
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति यामिन,साभार -(सोशल मीडिया)
माले। भारत विरोधी मिशन में लगातार सक्रिय रहने वाले चीन को मालदीव में एक बार फिर से बड़ा झटका लगा है। दरअसल,मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद देश के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की उस याचिका को रविवार को खारिज कर दिया,जिसमें उन्होंने मांग की थी कि उन्हें अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की अनुमति प्रदान की जाए। क्योंकि,यामीन के वकीलों ने तर्क दिया कि पूर्व राष्ट्रपति को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए। उनका कहना था कि भ्रष्टाचार के जिस मामले में उन्हें दोषी ठहराया गया था वह उच्च न्यायालय में अपील के अधीन है। संभावना है कि इसे पलट दिया जाएगा। जहां शीर्ष अदालत की सात सदस्यीय पीठ ने यह याचिका खारिज कर दी। बता दे कि यामीन चीन के एजेंट के तौर पर प्रसिध्द है। इतना ही नहीं यामिन भारत के खिलाफ अक्सर जहर भी उगलते रहते हैं।
बता दे कि मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार का दोषी ठहराए जाने के बाद यामीन वर्तमान में 11 साल की सजा काट रहे हैं। मालदीव के संविधान के अनुसार, किसी आपराधिक मामले के लिए दोषी ठहराया गया और 12 महीने से अधिक जेल की सजा पाने वाला व्यक्ति सजा पूरी होने के तीन साल बाद तक चुनाव नहीं लड़ सकता है। यामीन साल 2013 से 2018 तक मालदीव के राष्ट्रपति थे। मालदीव में नौ सितंबर को चुनाव होने हैं। दिसंबर 2022 को यामीन को कोर्ट ने दोषी करार दिया था। इसके बाद जनवरी 2023 में उन्हें सजा सुनाई गई थी।
चूंकि,यामीन के शासनकाल में मालदीव, चीन के करीब हो गया था। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक इस वजह से चीन को हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाने में काफी मदद मिली थी। अब यह आशंका दूर हो गई है कि अब्दुल्ला यामीन सत्ता पर काबिज होने का प्रयास करेंगे। यामीन के समर्थकों ने मालदीव में ‘इंडिया आउट’ कैंपेन की शुरुआत की थी। यामीन के नेतृत्व में चीन ने रणनीतिक प्रभाव हासिल करने और हिंद महासागर पर नए व्यापारिक मार्ग बनाने में सफलता हासिल की थी। मालदीव को भी पाकिस्तान और श्रीलंका की तरह इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए अरबों डॉलर का कर्ज दिया।
वहीं,इस झटके की रिपोर्ट सामने आने पर बीजिंग में खामोशी छाई हुई है। हालांकि,नई दिल्ली भी इस पर कोई टिप्पणी नहीं किया है। लेकिन यह भारत के लिए एक बहुत अच्छी खबर है। दरअसल,चीन भारत को चारों तरफ से घेरने के लिए उसके पड़ोसी देशों को दाना डालता रहा है, जहां इसके झांसे में अभी तक कोई भी देश सिवाय पाकिस्तान के नहीं आया। हालांकि, इस दौरान चीन इन पड़ोसी देशों के कुछ भारत विरोधी नेताओं को अपने पाले में मिलाने में सफल रहा है, जो कि अब तक प्रभावहीन हीं साबित हुए।
