भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची,प्रेस कांफ्रेंस
के दौरान,फोटो साभार -( भारतीय विदेश मंत्रालय के ट्वीटर से)
नई दिल्ली। भारत के विदेश मंत्रालय ने बड़ा दावा किया है कि पाकिस्तानी आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को संयुक्त राष्ट्र संघ ने अब अंतर्राष्ट्रीय आतंकी लिस्ट में शामिल कर लिया है। इस दौरान भारत ने संयुक्त राष्ट्र के इस कदम का स्वागत किया है। बता दे कि भारत की आतंक के खिलाफ यह एक बड़ी जीत है।
दरअसल,भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के हवाले से यह कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 आईएसआईएल (दाएश) और अलकायदा प्रतिबंध समिति ने सोमवार को मक्की को घोषित आतंकवादियों की सूची में शामिल किया, जिसका हम स्वागत करते हैं। इसी कड़ी में उन्होंने आगे यह भी कहा कि मक्की लश्कर-ए-तैयबा के नेता हाफिज सईद का साला भी है। मक्की ने लश्कर-ए-तैयबा के लिए फंड जुटाने सहित कई तरह की भूमिकाएं निभाई हैं। क्षेत्र में आतंकी संगठनों से खतरा बना रहेगा। लेकिन यूएनएससी के इस तरह के प्रतिबंध इस तरह की खतरों से निपटने का एक प्रभावी टूल है।
इतना ही नहीं बागची के बयान में आगे यह भी साफ किया गया है कि भारत की आतंकवाद को लेकर जीरो टॉलरेंस नीति है। हम आतंकवादियों के कड़े एक्शन को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदायों और संगठनों पर दवाब डालते रहेंगे। बता दे कि अब्दुल रहमान मक्की टेरर फंड इकट्ठा करने, युवाओं को हमले के लिए उकसाने, भारत के खिलाफ आतंकी हमलों की साजिश रचता रहा है, खासकर जम्मू कश्मीर में। मक्की लश्कर ए तैयबा चीफ और मुंबई हमलों के मास्टर माइंड हाफिज सईद का साला है। लश्कर के कई ऑपरेशन्स में मक्की का हाथ रहा है। वह लश्कर के ऑपरेशन्स के लिए फंड भी जुटाता रहा है। मक्की लश्कर ए तैयबा का डिप्टी चीफ है। वह लश्कर की राजनीतिक पार्टी जमाद उद दावा का चीफ भी है।
गौरतलब है कि साल 2010 में भारत विरोधी बयान को लेकर वह सुर्खियों में भी रह चुका है। उसने पुणे के जर्मन बेकरी में धमाके के आठ दिन पहले मुजफ्फराबाद में भाषण दिया था और पुणे समेत भारत के तीन शहरों में आतंकी हमले करने की धमकी दी थी। भारत की मांग पर अमेरिका ने मक्की को आतंकी घोषित किया था। हालांकि इस बड़ी उपलब्धि के लिए भारत को बहुत पापड़ बेलना पड़ा है। क्योंकि,भारत पिछले साल लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी अब्दुल रहमान मक्की को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए यूएन में प्रस्ताव लाया था। लेकिन चीन ने इस पर अड़ंगा लगा दिया था। जहां बीते साल के जून में भारत ने इस मुद्दे पर चीन को फटकार भी लगाई थी।