
फाईल फोटो, साभार-(यूक्रेन के MOD के ट्वीटर से)
कीव। बीते एक साल से अधिक हो चले रूस-यूक्रेन जंग के बीच अब ऐसी घटना की जानकारी सामने आ रही है,जिससे रूस और नाटों अभी तक बचते रहे थे। लेकिन इस हादसे की रिपोर्ट सामने आते हीं पूरी दुनिया में तहलका मच गया है। दरअसल, रिपोर्ट है कि पश्चिमी यूक्रेन के लीव में नाटों के एक सैन्य ठिकाने को रूसी फौज ने बेहद खतरनाक “किंझल” मिसाइल से हमला करके नाटों के इस सैन्य ठिकाने को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया है। बताया जा रहा है कि रूस के इस हमले में मारे गए नाटों के 40 सैन्य अधिकारियों के शव बरामद किये गये हैं। हालांकि, अभी तक स्वतंत्र रूप से किसी भी पक्ष ने इस हादसे की ना हीं पुष्टि की है और ना ही इसका खंडन।
इससे साबित होता है कि इस हमले से जुड़े दावे में बल है। बता दे कि रूस की यह किंझल मिसाइल बहुत ही खतरनाक है। क्योंकि, यह तमाम सैन्य बंकरों को भी तबाह करने की असीमित क्षमता रखती है। यही कारण है कि पश्चिमी यूक्रेन के लीव में नाटों का यह सैन्य ठिकाना जमीन की बेहद गहराई में होने के बावजूद भी रूस के इस मिसाइल को झेल नहीं पाया। इतना ही नहीं इस मिसाइल को नाटों के डिफेंस सिस्टम भी इंटरसेप्ट नहीं कर सकें। फिलहाल यह अभी तक साफ नही हो सका है कि रूस ने इस हमले को लड़ाकूं विमानों से या जमीन से अथवा किसी पनडुब्बी से अंजाम दिया है।
वहीं,इस हमले की रिपोर्ट सामने आने पर क्रेमलिन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, इतना ही नहीं यूक्रेन के अलावा नाटो भी इस हमले को लेकर अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं। लेकिन हमले की रिपोर्ट को किसी भी पक्ष द्वारा खारिज न करना साफ कर देता है कि हमले से जुड़े दावे में बल है। इस बीच दुनिया भर के तमाम विशेषज्ञों ने भी यह साफ संकेत दे दिया है कि, इस जंग में अभी तक नाटों और रूस सीधे भिड़ने से बचते रहे हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। यानि अब नाटों और रूस के बीच सीधी टक्कर हो सकती है। यदि ऐसा हुआ तो दुनिया में तीसरे विश्वयुद्ध की बात हीं छोडिये सीधे-सीधे परमाणु जंग छिड़ सकती है।
क्योंकि,शीतयुद्ध के कई साल बाद यह पहला मौका है जब नाटों और रूस सीधे-सीधे टकरायेंगें। फिर दुनिया का क्या होगा ? बताने की जरूरत नहीं है। चूंकि, जंग के शुरूआत से ही रूस नाटों से बेहद खफां है, यही कारण है कि क्रेमलिन बार-बार नाटों देशों को परमाणु हमले की खुली धमकी देता रहा है। शायद यही वजह थी कि नाटों रूस से सीधे भिढ़ने से बचता रहा था। क्योंकि, जंग की शुरूआत से लेकर आज तक रूस की तरफ से नाटों के सप्लाई चेन पर कई बार हमले हो चुके हैं, इतना ही नहीं नाटों के कई जहाजों को भी रूस ने बंधक बना रखा है। कुल मिलाकर तमाम उत्तेजक घटनाओं के बावजूद भी नाटों रूस से उलझना ठीक नहीं समझा।
अब इस ताजे हमलें को नाटों कैसे फेस करता है ? यह कहना अभी मुश्किल है। लेकिन एक बात तो तय है कि इस हमले को अंजाम देने के बाद इसे रूसी चुनौती समझना चाहिए। अब नाटों इसे चुनौती समझता है या कोई बहाना बनाकर, जैसे चल रहा है वैसे ही चलते देते रहेगा। लेकिन यह पहला मौका है कि जब नाटों पर इस तरह का भीषण हमला किया गया है।
