इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

रूस के “वोस्टाॅक 2022” ज्वाइंट मिलिट्री ड्रिल में बहुत ही सावधानी से शामिल हुआ भारत, फिर भी अमेरिका चिंतित – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


सांकेतिक तस्वीर।

मॉस्को। रूस-यूक्रेन के बीच जारी भीषण जंग के दौरान रूस के एक नए ऐलान ने दुनिया भर के तमाम देशों को टेंशन में डाल दिया है जिनमें भारत भी शामिल है। दरअसल,रूस ने अपने सहयोगी देशों की सेनाओं के साथ “वोस्टाॅक” मिलिट्री ड्रिल किये जाने का निर्णय लिया है जो कि 1 सितंबर से 7 सितंबर तक जारी रहेगा। जहां रूस के इस अभियान को लेकर नाटों और EU बेहद चिंतित है तो वही भारत भी धर्मसंकट में है।

बता दे कि “वोस्टॉक-2022” में हिस्सा लेने वाले देशों में भारत, चीन, अल्जीरिया, आर्मेनिया, अज़रबैजान, बेलारूस, कज़ाख़स्तान, कीर्गिस्तान, लाओस, मंगोलिया, निकारागुआ, सीरिया और ताजिकिस्तान भी शामिल हैं। अब इसमें भारत के लिए सबसे बड़ी टेंशन यह है कि उसके जानी दुश्मन चीन के साथ न चाहते हुए भी उसे इस ड्रिल में शामिल होना पड़ा। शायद यही वजह थी कि भारत ने इस सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए भारतीय सेना की गोरखा राइफ़ल्स के सैनिकों की एक टुकड़ी भेजा है। जहां इस दौरान भारत के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस सैन्य अभ्यास का उद्देश्य भाग लेने वाले सैन्य दल और पर्यवेक्षकों के बीच बातचीत और समन्वय कायम करना है। रक्षा मंत्रालय ने आगे यह भी कहा कि इस अभ्यास के दौरान संयुक्त क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास, युद्ध चर्चा और गोलाबारी का अभ्यास किया जाएगा।

लेकिन अमेरिका ने इस ड्रिल को लेकर अपनी चिंता जताते हुए साफ किया है कि “किसी भी देश का रूस के साथ अभ्यास करना अमेरिका के लिए चिंताजनक है क्योंकि रूस ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ अकारण युद्ध छेड़ा है। इतना ही नहीं आगे यह भी कहा गया कि भाग लेने वाले प्रत्येक देश को ख़ुद निर्णय लेना है।

वहीं,विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका का वोस्टॉक में कई देशों के हिस्सा लेने पर चिंता जताने का कुछ भी मतलब नहीं है क्योंकि अमेरिका इसके सिवा और कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। विशेषज्ञों ने आगे यह भी साफ किया कि
जहाँ तक भारत का सवाल है, रूस और अमेरिका दोनों के साथ उसकी भागीदारी है। जहां एक तरफ़ भारत ने यूक्रेन के मुद्दे पर एक सावधान रुख़ अख़्तियार किया है और रूस और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की निंदा नहीं की है। वहीं दूसरी तरफ़ भारत ने देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता और राजनयिक समाधान की ज़रूरत के बारे में बात करके ख़ुद को थोड़ा दूर भी कर लिया है।

लेकिन कुछ अन्य विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध के दौरान रूस पश्चिमी देशों को ये बताने की कोशिश कर रहा है कि यूक्रेन युद्ध के बावजूद कई वफ़ादार मित्र देश आज भी उसके साथ खड़े हैं जो एक बड़े सैन्य अभ्यास में शामिल होने से नहीं कतराते।

रिपोर्ट है कि इस ड्रिल में पैराट्रूपर्स और वायु सेना सहित अन्य इकाइयां अपनी लड़ाकू तत्परता का परीक्षण रूस के 13 सैन्य प्रशिक्षण मैदानों के साथ साइबेरिया, सुदूर पूर्वी संघीय ज़िले, ओखोत्स्क सागर और जापान सागर में करेंगी। ऐसे में यह अनुमान हैं कि वोस्टॉक सैन्य अभ्यास में क़रीब 50,000 सैनिक हिस्सा ले रहे हैं और इसमें 140 लड़ाकू विमान और 60 युद्धपोत शामिल हैं। चूंकि भारत ने केवल अपनी थल सेना की टुकड़ी इस सैन्य अभ्यास में भेजी है तो ये भी साफ़ है कि भारत इस सैन्य अभ्यास के समुद्री पहलू में हिस्सा नहीं लेगा। ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि भारत इस ड्रिल में बहुत ही सावधानी के साथ शामिल हुआ है इसीलिए वह अपनी नौसेना को इस ड्रिल में शामिल नहीं किया। क्योंकि प्रशांत क्षेत्र के संदर्भ में और जापान के साथ संबंधों को देखते हुए भारत का इस सैन्य अभ्यास के नौसैनिक पहलू में हिस्सा न लेना बताता है कि वो उस सब से ख़ुद को दूर कर रहा है जो रूस और चीन कर रहे हैं।

बता दे कि बीते अगस्त महीने की शुरुआत में शुरू हुआ भारत और अमेरिका की स्पेशल फ़ोर्सेज़ का “वज्र प्रहार” नाम का संयुक्त सैन्य अभ्यास हिमाचल प्रदेश के बकलोह में 28 अगस्त को ख़त्म हुआ। आगामी अक्तूबर महीने में भारत और अमेरिका की सेनाएं उत्तराखंड के औली में 10,000 फ़ीट की ऊंचाई पर “युद्ध अभ्यास” नामक सैन्य अभ्यास करेंगी और ये सैन्य अभ्यास भारत और चीन की सीमा से क़रीब 100 किलोमीटर दूर होगा।

साथ ही 19 अगस्त को ऑस्ट्रेलिया में शुरू हुए सैन्य अभ्यास ‘पिच ब्लैक’ में भारतीय वायु सेना हिस्सा ले रही है। ये सैन्य अभ्यास 8 सितम्बर तक चलेगा। पिच ब्लैक अभ्यास को रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयर फ़ोर्स आयोजित करती है और ये एक द्विवार्षिक, बहु-राष्ट्रीय अभ्यास है। इस वर्ष के अभ्यास में 16 देशों की वायु सेनाओं के 100 से अधिक विमान और 2500 सैन्यकर्मी भाग ले रहे हैं। भारत ने इस अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए 100 से ज़्यादा वायु सैनिक भेजे हैं जिन्हें चार सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू और दो सी-17 विमानों के साथ तैनात किया गया है।

फिलहाल,रूस-यूक्रेन जंग के बीच जहां दुनिया तीनों गुटों में बंटी हुई है,यानि एक अमेरिकी गुट और दूसरा रूस रही बात तीसरे गुट की जो गुट निरपेक्ष दल का नेतृत्व कर रहा है उसमें भारत लीड रोल में है। लेकिन इस जंग ने भारत का कदम-कदम पर अग्नि परीक्षा लिया गया जिसमें भारत बहुत ही विवेकपूर्ण तरीके से इस परीक्षा में सफल होता गया। रही बात इस वोस्टाॅक ड्रिल की तो भारत इसमें भी बहुत ही सावधानी के साथ शामिल हुआ है, क्योंकि भारत इसमें सिर्फ अपनी थल सेना का गोरखा रेजिमेंट को ही शामिल किया है। अब रही बात अमेरिका की तो वह इस ड्रिल को लेकर दो तरह के चिंता से परेशान है पहला कि इस ड्रिल में उसके कई पार्टनर देश भी इसमें शामिल हैं दूसरा कहीं पुतिन तीसरे विश्वयुद्ध की तैयारी में तो नहीं हैं ? अब इस ड्रिल के काउंटर में अमेरिका आगे क्या निर्णय लेता है ? यह तो आने वाला वक्त हीं बता सकता है। फिलहाल, अभी कुछ कहना मुश्किल है।

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