इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

सीक्रेट ऑपरेशन का बड़ा दावा, बांग्लादेश संकट में भारत को मिलिट्री इंटरफेयर करने के लिए मजबूर किये जाने की रची गई बड़ी साजिश – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


सांकेतिक तस्वीर।

ढाका/नई दिल्ली। बांग्लादेश में तख्तापलट की आड़ में पिछले कई महिनों से वहां के अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी क्रूरता पूर्ण हिंसा के संबंध में “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज़ पोर्टल को सॉलिड इंटल इनपुट मिला है कि यह हिंसा आने वाले दिनों में और भी भयानक होने वाली है और इस हिंसा को तब तक अंजाम दिया जाएगा जब तक की नई दिल्ली मिलिट्री इंटरफेयर नहीं करती है यानि नई दिल्ली को मिलिट्री इंटरफेयर करने के लिए मजबूर करने की एक बड़ी साजिश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रची गई है। यहां यह बताने की जरूरत नहीं है कि इस साजिश के तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किस देश से जुड़ी हुई है!

दरअसल, “सीक्रेट आपरेशन” न्यूज पोर्टल के अतिरिक्त इस इंटल की रिपोर्ट भारतीय खुफिया ऐजेंसियों के साथ-साथ दुनिया की कई इंटेलीजेंस ऐजेंसियों को भी है। अब यहां सवाल उठना स्वाभाविक है कि नई दिल्ली यदि बांग्लादेश में मिलिट्री इंटरफेयर करती है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह किसके हित में होगा ? तो स्वाभाविक रूप से प्रथम दृष्ट्या पाकिस्तान और चीन का नाम सामने आ रहा है,बता दे कि इस मामले में इन दोनों देशों का नाम सामने आने का पर्याप्त कारण यह है कि भारत जिस दिन बांग्लादेश में भारतीय फौज भेजता है तो लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल पर और लाइन ऑफ कंट्रोल पर मिलिट्री मूवमेंट बढ़ाने के लिए इन दोनों देशों को एक बड़ा एडवांटेज होगा।

क्योंकि भारत का सबसे बड़ा मिलिट्री पार्टनर रूस, यूक्रेन में नाटो से संघर्षरत है,तो वहीं अमेरिका,फ्रांस और ब्रिटेन भी जो की भारत के छोटे मिलिट्री पार्टनर है ये भी नाटों के रूप में रूस से उलझे हुए हैं। यानि स्पष्ट रूप से भारत का बांग्लादेश में उलझना पाकिस्तान और चीन के लिए एक सुनहरा अवसर साबित होगा। चूंकि वर्ष 1971 की भीषण जंग में भारत के हाथों पाकिस्तान की हार आज भी उसके लिए एक बड़े कलंक के रूप में है जिसे वह मिटाने की कई नाकाम कोशिशें अतीत में कर चुका है और यहां भी करने की फिराक में है। यही कारण है कि 71 की जंग के बाद पहली बार बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच समुद्री यात्रा प्रारंभ हुई है जो की स्पष्ट रूप से भारत के लिए एक बड़े खतरे के तौर पर उभरता दिख रहा है।

ऐसे में बांग्लादेश में जारी हिंसा पर भारत समेत दुनिया भर की तमाम इंटेलीजेंस ऐजेंसियां लगातार निगरानी कर रही है। यही कारण है कि भारत अभी तक बांग्लादेश को लेकर धैर्य बनाया हुआ है, क्योंकि भारत को अच्छी तरह से पता है कि उसकी एक गलती दुश्मन के लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में हासिल होगी। ऐसे में आपरेशन बलूचिस्तान भी अपने उफान पर है, ताकि दुश्मन का फोकस खुद को सुरक्षित करने में हो, अफसोस यह मिशन बहुत लाभदायक नहीं हो पा रहा है। अब ऐसे में बांग्लादेश में जारी अस्थिरता, जल्द ही स्थिरता के रूप में परिवर्तित होती है अथवा नहीं ? यह तो भविष्य के गर्भ में है,लेकिन भारत के लिए यह एक बड़े सर दर्द से कम नहीं है।

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