विरोध जताया था। भारत के हवाई क्षेत्र की निगरानी कर वह सैन्य उड़ानों पर नजर रख सकता है। इससे चीन को महत्वपूर्ण डेटा मिल सकता है,जो भारत की सुरक्षा को खतरे में डाल देता।

इसी घटनाक्रम में भारत ने कहा था कि वह अपनी सुरक्षा और आर्थिक हितों के मद्देनजर हर घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। वहीं,भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के हवाले से यह रिपोर्ट किया गया कि भारत को खबर मिल चुकी थी कि अगस्त में यह चीनी पोत श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पहुंचने वाला है। ऐसे में भारत सरकार देश की सुरक्षा और आर्थिक हितों को देखते हुए हर घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं और उनकी रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी।

फिलहाल,भारतीय ऐजेंसियों की सतर्कता से दुश्मन का यह सीक्रेट मिशन फेल हो गया और वह अपने सबसे ताकतवर जासूसी शिप को वापस लौटाने के लिए मजबूर हो गया,शायद भारतीय इतिहास में यह पहला ऐसा मौका होगा जब चीन के इस तरह के हरकत को समुंदर में करारा जवाब दिया गया जबकि इससे पहले अक्सर यह रिपोर्ट सामने आती रही है कि चीन के पोत,सबमरीन मनमाने ढंग से हिंद महासागर से होकर पाकिस्तान के कराची बंदरगाह तक बिना किसी रोक-टोक आते-जाते रहे हैं और श्रीलंका भी जाते रहे हैं। लेकिन इस ताजे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया कि अब भारत जरूरत पड़ने पर दुश्मन को हर फ्रंट पर जबरदस्त काउंटर करेगा।

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