इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

अमेरिका और नाटों के सीक्रेट-ऑपरेशन में बुरी तरह से फंस गए पुतिन,भावी खतरे से बचने के लिए पहले से ही तैयार था मिशन का ब्लू प्रिंट – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


सांकेतिक तस्वीर।

लंदन/कीव। पिछले कई महिनों के हो हल्ला के बाद आखिर 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला कर हीं दिया,जिसे लेकर पूरी दुनिया में तरह-तरह के कयास शुरू हो गए,और अधिकतर यही कहा जाने लगा कि अब हर हाल में विश्वयुद्ध होकर रहेगा वजह भी था कि अमेरिका व नाटों यूक्रेन की सुरक्षा को लेकर मौखिक रूप से वचनबद्ध जो थे लेकिन युद्ध के पहले ही दिन मददगार देश हाथ खींच लिए जिससे पूरी दुनिया में संदेश गया कि अमेरिका और नाटों धोखेबाज़ है और अब जल्द ही रूसी फौज कीव पर कब्जा कर लेगी, इसी दौरान तरह-तरह की अफवाहें भी उड़ने लगी कि यूक्रेन के राष्ट्रपति किसी भी समय कीव छोड़ सकते हैं,हालांकि हालात हीं ऐसे हो गए थे,लेकिन युध्द के तीसरे दिन तस्वीर साफ होने लगी और अब गेंद यूक्रेन के पक्ष में जाता दीख रहा है,भारी आत्मविश्वास से लबरेज यूक्रेन के राष्ट्रपति जेंलस्की ने अपना विडियो जारी कर देश को संदेश दिया कि हम यहीं है और यहीं रहेंगे और मित्र देश मदद में भारी सप्लाई भेज रहे हैं,जिससे देश के नागरिकों को भारी आत्मसंतुष्टी महसूस हो रही है। अब ये तो रही सामने की तस्वीर लेकिन जब पर्दे के पीछे की कहानी को देखा जाए तो असलियत कुछ और बयां कर रही है।

दरअसल,रूस मिलीट्री एक्सन तक सीमित होकर इस लड़ाई का प्लान तैयार किया था यानि रूस ने प्लान किया था कि यदि यूक्रेन की मदद में नाटों सामने आयेंगे तो जो रूस के पास घातक हाइपरसोनिक मिसाइले है और परमाणु बमों से लैश सबमरीन ये काफी होंगे नाटों को नुकसान पहुंचाने के लिए,यहीं भारी भूल कर बैठे पुतिन,चूंकि अमेरिका और नाटों अच्छी तरह से जानते थे रूस के ताकत के बारे में इसीलिये नाटों ने रूस को नये तरीकें से मात देने का सीक्रेट प्लान किया,क्योकि सबको अच्छी तरह से मालूम था कि लड़ाई की शुरुआत पहले हवाई होगा,जिसमें मिसाइल फायरिंग भी शामिल है इसके बाद रूसी फौज जमीन पर उतरेगी और फिर कीव को टारगेट करेगी,बस इसी दौरान जब रूसी फौज जमीन के रास्ते यूक्रेन में घुसेगी ट्रैप कर लेना है,अंबुस करके हमला करना है यानि जो युद्धनीति वियतनाम की थी ठीक उसी तरह प्राॅक्सी वार के तहत रूसियों पर हमला किया जायेगा यानि वियतनाम-2 की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी और इसकी भनक रूस को नहीं लग सकी।

अब बिना नाटों के सामने आये यूक्रेन लंबे समय तक रूस का मुकाबला कर सकता है,हालांकि रुस को इतना अंदेशा जरूर था कि नाटों हथियारों की सप्लाई कार्गो शिप के जरिए यूक्रेन को कर सकते हैं,इसी अंदेशे के चक्कर में रोमानिया और जापान के कार्गो शिप पर हमला भी किया लेकिन वो असल टारगेट नहीं थे,पर्दे के पीछे से यूक्रेन को भारी मदद अब भी जारी है,और रही बात देश के वीआईपी की सुरक्षा की तो वे सभी सुरक्षित मिलीट्री बंकरों में सुरक्षित है जहां पर सभी सुविधाएं उपलब्ध है।

वहीं यूक्रेन की सेना ने देशवासियों को संदेश दे दिया है कि सड़कों पर खडढे खोदे जिससे दुश्मन के टैंक उसी में फंस जायेंगें,और दुश्मन के मिलीट्री वैन के टायरों पर भी फायरिंग करें,सड़कों के बोर्ड उखाड़े ताकि दुश्मन रास्ता भटक जाये, और जगह-जगह अंबुस करके दुश्मन पर हमला जारी रखें, और इतिहास गवाह है कि दुश्मन के घर में यदि कोई भी ताकतवर सेना घुसी है और उस सेना को ऐसे हालातों का सामना करना पडे़ तो वह निश्चित रूप से पराजित होगी,और इसका सबसे बड़ा उदाहरण वियतनाम और अफगानिस्तान है यानि दुनिया की दो ताकतवर देश अमेरिका और चीन बारी बारी से वियतनाम से भिड़ चुके हैं परिणाम बताने की जरूरत नहीं है और वहीं रूस और अमेरिका बारी-बारी से अफगानिस्तान में भी अपनी जोर आजमाइश कर चुके हैं, दोनों के साथ वहां क्या हुआ था पूरी दुनिया जानती है,कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि नाटों का यह एक सीक्रेट ऑपरेशन था जिसके तहत खुद को बचाते हुए दुश्मन को मात देना है,और इस मिशन की ब्लू प्रिंट पहले ही तैयार की जा चुकी है,अब रूस फंस गया,यानि नाटों के सीक्रेट-ऑपरेशन में बुरी तरह से फंस गए हैं पुतिन।

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