
सांकेतिक तस्वीर।
इस्लामाबाद/काबुल। पाकिस्तान के विद्रोही संगठन TTP के टाॅप कमांडर की एक दिन पहले बम विस्फोट में मारे जाने के बाद से यह संगठन पाकिस्तान पर भढ़क उठा है,इतना ही नहीं इस संगठन ने पाकिस्तान के खिलाफ ऐलान-ए-जंग का ऐलान भी कर दिया। दरअसल,टीटीपी ने एक बयान जारी कर हाल में ही मारे गए अपने कमांडर उमर खालिद खुरासानी की जमकर तारीफ करने के साथ यह भी कहा कि “शांति वार्ता” के दौरान पाकिस्तान के हमले में संगठन के चार लोग मारे गए हैं। इसलिए अब TTP पाकिस्तानी सेना के खिलाफ फिर से हमला शुरू करने जा रहा है। हालांकि एक दिन पहले ही जब TTP का टाॅप कमांडर एक बम विस्फोट मारा गया तो उसी समय यह कयास लगाये जाने लगा कि इस घटना में पाक फौज की संलिप्तता है और यह हत्याकांड पाक फौज पर भारी पड़ सकता है।
बता दे कि टीटीपी ने अपने बयान में पाकिस्तान के साथ जारी शांति वार्ता के भविष्य को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है। यह शांति वार्ता तालिबान के धड़े हक्कानी नेटवर्क के मध्यस्थता में काबुल में जारी है। इसमें पाकिस्तान की तरफ से वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अलावा क्वेटा शूरा के कई मौलाना और दूसरे धार्मिक नेता भी हिस्सा ले रहे हैं। इस बीच पाकिस्तानी सेना के हमले में टीटीपी के वरिष्ठ कमांडर का मारे जाने से शांति वार्ता को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। वहीं,टीटीपी ने अब यह पुष्टि किया है कि पाकिस्तानी सेना के हमले में हीं उसके एक और कमांडर उकाबी बजौरी की मौत भी हुई है।
ऐसे में इस हमले के बाद पहली बार TTP ने बयान जारी करते हुए कहा कि इस हमले के पीछे हमारे दुश्मनों का हाथ है। यही नहीं टीटीपी ने आगे भी साफ किया कि वह तथाकथित डूरंड लाइन के दोनों ओर इस्लामिक अमीरात की स्थापना भी करेगा। जबकि अफगानिस्तान में तो इस्लामिक अमीरात की स्थापना हो चुकी है,लेकिन पाकिस्तान में नहीं। ऐसे में शांति वार्ता के दौरान इस तरह के हमले का जवाब देने के लिए पाकिस्तानी सेना के खिलाफ हमले फिर से शुरू किए जाएंगे। वहीं TTP के ऐलान-ए-जंग के आगाज से पाक फौज में हड़कंप मच गया है,चूंकि जब भी TTP और पाक फौज में भिड़ंत होती रही है,नुकसान पाक फौज का ज्यादा हुआ है,यही कारण था कि पाक फौज के आर्मी चीफ जनरल बाजवा इस विद्रोही संगठन से भिड़ने के बजाय सीजफायर और बातचीत के जरिए मामले को सुलझाने की कोशिश में थे,जिस वजह से हाल के कुछ महिनों से दोनों पक्षों के बीच सीजफायर रहा और बातचीत भी जारी रही,लेकिन इससे पहले इस ताजे हत्याकांड ने सीजफायर तोड़ने का रास्ता खोल दिया,जिसकी भारी कीमत पाक फौज को चुकानी पड़ सकती है।
गौरतलब है कि टीटीपी की स्थापना वर्ष 2007 में विद्रोही बैतुल्लाह महसूद ने की थी। वर्तमान में इस संगठन की कमान नूर वली महसूद के हाथ में है। नूर वली ने सार्वजनिक तौर पर तालिबान के प्रति अपनी निष्ठा प्रकट की है। पाकिस्तानी तालिबान,अफगान तालिबान के साथ एक समान विचारधारा को साझा करता है।
