फाईल फोटो, फोटो साभार -( यूक्रेन के डिफेंस डिपार्टमैंट के ट्वीटर से)
नई दिल्ली/वाशिंग्टन। जबसे रूस-यूक्रेन जंग छिड़ा हुआ है दुनिया चार गुटों में बंटी हुई है। जिसमें दो गुट तो खुलकर अपने पक्ष को जायज ठहराने में जुटे हुए हैं तो वही एक गुट ऐसा भी है जो पर्दे के पीछे से अपने पक्षों की मदद में है। जबकि एक पक्ष ऐसा भी है जो पूरी तरह से पारदर्शी नियमों के तहत तटस्थ नीति का पालन कर रहा है जिसको भारत लीड कर रहा है। लेकिन अब भारत भी पाला पदलते दीख रहा है। यानि अब भारत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुलकर रूस के विरोध में हो गया है। बता दे कि जारी जंग के बीच नई दिल्ली ने रूस को बड़ा झटका देते हुए पुतिन की गुप्त मतदान वाली मांग को खारिज कर दिया है।
दरअसल,संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर अवैध कब्जे को लेकर रूस के खिलाफ एक मसौदा प्रस्ताव लाया गया जहां इस प्रस्ताव में रूस की निंदा करने के लिए खुले मतदान की मांग की गई, लेकिन पुतिन नहीं चाहते थे कि इस पर गुप्त मतदान हो। अब पुतिन की इस डिमांड के खिलाफ भारत ने यूएन में वोट डाल दिया है। इतना ही नहीं क्रीमिया ब्रिज अटैक के घटना से गुस्साई रूसी फौज द्वारा यूक्रेन में भीषण मिसाइल हमले का भी भारत के विदेश मंत्री ने निंदा करके रूस सहित पूरी दुनिया को चौंका दिया है।
बता दे कि भारत सहित संयुक्त राष्ट्र के 107 सदस्य देशों द्वारा रिकॉर्ड किए गए वोट के पक्ष में मतदान करने के बाद गुप्त मतदान के लिए मास्को की मांग को खारिज कर दिया गया। केवल 13 देशों ने गुप्त मतदान के लिए रूस के आह्वान के पक्ष में मतदान किया, जबकि 39 ने वोटिंग में भाग नहीं लिया। रूस और चीन उन देशों में शामिल थे जिन्होंने वोट नहीं दिया।
महासभा ने भारत सहित 104 देशों द्वारा इस तरह के पुनर्विचार के खिलाफ मतदान करने के बाद प्रस्ताव पर पुनर्विचार नहीं करने का फैसला किया, जबकि 16 ने पक्ष में मतदान किया और 34 ने भाग नहीं लिया। रूस के स्थायी प्रतिनिधि वसीली नेबेंजिया ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता एक अपमानजनक धोखाधड़ी का गवाह बन गई है जिसमें दुर्भाग्य से महासभा के अध्यक्ष ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इतना ही नहीं पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अल्बानिया की ओर से पेश किए गए मसौदा प्रस्ताव पर भारत मतदान से दूर रहा था। वहीं रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को वीटो कर दिया था, जो मॉस्को के “अवैध जनमत संग्रह” की निंदा करने के लिए अमेरिका और अल्बानिया द्वारा पेश किया गया था।
कुल मिलाकर यह साफ हो गया है कि अब भारत रूस के उन सभी कदमों के विरोध में रहेगा जो कि मानवता के खिलाफ होगा। जो कि रूस के लिए सबसे बड़ा झटका हैं। यही नहीं अब यह भी साफ संकेत है कि दुनिया के वें देश जो अब तक गुटबाजी से बचे रहे थे अब वे भी किसी न किसी कारण से किसी न किसी गुट को ज्वाइन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।