एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

चीन-ताइवान के बीच जारी भीषण तनातनी के दौरान अमेरिकी नेवी के आॅपरेशनल हेड ने चीन को पहली बार धमकाते हुए कहा कि हम अपने मित्र देशों के साथ खड़े है – राकेश पांडेय/गौरव बरनवाल


सांकेतिक तस्वीर।

वॉशिंगटन। चीन-ताइवान के बीच जारी भीषण तनातनी के दौरान पहली बार अमेरिका के तरफ से चीन को धमकाने का बयान सामने आया है। बता दे कि अमेरिकी नौसेना के ऑपरेशनल हेड एडमिरल माइक गिल्डे ने चीन से जारी चौतरफा तनाव को लेकर भारत की जमकर तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि भारत भविष्य में चीन का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि चीन से तनाव के दौरान भारत, अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार साबित होगा। अगर चीन ताइवान की ओर बढ़ता है तो अमेरिका और जापान का मजबूत प्रतिरोध पहले से ही मौजूद है।

दरअसल,माइक गिल्डे ने गुरुवार को वाशिंगटन में हेरिटेज फाउंडेशन के इन-पर्सन सेमिनार में कहा कि मैंने किसी अन्य देश की तुलना में भारत की यात्रा पर अधिक समय बिताया है,क्योंकि मैं उन्हें भविष्य में हमारे लिए एक रणनीतिक भागीदार मानता हूं। माइक गिल्डे अक्टूबर 2021 में पांच दिवसीय यात्रा पर भारत आए थे। इस दौरान उन्होंने भारत के नौसेना प्रमुख समेत रक्षा क्षेत्र के कई महत्वपूर्ण हस्तियों से मुलाकात भी की थी।

इसी क्रम में गिल्डे ने आगे भी कहा कि हिंद महासागर का क्षेत्र हमारे लिए तेजी से महत्वपूर्ण होता जा रहा है। तथ्य यह है कि भारत और चीन के बीच वर्तमान में उनकी सीमा पर थोड़ी-बहुत झड़प है और यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भी है। वे अब चीन को न केवल दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य की ओर देखने के लिए मजबूर कर रहे हैं, बल्कि उन्हें अब भारत की ओर भी देखना होगा। दरअसल, लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा संघर्ष बीजिंग के लिए दो मोर्चों पर समस्या है। ऐसे में यह अमेरिकी रणनीतिकारों को खूब लुभा भी रहा है।

इसके पहले भी इस साल के बीते जून में,जब क्वाड देशों के नेता जापान में बैठक कर रहे थे,तब पेंटागन के पूर्व अधिकारी एलब्रिज कोल्बी ने एक मीडिया समूह से बातचीत में कहा था कि भारत,ताइवान पर स्थानीय लड़ाई में सीधे योगदान नहीं देगा,लेकिन यह हो सकता है चीन का ध्यान हिमालय की सीमा की ओर आकर्षित करें। इसका मतलब साफ है कि अगर चीन ने ताइवान की तरफ कोई हिमाकत की तो भारत भी लद्दाख मोर्चे को फिर से खोल सकता है। ऐसे में चीन को टू फ्रंट वॉर जैसे हालात को झेलना होगा। लेकिन,लद्दाख के बेरहम माहौल से निपटना चीन के लिए आसान नहीं होगा। फिलहाल,ताइवान,जापान,भारत और आस्ट्रेलिया का चीन के साथ तनाव जारी है जिसमें ताइवान को लेकर चीन कुछ ज्यादा ही आक्रामक है।

अमेरिका और जापान को भारत की जरूरत
डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान 2018 में अमेरिका की नेशनल डिफेंस स्ट्रैटजी के प्रमुख लेखक कोल्बी ने कहा कि अमेरिका और जापान को भारत की जरूरत है। वह दक्षिण एशिया में जितना संभव हो सके उतना मजबूत हो और प्रभावी रूप से चीन का ध्यान आकर्षित करे ताकि उनके सामने एक बड़ी दूसरी समस्या खड़ी हो जाए। उन्होंने यह भी कहा कि इस बीच ताइवान के चारों ओर अमेरिका और जापान के मजबूत गठबंधन का सामना करने में चीन की कठिनाइओं से भारत को भी समान लाभ मिलने वाला है। चीन अगर दक्षिण चीन सागर में उलझेगा तो उसका ध्यान तिब्बत से हट सकता है।

भारत-अमेरिका युद्धाभ्यास का मकसद जानें
अक्टूबर में भारत और अमेरिका के बीच उत्तराखंड में युद्ध अभ्यास नाम की पर्वतीय एक्सरसाइज भी होने वाली है। इसे संभावित दूसरे मोर्चे को रेखांकित करने के तौर पर देखा जा रहा है। यह वार्षिक अभ्यास 18 से 31 अक्टूबर तक उत्तराखंड के पर्वतीय इलाके औली में होगा, जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 3,000 मीटर से अधिक है। इस जगह की दूरी एलएसी से करीब 100 किलोमीटर के आसपास रहने वाली है। भारत ने 2014, 2016 और 2018 में भी युद्ध अभ्यास नाम की इस एक्सरसाइज की मेजबानी की थी। ये सभी अभ्यास उत्तराखंड के विभिन्न जगहों पर ही हुए हैं, जिनकी दूरी चीन की सीमा से 300 किलोमीटर के अंदर है।

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