इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

पाक की राजधानी “इस्लामाबाद” बनाये जाने को लेकर 64 साल बाद “सीक्रेट ऑपरेशन” का चौंकाने वाला बड़ा खुलासा – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


सांकेतिक तस्वीर।

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिफेंस और डिप्लोमेटिक बेस पर अब तक दर्जनों से अधिक चौंकाने वाले और सनसनीखेज खुलासों से पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाने वाले विश्व का इकलौता न्यूज पोर्टल www.secretopreation.com एक बार फिर पूरी दुनिया को चौंकाने के लिए एक और सनसनीखेज खुलासा लेकर सामने आया है। दरअसल, इस बार यह खुलासा दुश्मन देश पाकिस्तान की राजधानी “इस्लामाबाद” को लेकर है। क्योंकि,बंटवारें के बाद पाकिस्तान की राजधानी कराची थी, जिसे बाद में इस्लामाबाद के रूप में बदल दिया गया।

इसके पीछे तर्क दिया गया कि पाकिस्तान भारतीय कश्मीर पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पाक फौज के हेडक्वार्टर्स रावलपिंडी के पास इस्लामाबाद को पाकिस्तान की राजधानी बनाया जाना पाकिस्तान के हित में होगा। वहीं तत्कालीन तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया कि पाकिस्तान की तत्कालीन राजधानी “कराची” में भारत से आये मुस्लिमों की संख्या अधिक होने और लोकल हिंदूओ की भी बड़ी संख्या में तादात पाकिस्तान की राजधानी के लिए ठीक नहीं होगा।

जहां तत्कालीन पाकिस्तानी हुकूमत ने एक स्पेशल प्रोपेगेंडा के तहत कराची में भारी संख्या में मौजूद भारतीय मुसलमानों को “मुहाजिर”जैसे हेय व घृणित शब्दो के साथ नवाजा गया, इतना ही नहीं इस प्रोपेगेंडा को वास्तविक रूप देने के लिए इन मुहाजिरों के साथ जबरदस्त तरीके से सभी जगहों पर भेदभाव भी किया जाने लगा, जो कि यह अभी भी बदस्तूर जारी है। इन्ही सब कारणों को दिखाकर वर्ष 1960 में पाकिस्तान की तत्कालीन राजधानी कराची से इस्लामाबाद के लिए शिफ्ट करने की घोषणा कर दी गई, जहां वर्ष 1967 में देश की राजधानी पूरी तरह से शिफ्ट होकर संचालित होने लगी। जो कि ये कूटरचित दावें आज भी बरकरार है।

लेकिन, जब “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल ने कराची से इस्लामाबाद ट्रांसफ़र हुए राजधानी से संबंधित तमाम रिपोर्ट्स व अन्य महत्वपूर्ण कई जानकारियों पर बहुत ही गंभीरता से रिसर्च किया तो कहानी कुछ और हीं निकली, जिस पर कि प्रत्यक्ष रूप से अभी तक किसी भी स्तर पर कोई दावा या खुलासा नहीं हुआ है। इस्लामाबाद के राजधानी बने आज 64 वर्ष से अधिक का समय बीत गया लेकिन अभी तक किसी भी सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्था या मीडिया समूह इस पर अपनी कोई ठोस रिपोर्ट पब्लिक नही कर सकीं, सिर्फ पाकिस्तान प्रायोजित उल्लिखित रिपोर्ट को हीं सच मानकर चुप्पी साध ली गई।

दरअसल, इस्लामाबाद को लेकर हमारी जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि पाकिस्तान के तत्कालीन हुक्मरान जनरल अयूब खान को यह इंटल मिला था कि भारतीय नौसेना भी इंडियन आर्मी जैसी पाकिस्तान के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होने जा रही है जो कि आने वाले दिनों में कराची के लिए एक बड़ी मुसीबत साबित होगी। इतना ही नहीं कराची में मौजूद भारतीय मुसलमानों की बड़ी खेप तथा हिंदूओं की भी बड़ी संख्या पाकिस्तान की राजधानी के विरूद्ध इंडियन नेवी के लिए एक बड़ा एडवांटेज हो सकता है। यानि कराची पूरी तरह से भारतीय नौसेना के माध्यम से भारत के नियंत्रण में जा सकती है। मतलब, इसे राजधानी बरकरार रखना ठीक उसी तरह से होगा कि जैसे भारत को प्लेट में सजाकर पूरा पाकिस्तान का दिया जाना। हालांकि,यह आशंका 71 के जंग में करीब-करीब पूरी भी होती दिखी, लेकिन ऐन मौके पर ढाका सरेंडर के चलते सीजफायर हो जाने से यह जंग पूरी तरह से खत्म भी हो गई।

दरअसल, 71 की जंग के दौरान भारतीय नौसेना ने अपने बहादुरी व गजब युद्धनीति से पाकिस्तान ही नहीं पूरी दुनिया को उस समय चौंका दिया था, जब उसने आपरेशन ट्राईडेंट और पायथन को अंजाम देते हुए कराची शहर को फूंक दिया था जो कि कई दिनों तक धूं-धूं करके जलती रही। हालांकि तब तक इस्लामाबाद को राजधानी बने 5 वर्ष बीत चुके थे। यानि जनरल अयूब खान का वह फैसला वास्तव में तारीफे काबिल रहा। ऐसे में यह पूरी तरह से साफ हो चुका है कि पाकिस्तान की सुरक्षा के लिहाज से कराची से इस्लामाबाद राजधानी को ट्रांसफ़र किया गया था न कि कश्मीर मिशन के तहत और इस रहस्य का खुलासा इस्लामाबाद के बनने के 64 वर्ष बाद आज “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह कर रहा है।

गौरतलब है कि बंटवारें के बाद से हीं भारत-पाकिस्तान के बीच कई मुद्दों पर सैन्य टकराव बना रहा, जिसमें कश्मीर संकट व बांग्लादेश युध्द प्रमुख कारण रहा। हालांकि यह तनाव आज भी प्रासंगिक है, लेकिन नई दिल्ली द्वारा लगातार संयमित रहने के कारण कारगिल युध्द के बाद अब तक युध्द नहीं हुआ, फिर भी अक्सर तनाव बढ़ता रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *