इजराइली फोर्स, फोटो साभार -(सोशल मीडिया)
दिल्ली/तेल अवीव। खाड़ी जंग का तनाव इस समय अपने चरम पर है,जहां इस दौरान इंटल ऐजेंसियों के इनपुट के आधार पर अमेरिका भी फुल अलर्ट मोड में आ गया है। जहां इस दौरान कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि इजरायल की सुरक्षा के दृष्टिगत अमेरिका व इसके कई पश्चिमी देश इस समय खाड़ी जंग में अपनी बड़ी मिलिट्री स्ट्रैंथ को तैनात कर दिया है, जिनमें करीब बीसों अमेरिकी युध्दपोतों के साथ-साथ कई अमेरिकी पनडुब्बी और कई परमाणु बाम्बरों को भी तैनात कर दिया गया है।
दरअसल, हमास चीफ की जबसे ईरान में संदिग्ध मौत की रिपोर्ट सामने आई है उसके बाद से ही ईरान समेत कई देश व आतंकी संगठन इजरायल पर भढ़के हुए हैं। जहां वे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से इजरायल पर जबरदस्त दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे देखकर पेंटागन समेत कई इजरायल सहयोगी देश अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं। ऐसे में दुनिया भर में यह कयास लगाया जा रहा है कि यदि इजरायल पर ईरान या उसके समर्थित देश व अन्य संबंधित आतंकी संगठन और भी घातक हमला कर रहे हैं तो अमेरिका ऐसे लोगों को छोड़ेगा नहीं, और पूरी ताकत से इजरायल की सुरक्षा के दृष्टिगत जो भी संभव होगा, खुलकर सैन्य मदद करेगा। यानि सीधे तौर पर अमेरिका ऐसे लोगों के खिलाफ खुद एक बड़ा मिलिट्री काउंटर आपरेशन लांच कर सकता है।
लेकिन पूर्व के तमाम तथ्यों व अन्य संबंधित रिपोर्ट का जब “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह द्वारा बेहद गंभीरता से विश्लेषण व अध्ययन करते हुए यह पाया गया कि इजरायल की सुरक्षा में तैनात भारी ये अमेरिकी मिलिट्री स्ट्रैंथ सिर्फ और सिर्फ दुश्मन के घातक मिसाइलों को इंटरसेफ्ट कर उसे नष्ट करना है, न कि इजरायल विरोधी समूहों व अन्य संबंधित देशों के खिलाफ कोई कड़ी कार्यवाही करना है। क्योंकि, इस जंग के दौरान अभी कुछ महिनों पहले ही जब ईरान की तरफ से इजरायल के इतिहास में पहली बार जबरदस्त हमला किया गया था तब कई अमेरिकी युध्दपोत ईरान के कई मिसाइलों को हवा में हीं इंटरसेफ्ट कर लिये थे। ऐसे में “सीक्रेट ऑपरेशन” बहुत ही जिम्मेदारी से इस बात का दावा करता है कि खाड़ी जंग में अमेरिका व अन्य इजराइल के सहयोगी देशों की प्राथमिकता है कि वे इजरायल की सुरक्षा कर सकें।
यानि इजरायल के सहयोगी देश सीधे तौर पर इस जंग में खुलकर शामिल नहीं हो रहे हैं। गौरतलब कि बीते कुछ महिनों में ऐसे कई मौके सामने आये जिसमें ऐसा लग रहा था कि इस जंग में अब अमेरिका भी सीधे तौर पर शामिल हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बता दे कि “सीक्रेट ऑपरेशन” के अब तक कई दावें सच साबित हुए हैं।