एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

म्यांमार : आंग सान सू को क्यों कहा जाता है आयरन लेडी ? – विजयशंकर दूबे (एडिटर क्राइम)

भारत से सू की का गहरा नाता है, लोकतांत्रिक मूल्‍यों के प्रति गहरी आस्‍था रखने वाली सू की को नोबल शांति पुरस्‍कार और प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू पुरस्‍कार हासिल हो चुका है. 75 साल की आंग सान सू की को म्‍यांमार की ‘आयरन लेडी’ का दर्जा हासिल है. बर्मा यानी म्‍यांमार में लोकतंत्र के लिए उन्‍होंने लंबी लड़ाई लड़ी है और इसके लिए जिंदगी के कई वर्ष उन्‍हें जेल में बिताने पड़े हैं. लंबे संघर्ष के बाद ऐसा लगा था कि सू की अपनी इस जंग में कामयाब हो गई हैं लेकिन सैन्‍य शासन की ओर से की गई उनकी गिरफ्तारी में म्‍यांमार के भविष्‍य को लेकर फिर अनिश्चितता की स्थिति बन गई है.19 जून 1945 को रंगून (यंगून) में पैदा हुईं आंग सान सू की को संघर्ष करने का जज्‍बा विरात में मिला. उनके पिता ने आधुनिक बर्मी सेना की स्‍थापना कि और बर्मा (म्‍यांमार) की स्‍वतंत्रता के लिए बातचीत की लेकिन उनकी हत्‍या कर दी गई. पिता की मौत ने लोकतांत्रिक मूल्‍यों के प्रति सू की के जज्‍बे को और मजबूत किया और इसके लिए उन्‍होंने कई वर्षों की यातना सहीं.

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