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श्रीनगर। एक तरफ घाटी में टारगेट किलिंग की बढ़ती घटनाओं से परेशान हो चुकी इंटेलीजेंस ऐजेंसियों के सामने अब दूसरी बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है, क्योंकि आतंकियों की भर्ती और स्थानीय युवाओं के गायब होने की बड़ी रिपोर्ट सामने आई है। जो कि एक भारतीय ऐजेंसियों के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। हालांकि,ऐजेंसियां इस चुनौती से निपटने के लिए सतर्क हो गई हैं। बता दे कि इस साल के बीते पांच महीने में लगभग 50 आतंकियों की भर्ती हुई है। वहीं तीन दर्जन से ज्यादा युवा गायब हैं,जिनके भी आतंकी संगठनों के साथ जुड़ने की आशंका है।
वहीं,सैन्य सूत्रों की तरफ से दावा किया गया है कि मुख्य रूप से दक्षिण कश्मीर में लोकल रिक्रूटमेंट बढ़ रहा है। कहा जा रहा है कि जो युवा गायब हैं उनकी उम्र 18 से 25 साल के बीच है। और सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि परिवार के लोग भी उनके गायब होने की सूचना पुलिस को नहीं दे रहे हैं। हालांकि कश्मीरी युवाओं का इस तरह से गायब होना और आतंकी संगठनों में भर्ती होना कोई नयी बात नहीं है,क्योंकि ऐसा पहले भी होता रहा है लेकिन बीच में काफी कुछ नियंत्रण में आ गया था फिर अचानक अब फिर से वहीं मूवमैंट शुरू हो जाना अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा होता है।
दरअसल,इस साल मई में जिन 27 आतंकियों को विभिन्न शूट आऊट के दौरान मारा गया था उनमें से 20 स्थानीय थे। वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुलिस से इस चुनौती से निपटने को कहा है इसके अलावा युवाओं को आतंकी संगठन जॉइन करने से रोकने के लिए कदम उठाने को कहा है।
वही,इस रिपोर्ट पर हमारा विश्लेषण मुख्य रूप से दो नतीजों पर पहुंचता है,पहला- इंडियन इंटेलीजेंस ऐजेंसियों का लोकल नेटवर्क प्रभावित होता दीख रहा है और दूसरा- दुश्मन अब परंपरागत तरीकों को छोड़कर नये तरीके से लड़ रहा है, जिसकी परिणिती ‘टारगेट किलिंग’ है। क्योंकि पाकिस्तान दुनिया को दिखाना चाहता है कि घाटी में जारी मूवमैंट में लोकल शामिल हैं जो कि भारत सरकार से कतई संतुष्ट नहीं है और यह घाटी में रह रहे कश्मीरी नागरिकों का सशस्त्र विद्रोह है जिसमें पाकिस्तान की कोई भूमिका नहीं है। फिलहाल,दुश्मन की तरफ से घाटी में बड़े मूवमैंट की आशंका है अब ऐसे में भारतीय ऐजेंसियां क्या करती है ? यह उनके रणनीति पर निर्भर करता है,लेकिन एक बात तो साफ है कि दुश्मन जब अपने रणनीति में बदलाव करके लड़ता है तो डिफेंडर के सामने मुश्किल टास्क होता है।
गौरतलब है कि घाटी में तेजी से टारगेट किलिंग की घटनाओं में इजाफा हो रहा है जिस वजह से कश्मीरी पंडित पिछले 19 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इतना ही नहीं अब पंडित पलायन की पूरी तैयारी पर है,क्योंकि एक दिन पहले ही यह रिपोर्ट सामने आई है कि पंडितों ने कहा है कि वे शुक्रवार से पलायन पर रहेंगे, माना जा रहा है कि 90 के दशक के बाद यह दूसरा पलायन होगा।