सांकेतिक तस्वीर।
टोक्यो। चीन और ताइवान के बीच तनातनी चल ही रही थी कि इसी बीच अब इस तनाव में जापान के भी शामिल होने की रिपोर्ट सामने आ रही है। दरअसल,जापान के एक समाचार-पत्र ने रिपोर्ट किया है कि जापान,चीन के किसी भी खतरे का जवाब देने के मकसद से 1,000 किलोमीटर लंबी रेंज वाली मिसाइलें तैनात कर सकता है। दावा किया गया है कि इन जापानी मिसाइलों की रेंज को 500 से 5500 किलोमीटर तक किया जा सकता है। जिन्हें जापान नैंसेई औ क्यूशू द्वीप पर तैनात कर जा सकता है। चूंकि अमेरिकी स्पीकर नैंसी द्वारा इस माह के बीते 2 अगस्त को ताइपे की यात्रा के बाद चीन एक दम आक्रामक रुख करते हुए आर्मी ड्रिल कर रहा है। जहां इस ड्रिल से ताइवान और चीन के बीच तनातनी अपने चरम पर है।
दरअसल,जापानी अखबार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मिसाइलें तैनात कर जापान, चीन को अपने रुख से वाकिफ कराना चाहता है। चूंकि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से हीं जापान आमतौर पर शांत सा है। लेकिन चीन की हरकतों को देखते हुए इस समय जापान सतर्क हो गया है। ऐसे में जापान के पास 300 समुद्री और 1900 लैंड बेस्ड मिसाइलें हैं। जो कि इस तनातनी में जापान के काफी काम आ सकती है।
वहीं,जापान अपनी एक मिसाइल टाइप 12 की क्षमता को बढ़ाने पर विचार कर रहा है। ये मिसाइल पूरी तरह से जापान में ही तैयार हुई है। इस मिसाइल को जमीन से किसी भी वॉरशिप पर हमले के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसका प्रयोग इस समय जापान की ग्रांउड सेल्फ डिफेंस फोर्स कर रही है और ये 1000 किमी तक के किसी भी टारगेट को नष्ट कर सकती है।
किसी भी जहाज या फिर एयरक्राफ्ट से लॉन्च होने वाली कोई भी मिसाइल जापान के दक्षिणी नैंसेई द्वीप में तैनात होंगे। साथ ही ये हथियार उत्तर कोरिया और चीन के तटीय इलाकों को निशाना बना सकते हैं। अभी तक जापान के विदेश मंत्रालय ने अखबार की इस रिपोर्ट पर कोई भी टिप्पणी नहीं की है। युद्ध के बाद जापान ने अपने संविधान में संशोधन किया था। इसमें कहा गया था वो सेना का प्रयोग अपनी सुरक्षा में करेगा। जापान ने हाल के कुछ वर्षों में सेना पर होने वाला खर्च बढ़ाया है। लेकिन यह देश हमेशा लंबी दूरी की मिसाइलों को तैनात करने से बचता आया है। इस बीच यह भी खबर है कि जापान का एक डेलिगेशन भी जल्द ही ताइपे की यात्रा कर सकता है। फिलहाल,जापान यह कदम ताइवान के लिए बड़ी मदद साबित होगा। हालांकि, अमेरिका पहले से ही ताइपे के साथ खड़ा है तो वही अमेरिका के अन्य सहयोगी देश भी ताइवान के सहयोग में है, यही कारण है कि चीन अभी तक ताइवान पर हमला करने से हिचक रहा है।