BSF के जवान (फाईल फोटो)
नई दिल्ली। वर्ष 1965 के भारत-पाक युध्द के बाद देश की तमाम सुरक्षा ऐजेंसियों की इस बाबत मीटिंग हुई कि देश की सीमा की सुरक्षा और निगरानी के लिए कोई ठोस उपाय किया जाये, चूंकि सेना तो थी हीं लेकिन सिर्फ सेना तक सीमित रहना उचित नहीं था,फिर निर्णय लिया गया सीमा सुरक्षा बल (BSF) की स्थापना की जहां तमाम औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद 1 दिसंबर 1965 को बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) की स्थापना कर दिया गया जो कि एक अर्धसैनिक बल है, और यह बल केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करती है। जो शांति काल के दौरान भारत की सीमा की रक्षा करने और अंतरराष्ट्रीय अपराध को रोकने के लिए जिम्मेदार है। और इस बल को देश के पाकिस्तान और बांग्लादेश के सीमा पर तैनात किया गया है।
बताते चले इस फोर्स में इस समय कुल 186 बटालियन और 2.57 लाख की नफरीं है जो कि अपने आप में दुनिया की सबसे बड़ी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स है। और इस बल का आदर्श वाक्य ‘ड्यूटी अनटू डेथ’ है।
गश्त के दौरान BSF के जवान (फाईल फोटो)
यहां भी बता दें कि BSF ही एकमात्र ऐसी फोर्स है जिसकी अपनी एयर विंग,मरीन विंग और आर्टिलरी रेजिमेंट हैं। BSF के पास एक टियर स्मोक यूनिट (TSU) भी है, जो भारत में अद्वितीय है। TSU दंगा विरोधी बलों के लिए आवश्यक आंसू गैस के हथियारों के उत्पादन के लिए जिम्मेदार है और यह अन्य देशों को भी निर्यात करती है।
इस फोर्स के पास अपनी ऊंट और कुत्तों की एक विंग भी है, जहां इसे कच्छ के रण और राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में गश्त करने में सहूलियत मिलती है।
अब इस फोर्स में महिला कर्मियों की पहली बैच की भी तैनाती कर दी गई है, जो कि महिलाओं की नियमित तलाशी के साथ-साथ उनके पुरुष समकक्षों द्वारा किए गए अन्य ड्यूटी को पूरा करने के लिए तैनात हैं।