एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

रूस के न्यूक्लियर धमकी के बीच अब भारत आया सामने, राजनाथ ने डायलाॅग के जरिए समाधान की बात की – राकेश पांडेय (स्पेशल एडिटर)


भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह,फाईल फोटो, साभार -(इंडियन डिफेंस के ट्वीटर से)

मॉस्को/नई दिल्ली। यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच परमाणु हमले का खतरा दिन ब दिन बढ़ता हीं जा रहा है। जहां इस दौरान रूस ने अमेरिका को बताते हुए न्यूक्लियर ड्रिल को भी बुधवार को पूरा करने का दावा किया है। जहां इसी कड़ी में अब रूस को भारत से भी खुली चेतावनी मिली है। रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने बुधवार को अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह के साथ फोन पर बात की थी। इस दौरान उन्होंने यूक्रेन द्वारा “डर्टी बम” के संभावित इस्तेमाल के बारे में रूस की चिंताओं से भारत को अवगत कराया।

जिसके बाद भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगु से कहा कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान संवाद और कूटनीति के माध्यम से निकाला जाना चाहिए और किसी भी पक्ष को परमाणु विकल्प पर विचार नहीं करना चाहिए। जिस संबंध में भारतीय रक्षा मंत्रालय ने कहा कि शोइगु से फोन पर हुई बातचीत में सिंह को यूक्रेन के मौजूदा हालात से अवगत कराया जिसमें ‘डर्टी बम’ का इस्तेमाल करके उकसावे वाली कार्रवाई को लेकर चिंताएं शामिल हैं। रूस और यूक्रेन में बढ़ती शत्रुता के बीच रूस के रक्षा मंत्री की पहल पर बातचीत की गई।

इतना ही नहीं भारतीय रक्षा मंत्रालय ने आगे यह भी कहा, सिंह ने संघर्ष के जल्दी समाधान के लिए संवाद और कूटनीति के मार्ग को अपनाने की जरूरत पर भारत का रुख दोहराया। रक्षा मंत्रालय ने फिर कहा कि उन्होंने (राजनाथ सिंह ने) संकेत दिया है कि किसी भी पक्ष को परमाणु विकल्प को नहीं अपनाना चाहिए क्योंकि परमाणु या रेडियोलॉजिकल हथियारों के इस्तेमाल की संभावना मानवता के मूलभूत सिद्धांत के खिलाफ है।

इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस को यूक्रेन में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि यह ‘अत्यंत गंभीर गलती’ होगी। बाइडन प्रशासन ने पहले कहा था कि रूस ने नोटिस दिया है कि उसका अपनी परमाणु क्षमताओं का नियमित अभ्यास करने का इरादा है। बाइडेन ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, ‘मैं यह कहना चाहता हूं कि यदि रूस सामरिक परमाणु हथियार का इस्तेमाल करता है, तो यह अत्यंत गंभीर गलती होगी।’

अब यहां सबसे बड़ी बात यह है कि शीतयुद्ध के दौरान वर्ष 1962 में क्यूबा संकट के समय भारत, अमेरिका और रूस के बीच कभी नहीं आया था, हां शांति का हमेशा पक्षधर रहने वाले भारत ने हमेशा शांति और स्थिरता की बात की है,लेकिन आज के हालात में भारत बार-बार अग्नि परीक्षा के दौर से गुजर रहा है। क्योंकि हालात भारत सहित दुनिया के कई देशों के लिए बहुत पेंचिदा होता जा रहा है। इतना ही नहीं न चाहते हुए भी कई देशों को इस जंग में शामिल होना ही पड़ रहा है। अब यहां भारत के सामने सबसे बड़ा सवाल खड़ा है कि क्यूबा संकट में तो भारत पार हो गया था, क्या रूस-यूक्रेन जंग में भी पार हो सकेगा ? या आने वाले वक्त में भारत भी किसी पक्ष को ज्वाइन करेगा ? यह कहना बहुत मुश्किल है।

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