नियामी। नाइजर का सैन्य तख्तापलट दिन ब दिन तूल पकड़ता ही जा रहा है,क्योंकि नाईजर में तख्तापलट को अंजाम देने वाले विद्रोही सैनिकों के हवाले से यह दावा किया गया है कि वह ‘उच्च देशद्रोह’ तथा देश की सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम पर मुकदमा चलाएंगे। बता दे कि उनका यह बयान तब आया है जब कुछ घंटों पहले जुंटा ने कहा था कि वह बढ़ते क्षेत्रीय संकट को हल करने के लिए पश्चिमी अफ्रीकी देशों के साथ बातचीत के वास्ते तैयार हैं। दावा किया जा रहा है कि नाइजर की दंड संहिता के मुताबिक,दोषी पाए जाने पर बजौम को मृत्युदंड की भी सजा दी जा सकती है।
दरअसल,नाइजर आर्मी के प्रवक्ता कर्नल मेजर अमादोउ अब्दुर्रहमान ने रविवार रात को सरकारी टेलीविजन पर की गई घोषणा में कहा कि सैन्य शासन ने ‘उच्च देशद्रोह और नाइजर की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए अपदस्थ राष्ट्रपति तथा उनके स्थानीय एवं विदेशी साथियों पर सक्षम राष्ट्रपति तथा अंतरराष्ट्रीय प्राधिकारियों के समक्ष मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक सबूत एकत्रित कर लिये हैं।’ घोषणा में आगे भी कहा गया है कि उच्च पदस्थ पश्चिम अफ्रीकी राजनेताओं और ‘उनके अंतरराष्ट्रीय आकाओं’ ने झूठे आरोप लगाए हैं और सैन्य हस्तक्षेप को उचित ठहराने के लिए संकट के शांतिपूर्ण समाधान को पटरी से उतारने का प्रयास किया है।
दरअसल,नाइजर के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति बजौम को 26 जुलाई को उनकी सेना ने एक तख्तापलट के बाद अपदस्थ कर दिया था और तब से वह राजधानी नियामी में राष्ट्रपति आवास में अपनी पत्नी और बेटे के साथ नजरबंद है। इस बीच जुंटा पर तख्तापलट के बाद अपदस्थ राष्ट्रपति बजौम को पुन: राष्ट्रपति पद पर स्थापित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है। क्योंकि,तख्तापलट के तुरंत बाद, पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्रीय समूह इकोवास (ECOWAS) ने सैन्य शासन को बजौम को सत्ता में वापस लाने के लिए सात दिन का समय दिया और ऐसा नहीं होने पर सैन्य कार्रवाई की धमकी दी थी, लेकिन वह समय सीमा समाप्त हो गई, लेकिन किसी भी ओर से कोई सैन्य कार्रवाई अब तक नहीं हुई।
बता दे कि नाइजर में हुए तख्तापलट ने पेंटागन और क्रेमलिन को आमने सामने आने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे में विशेषज्ञों ने नाइजर के बहाने तीसरे विश्वयुद्ध की संभावना की पुष्टि किया है। लेकिन दोनों ही तरफ से कुछ नरमी के भी संकेत मिल रहे हैं, कोशिश की जा रही है कि बातचीत से यह मुद्दा हल हो। क्योंकि, यूक्रेन को लेकर अमेरिका और रूस में पहले से ही तलखी है, ऐसे में नाइजर को लेकर यदि जंगी तनाव और भी बढ़ा तो इसमे कोई शक नहीं है कि तीसरा विश्वयुद्ध न हो। यही कारण है कि दोनों ही पक्ष अब टेबल पर आने के लिए संभावनाओं पर जोर दे रहे हैं।