एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

अफगानी शिक्षकों ने किया ऐलान,हम इसी दृढ़ता के साथ तालिबान से लड़ते रहेंगे – राजेंदर दूबे (स्पेशल एडिटर)

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद महिलओं को डर है कि अब उनके अधिकार छीन लिए जाएंगे। पढ़ने और काम करने जैसे अधिकारों से अब महिलाओं को वंछित रहना पड़ेगा। अफगानिस्तान में शिक्षक लगातार लड़कियों की शिक्षा के लिए संघर्ष कर रही हैं। शिक्षकों का कहना है कि भले ही उनकी जान ही क्यों न चली जाए। लड़कियों की शिक्षा के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। बता दें कि तालिबानी शासन में महिलाओं पर कड़ी पाबंदिया लगाई जाती हैं जिनमें पढ़ाई न करना और घर से बाहर न निकलना शामिल है। हालांकि इस बार तालिबान ने कहा है कि वह महिलाओं को कुछ अधिकार देगा, लेकिन उनकी बातों पर लोगों को भरोसा नहीं है।

तालिबान ने पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों की मांग की है। द टेलीग्राफ यूके से बात करते हुए, कंधार प्रांत के एक शिक्षक ने कहा, “मुझे अपने काम पर गर्व है। मैं इसे कभी नहीं रोकूंगा, भले ही इससे मेरी जान चली जाए।” अफ़ग़ानिस्तान के 13 पिछड़े प्रांतों में 100 से अधिक स्कूल खोलने वाले एक गैर-सरकारी संगठन में काम करने वाली शिक्षिका, महिला शिक्षा के अधिकारों के लिए अभियान चलाती रही हैं।

अफगानी महिलाओं को डर है कि अब जब देश में तालिबान का शासन है तो उनसे उनके अधिकार छीन लिए जाएंगे और उन्हें घर के भीतर रहने के लिए मजबूर किया जाएगा। हालांकि तालिबान ने अपने बयान में कहा है कि वह महिलाओं की शिक्षा को टारगेट नहीं करेगा।

तालिबान ने महिलाओं को काम करने, लड़कियों को स्कूल जाने और सार्वजनिक रूप से असंतुष्टों को मारने या विकृत करने पर रोक लगा दी है। इसने अल-कायदा को भी शरण दी थी, जिसने न्यूयॉर्क और वाशिंगटन पर 11 सितंबर के हमलों की साजिश रची थी।

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, हेरात में तालिबान ने पहले ही विश्वविद्यालयों को अपने पुरुष और महिला छात्रों को अलग-अलग करने के लिए कहा है। तालिबान ने यह भी कहा है कि महिला शिक्षक महिला छात्रों को और पुरुष शिक्षक पुरुष छात्रों को पढ़ाएंगे।

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