सांकेतिक तस्वीर।
नई दिल्ली। भारत के दो पड़ोसी दुश्मन पाकिस्तान और चीन आज तक एक साथ मिलकर भारत पर हमला क्यों नहीं कर सकें ? जबकि भारत के ये दोनों दुश्मन देश आपस में गहरे दोस्त भी है,फिर भी वें एक साथ कभी जंग में नहीं उतरे। इसके पीछे एक नहीं कई कारण है,जिसे भारत के सामान्य नागरिक नहीं जानते हैं। हालांकि,इन महत्वपूर्ण कारणों को देश की तीनों सेनाओं से जुड़े वरिष्ठ सैन्य अधिकारी/विदेश मंत्रालय व डिफेंस से जुड़े तमाम वरिष्ठ लोग भलीभांति जानते हैं।
दरअसल,सन् 1947 में भारत के आजाद होते ही भारत का हीं एक हिस्सा जिसे पाकिस्तान कहा गया,यह भारत के खिलाफ एक बड़ी सैन्य शक्ति साथ चुनौती बनकर उभरा। जहां इस दौरान इसी पाकिस्तान ने भारत के कश्मीर को अवैध रूप से कब्जाने की नियत से हमला कर दिया,हालांकि पहले से ही सतर्क भारतीय सेना ने दुश्मन के इस हमले को नाकाम कर दिया। जिसके बाद तिब्बत के बहाने चीन ने सन् 1962 में LAC पर जबरदस्त हमला बोल दिया। परिणाम स्वरूप इंडियन आर्मी सैन्य संसाधनों के अभाव के अतिरिक्त अन्य अनुभव हीन लीडरशिप के चलते यहां बैकफुट पर रही,लेकिन इस जंग में दुश्मन के अपेक्षा अनुपात में बहुत कम अंतर के नुकसान परिणाम पर इंडियन आर्मी थी।
इसी कड़ी में वर्ष 1971 में बांग्लादेश के मुद्दे पर पाकिस्तान ने भारत के वेस्टर्न फ्रंट पर हमला बोल दिया,लेकिन पहले से ही तैयार बैठी इंडियन आर्मी और भारत की अन्य सभी सेनाओं ने दुश्मन के इस हमले को नाकाम करते हुए बांग्लादेश को आजाद कराने व दुश्मन के करीब 93 हजार नफरीं को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दी थी। बता दे कि सेकेंड वर्ल्ड वार के बाद शीत युद्ध के दौर में यह अब तक सबसे बड़ा आर्मी सरेंडर था।
बता दे कि वर्ष 1947 के बाद भारत के साथ पाकिस्तान ने कई लड़ाइयां लड़ी जबकि चीन सिर्फ एक ही बार लड़ा। लेकिन चीन और पाकिस्तान के साथ आज भी भारत जंगी तनातनी झेल रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि पाकिस्तान और चीन आपस में गहरे दोस्त होने के बावजूद भी एक साथ मिलकर भारत पर हमला क्यों नहीं करते ? तो यहां साफ कर दें कि सेकेंड वर्ल्ड वार की समाप्ति के बाद दुनिया तीन गुटों में बंटी, जिसमें एक गुट को अमेरिका लीड कर रहा है तो दूसरा ग्रुप तत्कालीन सोवियत संघ आज का रूस तथा तीसरा गुट जो कि निरपेक्ष और तटस्थ गुट था इसे भारत ने ज्वाइन किया।
जब इन तीनों गुटों का अस्तित्व दुनिया के सामने आया तो अमेरिकी गुट ने पाकिस्तान को मदद किया जबकि सोवियत संघ ने भारत को ऐसे में चीन सोवियत संघ को ज्वाइन किया, भले चीन भारत का कट्टर दुश्मन देश है लेकिन वह रूस के हीं लीडरशिप को फालो करता है। ऐसे में रूस के करीबी भारत के खिलाफ चीन क्रेमलिन के हीं निर्देश पर हीं आगे बढ़ता है। और यहां बताने की जरूरत नहीं है कि रूस नई दिल्ली के लिए कितना हमदर्दी रखता है। हालांकि यहां साफ करना बेहद जरूरी है कि जब भारत और चीन रूस के बेहद करीबी थे तो चीन वर्ष 1962 में भारत पर हमला क्यों किया था ?
चूंकि,शीतयुद्ध के दौर में अमेरिका और रूस क्यूबा में उलझे हुए थे, जहां इसे गोल्डन चांस के रूप में समझकर चीन ने भारत पर यह सोच कर हमला किया था कि दुनिया की दो महाशक्तिया अमेरिका और रूस इस समय क्यूबा में उलझे हुए हैं,ऐसे में इन दोनों में से कोई भी भारत की मदद करने के लिए नहीं आ सकता। लेकिन चीन का यह अनुमान गलत साबित हुआ और भारत की मदद में अमेरिका सामने आ गया। यही कारण था कि चीन ने एक तरफा सीजफायर का ऐलान कर दिया, हालांकि उसने भारत की कई हजार वर्ग किलोमीटर जमीन कब्जाने में सफल रहा।
वहीं, पाकिस्तान चाहकर भी चीन के इस जंग में उसकी मदद नहीं कर सका, क्योंकि वह अमेरिकी गुट में था और जब चीन के खिलाफ खुद अमेरिका, भारत के साथ खड़ा था तो पाकिस्तान की कोई औकात ही नहीं कि वह अमेरिका के निर्देश के खिलाफ जाकर चीन की मदद करता। ठीक ऐसे ही वर्ष 1971 में अमेरिका के उकसावें में आकर पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जंग छेड़ दिया। जहां इस दौरान चीन चाहकर भी अपने अजीज दोस्त पाकिस्तान की कोई मदद नहीं कर सका, जबकि इस जंग में अमेरिका ने चीन को पाकिस्तान की मदद करने का खुला संकेत दिया था लेकिन चीन उस समय क्रेमलिन के निर्देश का हीं अनुसरण करने फैसला किया। मालूम हो कि इस जंग में रूसी परमाणु पनडुब्बीयों ने अमेरिका के सातवें बेड़े को वापस लौटने के लिए मजबूर कर दिया था।
सारांश यह है कि पाकिस्तान और चीन आपस में गहरे दोस्त होते हुए भारत के खिलाफ खुलकर एक साथ जंगी कार्यवाही सिर्फ इसलिए नहीं कर सकते, क्योंकि चीन रूस के गुट का है जबकि पाकिस्तान अमेरिकी गुट का। ऐसे में सवाल ही नहीं उठता कि परस्पर दो विरोधी गुटों में शामिल दो दोस्त पाकिस्तान और चीन,भारत के खिलाफ एक साथ खुलकर जंग चाहकर भी नहीं लड़ सकते। क्योंकि,अतीत में इसके एक नहीं कई उदाहरण हैं। ऐसे में “सीक्रेट आॅपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह इन तमाम तथ्यों के विश्लेषण के उपरांत पूरी जिम्मेदारी के साथ दावा करता है कि चीन और पाकिस्तान चाहकर भी एक साथ मिलकर भारत के खिलाफ जंग कभी नहीं लड़ सकते।