फोटो साभार -(इंडियन नेवी के वेस्टर्न कमांड से)
एथेंस। भारत के खिलाफ पाकिस्तान की हमेशा मदद करने वाले टर्की को काउंटर करने के लिए भारत और ग्रीस के बीच रणनीतिक रूप से कई महत्वपूर्ण डिफेंस डील हुए हैं। जहां ये दोनों देश एक दूसरे की नौसेनाओं के साथ लगातार अभ्यास कर रहे हैं। हाल में ही ग्रीस ने भारतीय नौसेना के युद्धपोत के साथ एक पासिंग एक्सरसाइज की है। इस एक्सरसाइज को भूमध्य सागर के बीचोंबीच स्थित क्रेते द्वीप के दक्षिण में आयोजित किया गया है। इस पासिंग एक्सरसाइज में भारतीय नौसेना के ऑफशोर पेट्रोलिंग वेसल आईएनएस सुमेधा ने हिस्सा लिया, वहीं ग्रीस की नौसेना की तरफ से फ्रिगेट हेली शामिल हुआ। इससे कुछ महीने पहले ही भारतीय नौसेना का एक विध्वंसक ग्रीस के बंदरगाह भी पर रुका था।
बता दे कि बीते शनिवार 16 सितंबर को हेलेनिक आर्म्ड फोर्सेज ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग के संदर्भ में क्रेते के दक्षिण में समुद्री क्षेत्र में फ्रिगेट HELLI और भारतीय नौसेना का अपतटीय गश्ती जहाज आईएनएस सुमेधा के बीच एक संयुक्त PASSEX (पासिंग एक्सरसाइज) अभ्यास आयोजित किया गया था। इस दौरान दोनों देशों की नौसेनाओं ने एक ज्वाइंट ट्रेनिंग एक्सरसाइज भी की। इस दौरान कम्यूनिकेशन, हाइब्रिड एक्सरसाइज, हेलीकॉप्टर के जरिए अभ्यास का आयोजन किया गया। इस अभ्यास में भारत और ग्रीस के सशस्त्र बलों ने हिस्सा लिया।
दरअसल,हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रीस का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने ग्रीस और भारत में स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप का ऐलान किया था। इससे पहले से भी भारत और ग्रीस रक्षा संबंधों को मजबूत कर रहे हैं। इसी साल ग्रीस में आयोजिक बहुपक्षीय युद्धाभ्यास INIOHOS 23 में पहली बार भारतीय वायु सेना के सुखोई एसयू-30 एमकेआई विमानों ने भाग लिया था। भारतीय नौसेना भी भूमध्य सागर में तैनाती के दौरान ग्रीस के बंदरगाह पर ठहर रही है।
मालूम हो कि भारत और ग्रीस की दोस्ती से सबसे ज्यादा खतरा तुर्की को है। तुर्की दशकों से ग्रीस के द्वीपों पर अपना दावा करता रहा है। इस मुद्दे पर दोनों देशों में कई बार तनाव चरम पर भी पहुंचा है। चूंकि,तुर्की परंपरागत रूप से पाकिस्तान का सहयोगी है और कश्मीर मुद्दे पर भी भारत की खिलाफत करता है। ऐसे में ग्रीस के साथ दोस्ती से तुर्की पर अपने आप दबाव बढ़ रहा है। यही कारण है कि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में तुर्की के तेवर कश्मीर के मुद्दे पर नरम दिखाई दिया है। इससे साफ हो गया कि भारत का यह कदम तुर्की पर प्रभावी दबाब बनाने में सफल हो रहा है।