सांकेतिक तस्वीर।
नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन जंग को लेकर अब करीब-करीब यह साफ हो चला है कि आने वाला वक्त दुनिया के लिए जल्द तीसरे विश्वयुद्ध का महासंकट लाने वाला है। और इसकी पूरी पटकथा दूसरे विश्वयुद्ध के बाद नाटों के गठन के बाद ही लिख दिया गया था। क्योंकि यह घटना ठीक उसी तरह से है जैसे जब प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद जून 1919 में जर्मनी को बेहद अपमान जनक समझौते के जंजीरों बांध दिया गया,जिसकी परिणिती द्वितीय विश्वयुद्ध के रूप में दुनिया के सामने प्रदर्शित हुई थी।
सांकेतिक तस्वीर।
अब यहां रूस-यूक्रेन के बीच जारी भीषण जंग के दौरान कुछ ऐसी महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स सामने आ रही है,जिससे पूरी तरह से साफ हो गया है कि दुनिया जल्द हीं तीसरे विश्वयुद्ध की चपेट में आने वाली है। क्योंकि, “सीक्रेट आॅपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह ने रूस-यूक्रेन जंग से जुड़े तमाम तथ्यों का विश्लेषण करने के बाद इस परिणाम पर पहुंचा है कि चीन और पाकिस्तान एक ज्वाइंट सीक्रेट मिशन के तहत इस जंग को भढ़काने में लगे है, ताकि जल्द से जल्द तीसरे विश्वयुद्ध का आगाज हो।
दरअसल,दुनियां में क्रूर मानसिकता से युक्त कुछ ऐसे भी देश है जो बीते कई सालों से तीसरे विश्वयुद्ध की बाट जोह रहे हैं,ताकि इस अवसर का लाभ उठाकर अपने दुश्मन देशों पर हमला कर सकें। बता दे कि इन देशों में चीन, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया जैसे आदि शामिल हैं। क्योंकि,ये सभी देश सिर्फ अमेरिका और नाटों समूहों की वजह से अपने दुश्मन देशों पर हमला करने से हिचक रहे हैं।
चूंकि, शीतयुद्ध के दौर में ये सभी देश बारी-बारी से अपने दुश्मनों पर हमला करके उसके दुष्परिणाम का स्वाद चख चुके हैं। उदाहरण के तौर पर शीतयुद्ध के शुरूआत में कोरियाई प्रायद्वीप का भीषण जंग,जहां अमेरिका के सैन्य हस्तक्षेप के बाद यह जंग बिना किसी परिणाम के बाद समाप्त हो गया। जिसका मलाल उत्तर कोरिया को अभी तक है। वहीं चीन भी क्यूबा संकट का मौका देखकर वर्ष 1962 में भारत पर हमला किया था। क्योंकि, चीन को यह विश्वास था कि दुनिया की दो महाशक्तियां रूस और अमेरिका, क्यूबा में उलझी हुई हैं जिस वजह से ये दोनों देश चाहकर भी भारत की मदद नहीं कर सकते। लेकिन जब अमेरिका,भारत की मदद में सामने आया तो चीन की सारी साजिश धरी की धरी रह गयी और बिना देर किये तथा बिना किसी शर्त के सीजफायर का ऐलान कर दिया। लेकिन उसे मलाल अभी तक है, इसीलिए आये दिन वह भारत के पूर्वी लद्दाख बार्डर पर लगातार सक्रिय रूप से गतिरोध बरकरार रखा हुआ है।
वहीं,बात जब पाकिस्तान की आती है तो वह भी मौका देखकर वर्ष 1965 में भारत के खिलाफ जंगी मोर्चा खोल दिया, लेकिन उसे जल्द ही अपनी भूल का एहसास हुआ और सीजफायर कराने के लिए तड़पते हुए अमेरिका की गोद में जाकर बैठ गया। क्योंकि,उस जंग में भारतीय सेना लाहौर पर कब्जा कर चुकी थी। इतना ही नहीं कुछ साल बाद बांग्लादेश के बहाने एक बार फिर पाकिस्तान ने वर्ष 1971 में भारत के खिलाफ लड़ाई छेड़ दिया, परिणामस्वरूप 93 हजार सैनिकों के साथ पाक फौज के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने भारतीय सेना के सामने बिना किसी शर्त के सरेंडर कर दिया। बता दे कि इस दौर में दुनिया के कई हिस्सों में और भी भयानक लड़ाइयां लड़ी गई जिनमें वियतनाम युध्द दशकों तक चला।
जहां उस दौर में उल्लिखित शांति के दुश्मन देशों के मंसूबों पर पानी फिर गया था। यहाँ यह भी साफ कर दे कि उस वक्त कई ऐसे दौर भी आये कि जब रूस और अमेरिका आपस में भिड़ते-भिड़ते बचे। हालांकि ये दोनों महाशक्तियां अपने-अपने गुटों की पूरी मदद करती रही। वहीं,दौर रूस-यूक्रेन जंग के बहाने दुनिया के सामने एक बार फिर आता दीख रहा है, ऐसे में स्वभाविक है कि चीन, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया जैसे देश यह चाहते हैं कि अमेरिका और रूस के बीच सीधी टक्कर हो ताकि तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत हो सकें,जिसका लाभ उठाते हुए चीन, पाकिस्तान तथा इसी मानसिकता वाले दुनिया के अन्य देश भी शीतयुद्ध के दौरान अपने अधूरे मिशन को पूरा करने के लिए अपने दुश्मनों पर एक बार फिर से हमला कर सकें।
जहां इस बीच “सीक्रेट आॅपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह को रूस-यूक्रेन से जुड़े तथ्यों के अलावा कुछ ऐसी जानकारियां मिली है कि जो पूरी दुनिया में हड़कंप मचाने के लिए काफी होगी। दरअसल,शीतयुद्ध के दौरान अपने अधूरे मिशन को पूरा करने के लिए चीन और पाकिस्तान रूस-यूक्रेन जंग को और भी अधिक भढ़काने के लिए एक ज्वाइंट सीक्रेट मिशन पर लगातार सक्रिय है। हालांकि,यह अभी तक साफ नही हो सका है कि इस सीक्रेट मिशन पर चीन और पाकिस्तान संयुक्त रूप से कबसे सक्रिय है ? लेकिन इतना जरूर है कि जब पूरी दुनिया का पूरा ध्यान रूस-यूक्रेन जंग पर है तो चीन और पाकिस्तान इस मौके का लाभ उठाने से बाज आने वाले नहीं है।
क्योंकि,ऐसे में इस जंग में तमाम ऐसी घटनाएं भी सामने आई कि जिससे ऐसा लगने लगा था कि तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत किसी भी समय हो सकती हैं। लेकिन हर बार की तरह अमेरिका ने बेहद सूझबूझ के साथ इन उकसावें वाली घटनाओं को नजरअंदाज कर दिया। परिणामस्वरूप जंग और भढ़कने से बच गई। लेकिन इन घटनाओं ने यहां कई ऐसे सवाल खड़े कर दिये जिससे कि यह साफ संकेत मिलने लगा कि कोई है जो कि इस जंग में आग में घी का काम करने के लिए लगातार हरकत में है।
इस “कोई है” के जवाब ढूंढने के लिए जब सीक्रेट आॅपरेशन मीडिया समूह ने जंग से जुड़े तमाम तथ्यों व शीतयुद्ध के ऐतिहसिक महत्वपूर्ण घटनाओं तथा अन्य संबंधित जानकारियों का विश्लेषण किया तो पाया कि इन तमाम साजिशों के पीछे चीन और पाकिस्तान हीं प्रमुख रूप से है जो कि इस जंग को विश्वयुद्ध के रूप में बदलना चाहते हैं ताकि ये देश शीतयुद्ध के दौरान अपने अधूरे मिशन “भारत” पर फिर से हमला कर सके। क्योंकि,जबतक अमेरिका और रूस आपस में सीधे नहीं भिड़ेंगें तब तक चीन और पाकिस्तान भारत पर हमला नहीं कर सकते हैं। हालांकि, चीन के लिए भारत हीं नहीं महत्वपूर्ण टारगेट हैं, क्योंकि,उसका तनाव ताइवान, जापान और अन्य देशों के साथ भी है। जहां वह अवसर पाते हीं अपने इन तमाम जंगी मिशन को पूरा करने में जुट जायेगा।
यानि, चीन और पाकिस्तान के साजिश का शिकार अकेले भारत हीं नहीं बल्कि ताइवान, जापान आदि अन्य देश भी हो सकते हैं। इतना ही नहीं जिस हिसाब चीन मिडिल ईस्ट के देशों में लगातार सक्रिय है, उससे यह भी साफ है कि चीनी साजिश का शिकार इजरायल भी बन सकता है। क्योंकि,जिस दिन मौका मिला ईरान अपने सबसे कट्टर दुश्मन देश इजरायल पर हमला करने से चूकेगा नहीं। उधर, उत्तर कोरिया भी इस अवसर का पूरा लाभ उठाते हुए दक्षिण कोरिया और जापान को टारगेट करने से बाज नहीं आयेगा। कुल मिलाकर “सीक्रेट आॅपरेशन” मीडिया समूह पूरे दावें के साथ यहां यह साफ तौर पर स्पष्ट करता है कि चीन और पाकिस्तान रूस-यूक्रेन जंग को और भी अधिक भढ़काने तथा इसे तीसरे विश्वयुद्ध के रूप में बदलने के लिए एक ज्वाइंट सीक्रेट मिशन पर लगातार सक्रिय है।