एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

चीनी ऐजेंट नेपाल के पूर्व PM ओली ने किया चौंकाने वाला दावा, कहा चुनाव जीतने पर भारत से वापस लेंगें जमीन, अन्य नेपाली नेताओं ने ओली को दिखाया आईना, कहा विवादित बयानों से बचें – राकेश पांडेय (स्पेशल एडिटर)


नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा,फाईल फोटो साभार-(के पी शर्मा के ट्वीटर से)

काठमांडू। चीन के ऐजेंट के तौर पर प्रसिध्दी पाने वाले नेपाल के पूर्व प्रधान मंत्री के पी शर्मा ओली ने दावा किया है कि अगर उनकी पार्टी 20 नवंबर के संसदीय चुनाव में सत्ता में लौटती है, तो वह भारत द्वारा दावा किए गए हिमालयी क्षेत्रों को फिर हासिल करेगी। बता दे कि ओली ने यह बात नेपाल-भारत सीमा के पास दूर-पश्चिम नेपाल में दारचुला जिले में अपनी पार्टी के राष्ट्रव्यापी चुनाव अभियान का उद्घाटन करते हुए कही। दरअसल,दो साल ओली के कार्यकाल के दौरान चीन के इशारे पर नेपाल सरकार ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपना क्षेत्र दिखाते हुए विवादित नक्शा जारी किया था। जिस पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया था।

बता दे कि नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (सीपीएन-यूएमएल) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने कहा कि हम कालापानी सहित लिपुलेक और लिंपियाधुरा की भूमि वापस लाएंगे। हम अपनी जमीन का एक इंच भी नहीं छोड़ेंगे। ओली ने आगे भी कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्र की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं,नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष और प्रधान मंत्री शेर बहादुर देउबा ने कहा कि कूटनीतिक पहल और आपसी संबंधों के आधार पर नेपाल की अतिक्रमित भूमि को वापस लाने के प्रयास जारी हैं।

देउबा ने अपने चुनावी अभियान की शुरुआत करते हुए सुदूर पश्चिम नेपाल में अपने गृह जिले ददेलधुरा में यह टिप्पणी की। ओली की टिप्पणी के बाद उनका यह बयान आया है। चुनाव प्रचार को संबोधित करते हुए देउबा ने कहा कि कालापानी, लिपुलेख, लिंपियाधुरा और अन्य क्षेत्रों के मुद्दों को राजनयिक पहल के माध्यम से हल किया जाएगा।

इस बीच,नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री रहे डॉ. बाबूराम भट्टराई ने ओली से कहा है कि वे राष्ट्रीय अखंडता को चुनाव का एजेंडा न बनाएं। किसी भी पार्टी या व्यक्ति को देश की क्षेत्रीय अखंडता को चुनावी एजेंडा नहीं बनाना चाहिए। भट्टाराई ने यह बातें ओली का नाम लिए बिना ट्वीट किया।

गौरतलब है कि 8 मई, 2020 को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचूला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क को खोलने के बाद नेपाल के तत्कालीन प्रधान मंत्री ओली के कार्यकाल में नेपाल के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों में खटास आ गई थी। जहां नेपाल ने सड़क के उद्घाटन का विरोध करते हुए दावा किया कि यह उसके क्षेत्र से होकर गुजरती है। इतना ही नहीं ओली सरकार ने एक विवादित नक्शा भी जारी किया था। जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *