इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

भारत के मिसाइल को टेस्टिंग के दौरान ट्रैक करने के लिए हिंदमहासागर में घूम रहे दुश्मन के जासूसी जहाज को खदेड़ने के लिए इंडियन नेवी हुई अलर्ट, फिर भी ट्रैकिंग का रहेगा खतरा, हजारों किलोमीटर की दूरी से भी मिशन को अंजाम देने में है सक्षम – अमरनाथ यादव/गौरव बरनवाल

कोच्चि/नई दिल्ली। पिछले काफी दिनों से चीन के एक जासूसी जहाज को भारत के जल सीमा में घुसपैठ करने को लेकर काफी हो हल्ला मचा हुआ है। इतना ही नहीं इस दौरान यह भी खुलासा हुआ कि चीन का यह जासूसी जहाज ऐसे समय में भारतीय सीमा में आना चाहता है जब भारत ओडिशा में अपने किसी शक्तिशाली मिसाइल का टेस्ट करने वाला है। जहां इस दौरान यह भी कहा गया कि यह चीनी जहाज भारत के मिसाइल टेस्ट के अलावा अन्य भारतीय सैन्य गतिविधियों को इंटरसेप्ट करने के इरादें से घुसपैठ की योजना बना रहा है। जहां अब यह दावा सामने आया है कि चीन के जासूसी जहाज युआन वांग-6 को देश के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (EEZ) में भारतीय नौसेना बिल्कुल भी घुसने नहीं देगी।

दरअसल,यह जोन समुद्र में 200 नॉटिकल माइल (समुद्री मील) तक फैला है। हालांकि, वॉरशिप सहित विदेशी जहाजों को EEZ में स्वतंत्र रूप से सेलिंग कर सकते हैं, लेकिन इस जोन में भारतीय कानून के तहत किसी देश का बिना परमिशन सर्वें, रिसर्च पूरी तरह से प्रतिबंधित है।

बता दे कि दुश्मन का युआन वांग-6 चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी का एक जासूसी जहाज है, जिसे भारत के ओडिशा तट से एपीजे अब्दुल कलाम आइलैंड से भारत के मिसाइल टेस्ट को ट्रैक करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में भेजा गया है। वहीं,चीन ने वांग-6 को अधिकृत रूप से एक रिसर्च और सर्वे करने जहाज के तौर रजिस्टर्ड किया है।

हालांकि,यह पहली बार नहीं है कि जब भारतीय नौसेना ने दुश्मन के किसी जहाज को भारतीय सीमा से खदेड़ने की बात कही है। इसके पहले भी नौसेना ने वर्ष 2019 में चीनी रिसर्च शिप शि यान-1 को भारत के EEZ से बाहर खदेड़ दिया था। जो कि पोर्ट ब्लेयर के समुन्दर में छिपा हुआ पाया गया था। जिस वजह से चीन के साथ भारत का डिप्लोमैटिक संबंध काफी तनावपूर्ण हो गया था लेकिन भारत उस समय भी सख्त था। वहीं, नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से यह बताया गया कि दुश्मन के इस जहाज का गंतव्य बंदरगाह नहीं बल्कि खुला समुद्र है और यहीं उसे रहना होगा। अगर युआन वांग-6 भारत के EEZ में घुसने की कोशिश करता है तो भारतीय नौसेना उसे भी शि यान-1 की तरह इसे भी खदेड़ेगी।

बताया जा रहा है कि दुश्मन के इस जासूसी जहाज की हर गतिविधि पर भारतीय नौसेना लगातार नजर रखे हुई है। इतना ही नहीं नौसेना के मानव रहित एयर व्हीकल्स और लॉन्ग रेंज मरीटाइम सर्विलांस एयरक्राफ्ट भी वांग-6 को ट्रैक कर रहे हैं। इतना ही नहीं नौसेना यह भी पता लगाने में सक्षम है कि दुश्मन का यह जहाज क्या ट्रैक कर रहा है ? हालांकि वे तब तक कुछ नहीं कर सकते जब तक कि वह खुले समुद्र में है। उस पर कार्रवाई तभी की जा सकती है जब वह EEZ में घुसने की कोशिश करता है।

लेकिन इंडियन नेवी ने आशंका जताई है कि अगर चीन के जासूसी जहाज को भारत के पड़ोसी अपने समुद्र तट पर आने देते हैं तो यह बड़ी समस्या होगी। क्योंकि यह जहाज हजारों किलोमीटर दूर रहकर भी अपने सीक्रेट मिशन को अंजाम देने में सक्षम है। बता दे कि भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ समुद्री सीमा शेयर करता है। इन देशों के पास भारत अपना EEZ कानून लागू नहीं कर सकता। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि यदि बांग्लादेश युआन वांग-6 को चटगांव में डॉक करने देता है या श्रीलंका उसे हंबनटोटा पोर्ट पर आने की परमिशन देता है, तो ऐसे में भारतीय समुद्र तट के बहुत करीब होगा, जहां से वह सब कुछ ट्रैक कर सकता है। यानि खतरा बरकरार रहेगा।

गौरतलब है कि भारत इस साल के आगामी 11-12 नवंबर को लॉन्ग रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल की टेस्टिंग करने वाला है। इसके लिए NOTAM (नोटिस टू एयरमेन) भी जारी कर दिया गया है। यानी टेस्टिंग के दौरान नो-फ्लाई जोन की चेतावनी। बताया जा रहा है कि पनडुब्बी से दागी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल, जिसकी रेंज 3,200 किलोमीटर है। यानी पूरा चीन जद में होगा। इससे चीन ने मिसाइल ट्रैकिंग जहाज युआन वांग-6 को निगरानी के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में भेजा है।

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