एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

इजरायल ने कयो कहा कि अमेरिका साथ नही देगा तो हम अकेले ही ईरान पर हमला करेंगें ? – हेमंत सिंह (स्पेशल एडिटर)

दरअसल इजरायल कभी नहीं चाहता कि उसका कोई भी दुश्मन देश परमाणु शक्ति संपन्न बने, इसके लिए इजरायल जरूरत पड़ने पर अपने दुश्मन देश पर हर तरह से हमला कर सकता है और रही बात अमेरिका की तो इजरायल इतना जरुर समझ गया है कि अमेरिका के नये राष्ट्रपति बाइडेन से ईरान के विरूद्ध मदद की अपेक्षा नहीं की जा सकती इसलिए इजरायल ने ऐसा बयान जारी किया है , पेश है यह रिपोर्ट –
इजराइल ने साफ कर दिया है कि उसे एटमी ताकत से लैस ईरान किसी कीमत पर मंजूर नहीं है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू के करीबी कैबिनेट मंत्री जाची हेंग्बी ने कहा- अगर अमेरिका ईरान के खिलाफ हमारा साथ नहीं देता, या उससे कोई डील करता है तो हमें इसकी फिक्र नहीं है, इजराइल अकेले ईरान पर हमला करके उसके एटमी ठिकाने तबाह कर देगा।
इजराइली मंत्री का बयान अमेरिकी की जो बाइडेन सरकार को मैसेज माना जा रहा है। दरअसल, 2015 में बराक ओबामा के दौर में अमेरिका और ईरान के बीच न्यूक्लियर डील हुई थी। 2017 में जब ट्रम्प राष्ट्रपति बने तो उन्होंने इसे रद्द कर दिया। अब बाइडेन सत्ता में आए हैं। वे एक बार फिर ईरान के खिलाफ नर्म रुख अपनाने के संकेत दे रहे हैं। इजराइल सरकार इससे खुश नहीं है।

इजराइल ही करेगा फैसला
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में इजराइली मंत्री ने कहा- अमेरिका कभी ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को निशाना नहीं बनाएगा। अब ये फैसला इजराइल को करना है कि ईरान के एटमी ठिकानों पर हमला करना चाहिए या नहीं। ईरान के एटमी प्रोग्राम के वजह से मिडल-ईस्ट में तनाव बढ़ रहा है। इसकी एक वजह अमेरिकी सत्ता में बदलाव भी है। ट्रम्प के उलट, बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन ईरान के प्रति नर्म रुख अपना रही है। इजराइल और खाड़ी देश इसका विरोध करते आए हैं।

इजराइल को मजबूर किया जा रहा है
याची ने साफ कहा- इजराइल को मजबूर किया जा रहा है कि वो अकेले इस खतरे से निपटे। अब इजराइल को यह तय करना है कि उसे एटमी ताकत से लैस ईरान चाहिए या नहीं। हो सकता है भविष्य में हमारे पास ईरान पर हमला करने के अलावा कोई रास्ता ही नहीं बचे। ईरान भी जानता है कि उसके पास इजराइल को जवाब देने के बेहद कम ऑप्शन्स हैं। हेंग्बी का बयान इस लिहाज से भी अहम हो जाता है क्योंकि वे पहले होम मिनिस्टर, इंटेलिजेंस चीफ और खुफिया एजेंसी मोसाद को भी लीड कर चुके हैं।

इस बयान के मायने समझिए
ट्रम्प के दौर में अमेरिका ने ईरान के खिलाफ बेहद सख्त रुख अपनाया। ट्रम्प की मंजूरी के बाद ईरान के सबसे बड़े और राष्ट्रपति से ज्यादा लोकप्रिय जनरल कासिम सुलेमानी को इराक में मार गिराया गया। दो न्यूक्लियर साइंटिस्ट तेहरान में मारे गए। अब बाइडेन पुरानी डील लागू करने और ईरान पर नर्म रुख अपनाने के संकेत दे रहे हैं।
ट्रम्प के दौर में इजराइल और अरब देशों के बीच 60 साल पुरानी दुश्मनी खत्म हुई। अब वे काफी करीब आ चुके हैं। अरब देशों के लिए ईरान सबसे बड़ा खतरा है। इजराइल के रूप में अब उनके पास बेहद ताकतवर दोस्त है। इजराइल के लिए भी ईरान बहुत बड़ा खतरा है। इसलिए याची का बयान अमेरिका को उसके सहयोगियों का मैसेज है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *