स्पेशल रिपोर्ट

रूस के भीषण मिसाइल हमलों से बचने के लिए यूक्रेन ने भारत से मांगा सबसे शक्तिशाली एअर डिफेंस सिस्टम, अमेरिकी व अन्य देशों की मिसाइल डिफेंस सिस्टम “कीव” की हिफाजत करने में हो रहे नाकाम – सतीश उपाध्याय/रविशंकर मिश्र


जर्मनी का IRIS -T एअर डिफेंस सिस्टम, फोटो साभार -(यूक्रेन के डिफेंस डिपार्टमैंट के ट्वीटर से)

मॉस्को/कीव। रूस-यूक्रेन जंग में पिछले कुछ दिनों से रूसी फौज की तरफ से भीषण मिसाइल अटैक के चलते यूक्रेन में पहले से कही अधिक तांडव मचा हुआ है। जिस वजह से यूक्रेन को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। रूसी मिसाइलों से बचने के लिए अमेरिका ने यूक्रेन को पहले से ही मिसाइल डिफेंस सिस्टम दे रखा है लेकिन वो संतोषजनक परिणाम देने में असफल साबित हो रहा है। ऐसे में यूक्रेन ने इजरायल के सबसे शक्तिशाली व विश्वसनिय एअर डिफेंस सिस्टम की मांग की, लेकिन इजरायल ने साफ इंकार कर दिया। जहां अब रिपोर्ट आई है कि यूक्रेन अब भारत से उसका सबसे शक्तिशाली मिसाइल एअर डिफेंस सिस्टम की मांग किया है।

दरअसल,रूस की तरफ से बरस रही मिसाइलों को रोकने में यूक्रेन के सभी सिस्टम नाकाम साबित हो रहे हैं। सैकड़ों रूसी मिसाइलों के हमले के बाद राजधानी कीव के सभी पावर स्‍टेशंस बंद हैं और पूरा शहर अंधेरे में डूबा है। जो खबरें आ रही हैं, उस पर अगर यकीन करें तो यूक्रेन इन हमलों का जवाब देने के लिए भारत की तरफ देख रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक यूक्रेन की मिलिट्री रूस की तरफ से हो रही मिसाइल की बारिश को रोकने के लिए भारत की तरफ से सहनिर्मित एयर डिफेंस सिस्‍टम को शामिल करना चाहती है। हालांकि,अमेरिका के बाद हाल ही में रूसी मिसाइलों के हमलों से यूक्रेन को बचाने के लिए जर्मनी ने अपना सबसे मजबूत IRIS- T एअर डिफेंस सिस्टम दिया है, अफसोस वह भी संतोषजनक नहीं है।

क्योंकि,यूक्रेन की सेना ने यह बात स्‍वीकार की है कि उसके पास मौजूद सोवियत दौर की बक और एस-300 एयर डिफेंस सिस्‍टम रूस के हमले झेलने में समर्थ नहीं है। वहीं,एक अन्य मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है यूक्रेन ने इजरायल से आयरन डोम और बराक-8 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम लेने का मन बनाया है। बराक-8 को इजरायल एरोस्‍पेस इंडस्‍ट्रीज और भारत के डीआरडीओ की तरफ से डेवलप किया गया है। इजरायल, अपने ड्रोन और मिसाइल ट्रांसफर नहीं करना चाहता है। चूंकि,उसे इस बात का डर है कि अगर वह ऐसा करता है तो फिर उसे सीरिया में रुस की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। क्योंकि,इस देश में रूस की तरफ से ईरान के आतंकियों और सीरियल अरब आर्मी को मदद दी जा रही है।

हालांकि,यूक्रेन की तरफ से कई रूसी मिसाइलों और जेट्स को ढेर किया जा चुका है। मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्‍टम्‍स की मदद से रूस को नुकसान भी झेलना पड़ा है। सोवियत संघ के जमाने की इग्‍ला और अमेरिका की बनीं स्टिंगर मिसाइलों ने यूक्रेन की खासी मदद की। रूसी नौसेना के जहाज काला सागर की तरफ से मिसाइलें फायर की जा रही हैं। टीयू-22M और टीयू-95 बॉम्‍बर्स की मदद से भी मिसाइलों को लॉन्‍च किया जा रहा है। अभी तक रूस ने अपनी 9K720 इस्‍कंदर मिसाइल का प्रयोग नहीं किया है। इस्‍कंदर मिसाइल को ट्रैक करना और ढेर करना बहुत ही मुश्किल है।

इसी बीच यूक्रेन के राष्‍ट्रपति व्‍लोदिमीर जेलेंस्‍की ने जी7 सम्‍मेलन में यूरोपियन और नाटो देशों से रूसी हमलों को रोकने के लिए एयर शील्‍ड देने की अपील की थी। यूक्रेन को हथियारों के लिए विदेशी गोला-बारूद और मिसाइलों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। यूक्रेन ने इसके साथ ही भारतीय वायुसेना के लिए बनी जमीन से हवा तक मार कर सकने वाले मिसाइल सिस्‍टम (MR-SAM) की मांग की है। गौरतलब है कि बराक-8 को इजरायल के साथ भारतीय नौसेना के लिए डेवलप किया गया है। पिछले वर्ष सितंबर में भारतीय वायुसेना ने इन्‍हें शामिल किया था। इस मिसाइल को नौसेना ने डेस्‍ट्रॉयर्स और फ्रिगेट्स पर तैनात भी कर दिया है।

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