एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

हिंदमहासागर में चीन के बढ़ते दखल को रोकने के लिए अमेरिका और भारत का संयुक्त मिशन “बांग्लादेश”-हेमंत सिंह (स्पेशल एडिटर)

ढाका
भारत और अमेरिका ने हिंद महासागर में चीन के बढ़ते सैन्य प्रभाव को कम करने के लिए बांग्लादेश को एक साथ साधना शुरू कर दिया है। एक तरफ जहां भारतीय वायुसेना चीफ आरकेएस भदौरिया ढाका दौरे पर पहुंचे हैं, वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी विदेश मंत्री ने बांग्लादेश के अपने समकक्ष को फोन पर बातचीत की। एशिया में खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की अति सक्रियता से भारत और अमेरिका दोनों चौकन्ने हैं। चीन भी अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए म्यांमार की सैन्य सरकार के जरिए बांग्लादेश तक सड़क मार्ग बनाने की कोशिश में जुटा है।

बांग्लादेश को हथियारों की सप्लाई करेगा भारत
भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया सोमवार को चार दिनों की यात्रा पर बांग्लादेश पहुंचे थे। इस दौरान भदौरिया ने बांग्लादेश की वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करने का प्लान भी है। वे बांग्लादेश के प्रमुख एयरबेसों का दौरा भी करेंगे। बता दें कि एरो इंडिया-2021 के दौरान बांग्लादेश के वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल मसीहुज्जमां सेरनियाबत भारत पहुंचे थे। उन्होंने भारत के स्वदेशी एयरक्राफ्ट तेजस में उड़ान भी भरी थी। भदौरिया अपने इस दौरे पर स्‍वदेशी डिफेंस इक्विपमेंट्स के एक्‍सपोर्ट पर भी बात कर सकते हैं।

अमेरिकी विदेश मंत्री ने भी बांग्लादेश को किया फोन
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने बांग्लादेश के अपने समकक्ष एके अब्दुल मोमन के साथ आर्थिक, रक्षा और आतंकवाद रोधी सहयोग को गहरा करने के तरीकों पर चर्चा की और दोनों नेताओं ने दक्षिण एशिया तथा बृहद् हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चुनौतियां का मिलकर सामना को लेकर भी सहमति व्यक्त की। ब्लिंकन ने मंगलवार को मोमन के साथ फोन पर बातचीत की। इस दौरान दोनों ने म्यांमा में जारी गतिरोध, रोहिंग्या शरणार्थी संकट के स्थायी समाधान और श्रमिक एवं मानवाधिकारों का सम्मान किए जाने की आवश्यकता पर चर्चा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक बयान में बताया कि ब्लिंकन और मोमन ने आर्थिक, आतंकवाद रोधी कदमों तथा रक्षा सहयोग को गहरा करने और जलवायु परिवर्तन जैसी साझा चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करने के तरीकों पर भी चर्चा की।

चीन से बढ़ रही बांग्‍लादेश की नजदीकी
शेख हसीना के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद बांग्‍लादेश के तेवर जरा बदले हैं। अब वह चीन के इन्‍फ्रा प्रॉजेक्‍ट्स को तवज्‍जो दे रहा है। पिछले साल बांग्लादेश ने सिलहट में एयरपोर्ट टर्मिनल का ठेका चीनी कंपनी को दे दिया। जबकि सिलहट भारत की उत्तर-पूर्व सीमा से सटा है और संवेदनशील इलाका माना जाता है। इसकी मदद से चीन भारत के पूरे नॉर्थ ईस्ट इलाके पर नजर रखने का प्लान बना रहा था।

बंगाल की खाड़ी में अपनी उपस्थिति बनाना चाहता है चीन
चीन बंगाल की खाड़ी में भारत को घेरने के लिए हर हाल में अपनी उपस्थिति बनाना चाहता है। यही कारण है कि म्यांमार में सैन्य तख्तापलट की पूरी दुनिया ने आलोचना की लेकिन, चीन ने हर कदम पर म्यांमार की सेना का पक्ष लिया। उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और मानवाधिकार परिषद में म्यांमार सेना की आलोचना करने वाले प्रस्ताव पर वीटो किया था। आंग सांग सू की की सरकार चीन के प्रोजक्ट्स को मंजूरी नहीं दे रही थी, जिससे बांग्लादेश तक चीन के पहुंचने का सपना प्रभावित हो रहा था।

चीन ने बांग्लादेश में किया है 26 अरब डॉलर का निवेश
गौरतलब है कि चीन ने बांग्लादेश में 26 अरब डॉलर का निवेश किया है जबकि 38 अरब डॉलर निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके साथ ही बांग्लादेश उन देशों में शामिल हो गया है, जहां पर चीन ने आधारभूत संरचना में सबसे अधिक निवेश किया है। बांग्लादेश चीन से लगभग 15 बिलियन डॉलर का आयात करता है। जबकि चीन को बांग्लादेश से निर्यात किए जाने वाले वस्तुओं की कीमत आयात के मुकाबले बहुत कम है।

चीन ने बांग्लादेश के 97 फीसदी उत्पादों को टैक्स फ्री किया
भारत के पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक कूटनीति खेलने में जुटे चीन ने बांग्लादेश के 97 फीसदी उत्पादों पर से टैक्स हटाने की घोषणा की थी। चीन के इस बड़े ऐलान से गदगद बांग्लादेश के राजनयिकों ने इसे पेइचिंग और ढाका के संबंधों में मील का पत्थर बताया था। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि मत्स्य और चमड़े के उत्पादों सहित 97 फीसदी वस्तुओं को चीनी टैरिफ से छूट दी गई है।

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